प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बॉडी लेकर आने वाली गाडिय़ों को घूमकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचना पड़ रहा है। क्योंकि एसआरएन हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम हाउस जाने वाली मुख्य सड़क की खोदाई करके मलबा रोड पर रख दिया गया है। किसी तरह किनारे बाइक सवार व पैदल लोग जान जोखिम में डालकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचते हैं। बीच रोड मौत का कुआं बन चुका सीवर किसी भी दिन बड़ी घटना का कारण बन सकता है। आसपास कर्मचारियों के रहने का आवास व मेडिकल छात्राओं का हास्टल है। लोगों को डर इस बात का है कि यदि कोई बच्चा सीवर में गिर गया तो उसका दम निकलना तय है।

सीवर में गिरने का खतरा
एसआरएन हॉस्पिटल के पीछे पोस्टमार्टम हाउस की बिल्डिंग है। यहां रहने वाले बताते हैं कि हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम हाउस जाने वाली सड़क को नए सिरे से बनाया जाना था। इसके लिए टेंडर हुआ और ठेकेदार सड़क हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम की पुरानी बिल्डिंग तक रोड को उखाड़ दिया। इसके बाद कुछ गिट्टी व मलबा बीच रोड गिरा दिया गया। यह काम कोरोना काल दूसरे फेज के लास्ट में किया गया। धीरे-धीरे करीब ढाई साल का वक्त बीत गया है। आज तक यह रोड बन नहीं पाई। रोड को किस विभाग ने खोदा और बजट मेडिकल कॉलेज का है या किसी और विभाग का? यह तक बताने वाला कोई नहीं है। हॉस्पिटल के लोग बताते हैं कि इस रोड को बनाने के लिए बजट डीएम के आदेश पर मिला था। काम शुरू होने के कुछ ही दिनों में बंद हो गया। तब से आज तक इस रोड का काम पूरा नहीं हो सका। पोस्टमार्टम की पुरानी बिल्डिंग के ठीक सामने इस रोड पर सीवर का ढक्कन टूट गया है। यह सीवर बीच सड़क मौत का कुआं बन गया है। किनारे से पोस्टमार्टम हाउस आने जाने वाले यदि थोड़ा सा डिस्बैलेंस हो जाएं तो उनका इस सीवर में गिरना तय है। सीवर इतना गहरा है कि गिरने वाले व्यक्ति का जिंदा बच पाना मुश्किल है। इस सीवर से हॉस्पिटल का गंदा पानी निकलता है। बताते चलें कि पोस्टमार्टम में हर रोज गमजदा सैकड़ों लोगों का आना जाना लगा रहता है।

इसी एरिया में है कर्मचारी आवास
आसपास हॉस्पिटल के कर्मचारियों का आवास और पोस्टमार्टम हाउस के पास मेडिकल की छात्राओं का हास्टल है। अक्सर कर्मचारियों के बच्चे इस रोड पर खेलते रहते हैं और छात्राएं भी किनारे-किनारे किसी तरह स्कूटी व बाइक लेकर आया जाया करती हैं। कहा जा रहा है कि इन सभी के लिए यह रोड और खुला हुआ सीवर खतरा बना हुआ है। खेल रहे कर्मचारियों के बच्चे यदि इस सीवर में गिर गए तो उनकी भी जान जा सकती है। फिर भी इस रोड व सीवर की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

बन गई मोटर खत्म हुआ जल संकट
करीब एक हफ्ते से एसआरएन हॉस्पिटल व कर्मचारियों के आवासी इलाके में पानी की जबरदस्त किल्लत थी। इस समस्या की वजह मोटर का जल जाना बताया गया। कर्मचारियों ने कहा कि शनिवार को जली हुई मोटर को दुरुस्त करा दिया गया है। अब पानी की समस्या समाप्त हो गई है। शनिवार सुबह से हॉस्पिटल और आवासीय एरिया में पानी की सप्लाई पूर्वत शुरू हो गई है। अब समस्या है तो सिर्फ खोद कर छोड़ दी गई सड़क की। जिसके बनने की उम्मीद लोगों को फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है।

पोस्टमार्टम हाउस आने वाले लोग वैसे ही गम में होते हैं। यह रोड जले पर नमक की तरह साबित होती है। उनकी गाडिय़ां हर जगह से आने के बाद यहां इस रोड पर आकर फंस जाती हैं। उन्हें फिर मुड़कर दूसरे रास्तों से घूमकर आना पड़ता है। अधिकारी हैं कि इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे।
उमाकांत, सलोरी

यह रोड आज से नहीं काफी समय से ऐसे ही है। पोस्टमार्टम हाउस की इस रोड को खोदकर छोड़ दिया गया है। एसआरएन हॉस्पिटल के कर्मचारियों व छात्राओं के लिए भी यह रोड खतरा बना हुई है। यदि यह रोड जल्द नहीं बनाई गई तो बीच रोड खुला हुआ सीवर बड़ी घटना का कारण बन सकता है।
गौरव मिश्रा, सीए जार्जटाउन

यह रोड हर रोज पोस्टमार्टम हाउस जाने वाले सैकड़ों लोगों के लिए परेशानी बन गई है। हॉस्पिटल के कर्मचारियों व छात्राएं जो परेशान होती हैं वह अलग। अधिकारियों को चाहिए कि शीघ्र ही इस रोड का निर्माण पूरा कराएं। यदि रोड नहीं बनने से सीवर के चलते कोई हादसा हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
डॉ। पवन पचौरी, अल्लापुर