बालसन चौराहे से पहले खुला वैन का दरवाजा

प्रिजन वैन के बालसन चौराहे पर पहुंचने से पहले ही एक प्राइवेट कंपनी के ऑफिस के सामने वैन का दरवाजा खुला। एक के बाद एक वैन में बैठे अंडर ट्रायल कैदी कूदने लगे। इससे पहले कि गाड़ी के ड्राइवर और उसके पास बैठे सिपाही को कुछ समझ में आता दस कैदी कूद कर भाग चुके थे।

सेंट एंथोनी के पास पता चला

प्रिजन वैन शिवमूर्ति यादव चला रहा था। उसके साथ कांस्टेबल परमहंस बैठा था। बालसन चौराहा क्रास करके आगे बढऩे पर सेंट एंथोनी स्कूल के पास उन्हें पता चला कि कैदी भाग रहे हैं और गेट खुला है। राहगीरों से मिली इस सूचना ने दोनों के होश उड़ा दिए.  उसने बालसन चौराहा पार किया और गाड़ी सेंट एंथोनी कालेज रोड पर साइड में पार्क की।

कंट्रोल रूम को दी गई सूचना

इस घटना से ड्राइवर स्तब्ध रह गया। उसने तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम में इस घटना की जानकारी दी। कुछ ही देर में जार्जटाउन और सिविल लाइंस इंस्पेक्टर पुलिस फोर्स के साथ पहुंच गए। उन्होंने आसपास के लोगों से  वैन से कूद कर भागने वालों का हुलिया पूछना शुरू किया। पता करने में जुट गए कि कितने कैदी कूद हैं और किस तरफ भागे हैं। कुछ ही देर में डीआईजी एन रवीन्द्र भी वहां पहुंच गए। उन्होंने तत्काल प्रिजन वैन को कचहरी के लिए भेजवा दिया।  

कचहरी में डीआईजी ने की पूछताछ

कुछ देर में ही प्रीजन वैन वहां पहुंच गई जहां कैदियों को नैनी जेल से लाने के बाद लॉक अप में रखा जाता है। लॉप में जाने से पहले उनसे पूछताछ करने के लिए डीआईजी, एसएसपी मोहित अग्रवाल और एसपी सिटी शैलेष यादव भी पहुंच गए। पूछताछ में पता चला कि प्रिजन वैन में 52 अंडर ट्रायल कैदी नैनी जेल से चले थे। इस समय केवल 42 कैदी हैं। यानी दस खूंखार कैदी फरार हो चुके हैं।

पीछे नहीं था कोई पुलिसकर्मी

एसएसपी मोहित अग्रवाल कैदियों से पूछताछ के लिए अंदर बने लॉक अप में पहुंच गए। कैदियों ने बताया कि प्रिजन वैन में पीछे कोई भी पुलिसकर्मी नहीं बैठा था। आगे केवल ड्राइवर के साथ एक पुलिस का जवान था। पीछे ताला भी बंद नहीं था। इसी का फायदा उठाकर बाकी कैदी भाग निकले। जब एसएसपी ने 42 कैदियों से पूछा कि तुम लोग क्यों नहीं भागे? तो ज्यादातर ने यही कहा कि भाग कर जाते कहां। पुलिस फिर से पकड़ती और एक और मुकदमा दर्ज कर लेती।

आरआई से पूछा, ऐसा कैसे हुआ

डीआईजी और एसएसपी प्रिजन वैन की सिक्योरिटी की हालत देखकर दंग रह गए। उन्होंने आरआई से पूछा कि मामला क्या है? इनकी सिक्योरिटी की जिम्मेदारी किस पर थी। पुलिस सिक्योरिटी ड्यूटी में लगे एक साथ सबको लॉक अप के बाहर लाइन में खड़ा किया गया। सामने नजर आए सब इंस्पेक्टर डॉक्टर संजय सिंह। संजय सिंह हाल ही में लखनऊ जीआरपी से ट्रांसफर होकर इलाहाबाद पहुंचे थे। आरआई ने बताया कि सब इंस्पेक्टर संजय सिंह पर ही दो प्रिजन वैन की गाडिय़ों की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी थी। पुलिस ऑफिसर ने सिक्योरिटी अरेंजमेंट की हालत जानी तो दंग रह गए। दरअसल सब इंस्पेक्टर संजय को चार कांस्टेबल मिले थे। उसने एक वैन में एक कांस्टेबल को आगे बैठा दिया। दूसरे वैन में अपने तीन कांस्टेबल के साथ ही बैठ गए। दोनों गाडिय़ों को साथ-साथ चलना था। सब इंस्पेक्टर ने प्लानिंग किया था कि वह अपनी गाड़ी लेकर पीछे-पीछे चलेंगे। लेकिन रास्ते में लोचा हो गया। जाने-अंजाने बिना सिक्योरिटी वाली गाड़ी पीछे हो गई। एक सिपाही की सिक्योरिटी में गाड़ी चली और वह सिपाही परमहंस भी गाड़ी में आगे बैठा था।

पुलिसवालों को भेजा गया थाना

सिक्योरिटी में कोई छोटी-मोटी कमी नहीं थी। बल्कि एक बड़ी चूक थी.  इसे सीधे तौर पर चूक भी नहीं  माना जा रहा था। लिहाजा गलती करने वाले पुलिस वालों को सीधे जार्जटाउन थाने भेज दिया गया। उन्हें सीधे तौर पर आरोपी बनाया गया। उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। जांच के बाद मौके पर पुलिस ऑफिसर ने मीडिया को बताया कि 52 कैदी प्रिजन वैन से आ रहे थे। पुलिस की लापरवाही के चलते यह घटना हुई। बताया कि कैदियों को कोर्ट में पेशी में लाने के दौरान पुलिस की ड्यूटी गाड़ी में पीछे बैठना होता है। जबकि यहां ऐसा नहीं हुआ। सिर्फ एक कांस्टेबल ही आगे बैठा था। दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।