प्रयागराज (ब्‍यूरो)। क्या कभी यह बात सोचा है कि जिस बच्चे के लिए पैसा व सम्पत्ति बटोर रहे हैं, कल वही पानी के संकट से जूझने पर आप को दिन रात कोसेंगे? यदि नहीं तो अब भी वक्त है चेत जाइए। क्योंकि आने वाले वक्त में इस शहर के अंदर पेयजल का घोर संकट उत्पन्न होने वाला है। मुफ्त में मिलने वाले जिस पानी का आज मिसयूज कर रहे हैं, उसी पानी के लिए कल नई पीढिय़ों को संघर्ष करना होगा। क्योंकि शहर का भू-गर्भ जल स्तर तेजी से नीचे खिसक रहा है। शहर के कई इलाकों में हालात खतरे के करीब पहुंच भी गए हैं। यह बात हम आप को डराने के लिए नहीं, बल्कि भू-गर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के आधार पर बता और कह रहे हैं। फिर भी भविष्य में पानी के संकट को लेकर बज रही खतरे की घंटी की आवाज तमाम लोगों को सुनाई नहीं दे रही। शायद यही वजह है कि शहर में बनाई गई बहुमंजिला बिल्डिंग्स में वाटर हार्वेस्टिंग बनवाने के बाद लोग मेंटिनेंस पर ध्यान देना भूल गए हैं। यह बात हम दावे से इस लिए कह पा रहे हैं, क्योंकि शुक्रवार को कई सरकारी व पाइवेट बिल्डिंग में खुद अपनी आंखों से देखकर आए हैं।

100 से अधिक हैं बहुमंजिला बिल्डिंग शहरी क्षेत्र के अंदर
300 या अधिक वर्ग मीटर की बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग है अनिवार्य
2008 में अनिवार्य हुई थी तीन सौ वर्ग मीटर बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग
05 लाख की एफडी वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कराया जाता है जमा

भविष्य के लिए ठीक नहीं यह उपेक्षा
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के नक्शा डिपार्टमेंट से जुड़े लोगों की मानें तो शहर के अंदर सौ से अधिक ऐसी बिल्डिंग हैं जिनका एरिया 300 स्क्वायर मीटर या उससे अधिक है। इन सारी बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था निर्माण के वक्त ही करा दी गई है। इसी दावे की हकीकत को परखने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर शुक्रवार दोपहर नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग, कलक्ट्रेट, विकास भवन, जिला कचहरी की बिल्डिंग, यहां तक की पीडीए बिल्डिंग परिसर में जा पहुंचा। नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग को छोड़कर देखने को मिला कि हर जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था है। मगर, इनमें से ज्यादातर बिल्डिंग में बनाई गई रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उपेक्षा के शिकार हैं। जब तक इसे बनाया गया आज तक इसके मेंटिनेंस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऊपर लगाए गए ढक्कन के नीचे की गई व्यवस्थाएं ठीक हैं ऐसे में यह पता कर पाना मुश्किल था।

नक्शा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शर्तें
अंधाधुंध पानी के मिसयूज व दोहन एवं बर्बादी से धरती के नीचे का पानी तेजी से कम हो रहा है। भू-जल गर्भ विभाग की रिपोर्ट को देखते हुए वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था पर जोर दिया गया।
वाटर रिचार्जिंग के लिए बनाई जाने वाली बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जाने पर जोर दिया गया। पीडीए के रजिस्टर्ड
आर्किटेक्ट बताते हैं कि वर्ष 2008 में एक नियम बनाया गया।
इसके तहत 300 स्क्वायर मीटर या इससे ज्यादा एरिया में बनाई जाने वाली कामर्शियल व आवासीय भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य कर दिया गया।
बगैर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था के पीडीए अब बड़ी व बहुमंजिला इमारतों का नक्शा पास नहीं करता।
इतना ही नहीं नक्शा दाखिल करने के बाद पीडीए दो तरह का डिमांड आवेदक को जारी करता है। एक डिमांड या शुल्क नक्शा का बताया जाता है।
दूसरा डिमांड यानी शुल्क उस बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए होता है। इस रेन वाटर हार्वेस्टिंग का डिमांड एफडीआर के रूप में करीब पांच लाख रुपये पीडीए में जमा कराया जाता है।
एफडी का यह पैसा बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बन जाने के बाद रिफंडेबल होता है। पैसा रिफंड की सर्त यह है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग कम्प्लीट होने के बाद भू-गर्भजल विभाग व पीडीए के जेई इसको चेक करते हैं।
जब वह अपनी रिपोर्ट ओके की लगा देते हैं तब ही एफडी का वह पैसा रिफंड होता है। इसी लिए इस डिमांड को एफडीआर कहा जाता है।

यदि ऐसी कंडीशन है तो वाकई में बात गंभीर चिंतन का विषय है। सर्व समाज को इस दिखा में आगे आकर जल संरक्षण पर काम करने की जरूरत है। घरों में महिलाएं काम करते समय कम से कम पानी यूज करें। जहां दो बाल्टी में काम हो सकता है वहां चार बाल्टी बहाने से बचें।
शिवानी राज, कीडगंज

इसकी शुरुआत शहर के हर व्यक्ति को अपने घर और दफ्तर से ही करना होगा। फिर वह महिला हो या पुरुष। जितनी प्यास हो उतना ही पानी ग्लास में लें। फुल ग्लास पानी लेकर आधा छोड़ देने की आदत में चेंज लाना होगा। मुंह हाथ धुलने व नहाते वक्त पानी का बेवजह मिसयूज से बचना होगा।
अर्चना यादव, दारागंज

पानी तो वैसे भी बर्बाद नहीं करना चाहिए। वाटर टैक्स छोड़ दिया जाय तो पानी एक तरह से फ्री में मिलता है। चूंकि फ्री में मिलता है और पानी मिसयूज करने वाली आदत पुरानी है। इसे बदलने के लिए सरकार और प्रशासन को कड़े नियम बनाने होंगे। पानी और हवा के बिना तो कुछ संभव है नहीं।
प्रीती दुबे, गोविंदपुर

महिला हों या पुरुष जब तक कोई चीज आसानी से या मुफ्त मिलती है वे उसकी कीमत नहीं करते। कोरोना काल की स्थिति एक उदाहरण है। पानी तो जीवन का आधार है, हम अपने आधार का ही दुरुपयोग कर रहे हैं। यह बात सभी को समझना होगा।
नूर जहां, सिविल लाइंस


बिल्डिंग्स में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सख्त नियम हैं। बिल्डिंग यदि 300 स्क्वाय मीटर या इससे ज्यादा एरिया में बन रही तो बगैर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के पीडीए से नक्शा ही नहीं पास होगा।
सत्यम त्रिपाठी, आर्कीटेक्ट रजिस्टर्ड पीडीए