- वायरल फीवर की चपेट में तेजी से आ रहे हैं बच्चे

- एक लापरवाही बन रही प्रॉब्लम का रीजन

ALLAHABAD: गर्मियों का मॉर्निग स्कूल बच्चों के लिए बवाल-ए-जान बनता जा रहा है। छुट्टी होने के बाद तेज धूप में घर पहुंचने वाले बच्चे वायरल फीवर का शिकार हो रहे हैं। खुद पैरेंट्स भी नहीं समझ पा रहे कि इस प्रॉब्लम का मेन रीजन क्या है। लगातार हॉस्पिटल पहुंच रहे बच्चों की बढ़ती संख्या इसका जीता-जागता सुबूत है।

नो कोल्ड वाटर एंड नो एसी प्लीज

बच्चों के लगातार वायरल फीवर की चपेट में आने का मेन रीजन कहीं बाहर नहीं बल्कि घर में ही है। मॉर्निग में तो बच्चे फिट होकर स्कूल जाते हैं लेकिन घर लौटने के बाद अचानक उनको तेज फीवर आ जाता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि फ्भ् से ब्0 डिग्री के बीच स्कूल छूटने के बाद बच्चे अक्सर घर आकर फ्रीज का ठंडा पानी पीते हैं या फिर कूलर या एसी के सामने चले जाते हैं.अचानक तापमान बदलने से वो फीवर का शिकार हो जाते हैं। फीवर इतना तेज होता है कि पैरेंट्स परेशान हो जाते हैं।

फ्भ् फीसदी पहुंची मरीजों की संख्या

हॉस्पिटल्स की ओपीडी में इस समय वायरल फीवर से परेशान बच्चों की संख्या फ्भ् फीसदी से ऊपर जा चुकी है। खासतौर से तीन से दस साल की एजग्रुप के बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। एक बार चपेट में आने के बाद पांच से सात दिन तक फीवर पीछा नहीं छोड़ता है। जिन बच्चों की इम्युनिटी पॉवर बेहतर है वह वायरल इंफेक्शन से बच जाते हैं लेकिन बाकी को बीमारी में मजबूरन बेड रेस्ट करना पड़ता है। इसके अलावा मौसम में बदलाव भी वायरल फीवर फैलाने में मददगार साबित हो रहा है।

वायरल फीवर आए तो यह करें

- गीले कपड़े से बदन को पोछें।

- किसी तरह की दवा देने से बचें, पहले डॉक्टर को दिखाएं।

- बच्चों की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए सीजनली हरी सब्जियां और फल खाने को दें।

- स्कूल से आने के बाद तुरंत एसी, कूलर एक्सपोजर या पीने को ठंडा देने से बचें।

-कई बार पैरेंट्स भी नहीं समझ पाते कि अचानक फीवर कैसे आ गया। स्कूल से आने के बाद ठंडा पानी पीना या सीधे एसी के सामने जाना खतरनाक साबित हो सकता है। बच्चों को ऐसी आदतों से बचाकर रखें।

डॉ। मनीष चौरसिया, चाइल्ड स्पेशलिस्ट

-ओपीडी में वायरल फीवर से पीडि़त बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस सीजन में उनको तेज धूप और ठंडी चीजों से बचाकर रखना होगा। यह फीवर पांच से सात दिन तक मरीज का पीछा नहीं छोड़ता।

डॉ। यूसी द्विवेदी, चाइल्ड स्पेशलिस्ट