प्रयागराज ब्यूरो । अब आप सीएमओ कार्यालय में जाएंगे तो वहां पर आपको सस्ता नाश्ता और खाना भी खाने को मिलेगा। यहां तक कि महिलाएं भी यहां सुकून से भोजन का लुत्फ उठा सकेंगी। दरअसल, सीएमओ कार्यालय में जिले की पहली शक्ति रसोई का संचालन शुरू हो गया है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत इस रसोई की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया गया है। इस कैंटीन में सस्ती दरों पर खाने पीने के आइटम उपलब्ध कराए जाने हैं।

15 अगस्त को हुआ उदघाटन

शक्ति रसोई का उदघाटन 1ृ5 अगस्त के मौके पर नगर निगम डूडा निदेशक वर्तिका सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया जा सकेगा। कैंटीन की संचालिका सोनालिका श्रीवास्तव ने कहा कि यहां सामान्य रेट में खानपान की वस्तुएं उपलब्ध हैं। बता दें कि अभी तक सीएमओ आफिस में काम करने वाली और बाहर से आने वाली महिलाओं को खानपान में दिक्कत होती थी। वह परिसर के बाहर स्थिति दुकानों में भोजन नही कर सकती थीं। इस रसोई के बनने के बाद वह भी परिसर में खानपान का आनंद ले सकेंगी। साथ ही कैंटीन में मौजूद महिलाओं की वजह से उन्हें किसी प्रकार की झिझक का सामना भी नही करना पड़ेगा।

बनारस से हुई थी शुरुआत

सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत प्रदेश के वाराणसी जिले से की गई है। प्रदेश के कुल 16 नगर निगम वाले शहरों में संचालित किए जाने की योजना है। इसके बाद प्रयागराज से संचालन शुरू किया गया है। पहले इस योजना का नाम दीदी कैफे था। मगर बाद में इसका नाम बदलकर शक्ति रसोई कर दिया गया। यहां गरमागरम नाश्ता और खाना महिलाएं तैयार करेंगी। जिसमें राजमा चावल, कढ़ी चावल, पूड़ी सब्जी, ब्रेड पकौड़ा, काफी, चाय, मैगी, छोला भटूरा जैसे खाने पीने के सामान उपलब्ध रहेंगे। बता दें कि प्रयागराज के कुल पांच कार्यालयों और अस्पतालों में इस कैंटीन का संचालन किया जाना है।

किस रेट में मिलेगा कौन सा सामान

कुल्हड़ की चाय- 1्र0 रुपए

बिना कुल्हड़ की चाय- 6 रुपए

बे्रड पकौड़ा- 10 रुपए

मिक्स पकौड़ा- 25 रुपए

छोला भटूरा- 40 रुपए

छोला चावल- 30 रुपए

राजमा चावल- 30 रुपए

सैंडविच- 15 रुपए

रसगुल्ला- 15 रुपए

कॉफी- 15 रुपए

महिलाएं बनाएंगी और परोसेंगी

इस कैंटीन में सबसे अहम यह है कि महिलाएं ही यहां आइटम तैयार करेंगी और वही बिक्री भी करेंगी। अगर आप शक्ति रसोई में खाने जाते हैं तो वही परोसेंगी भी। इसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा। सीएमओ आफिस के पुरुष और महिला कर्मचारियों ने इस पहल को सराहा है। उना कहना है कि अभी तक हमें परिसर से बाहर जाकर खानपान करना पड़ता था। अब हमारे परिसर में यह सुविधा उपलब्ध अच्छी बात है।

अस्पतालों में भी है जरूरत

शहर के पांच सरकारी अस्पतालों में भी शक्ति रसोई की आवश्यकता है। यहां पर कैंटीन नही होने की वजह से मरीज और उनके परिजनों को बाजार से सामान खरीदना पड़ता है। कई बार क्वालिटी अच्छी नही होने और साफ सफाई का ध्यान नही देने से बाजारू वस्तुओं को खाकर लोगों की तबियत भी खराब होती है। माना जा रहा है कि अस्पतालों में यह सुविधा शुरू होने से सभी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव नही पड़ेगा।