छात्र बोले कारपोरेट लॉबी के दबाव में भारत

ALLAHABAD: ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने थर्सडे को गोविन्द बल्लभ पंत संस्थान झूंसी पहुंचकर एकेडमिक काउन्सिल के मेंबर तथा सीबीसीएस लागू करने वाली पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य प्रोफेसर प्रदीप भार्गव से मुलाकात की। छात्रों ने उन्हें विश्वविद्यालय में सीबीसीएस लागू होने के दुष्परिणामों से अवगत कराया।

स्वयत्तता व विविधता पर हमला

प्रतिनिधिमंडल में शामिल शोध छात्र अंकित पाठक ने कहा कि विश्वविद्यालय में भ्ख्फ् अध्यापकों की कमी के चलते वार्षिक सत्र ही सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रहा है और न ही छात्रों की मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। जबकि सीबीसीएस सेलेबस लागू करने के लिए शिक्षकों की भारी संख्या और पर्याप्त आधारभूत संसाधनों की जरूरत होगी। सौरभ यादव ने कहा कि सीबीसीएस उच्च शिक्षा को बर्बाद करने की पहल है। इसके साथ आने वाला सीयूए और रूसा पूरी व्यवस्था की स्वायत्ता और विविधता पर हमला है।

टीचर्स व स्टूडेंट्स से ली जाए राय

शक्ति रजवार ने कहा कि यह पूरा बदलाव वैश्विक कारपोरेट शक्तियों के दबाव में वर्लड ट्रेड आर्गनाईजेशन- जनरल एग्रीमेंट्स ट्रेड इन सर्विसेज के द्वारा भारत पर थोपा जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने सीबीसीएस पर तत्काल रोक के अलावा अध्यापकों तथा छात्र-छात्राओं से राय लेने की मांग की। कहा गया कि देश में इस नई व्यवस्था के खिलाफ विश्वविद्यालयों में चल रहे व्यापक आन्दोलन के मद्देनजर उनकी आपत्तियों और प्रश्नों पर भी गौर किया जाए। आइसा ने छात्रों से रिजेक्ट सीबीसीएस सेव एयू अभियान में शामिल होने की अपील की। प्रतिनिधि मंडल में सुनील मौर्य, अंतस सर्वानंद, शशिकान्त त्रिपाठी, राजन विरूप, अनिरुद्ध शर्मा भी शामिल रहे।