कुंभ के दौरान मची भगदड़ में फंसकर हुई थी घायल

चार साल बाद भी नहीं आया कोई अपना, मरीजों का बड़ा सहारा थीं

दो दिन तक एसआरएन में पड़ी रही बाडी

ALLAHABAD: 2012 में आयोजित कुंभ के दूसरे स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दिन इलाहाबाद जंक्शन पर मची भगदड़ में जख्मी गीता देवी ने अपनो के इंतजार में आखिरकार दम तोड़ दिया। अपनों ने तो उसे पहले ही बेगाना कर दिया था। चार साल अस्पताल में रहने के दौरान जिन्हें उन्होंने अपना बनाया उन्होंने भी मुंह मोड़ लिया। नतीजा दो दिन तक उनकी बॉडी हॉस्पिटल में ही लावारिस पड़ी रही। स्थानीय लोगों की सूचना पर सोमवार को पुलिस एक्टिव हुई और उसे कब्जे में लेकर कार्रवाई शुरू की।

कोलकाता की रहने वाली थी

कोलकाता के दही घाट की रहने वाली गीता देवी वर्ष 2012 के कुंभ में त्रिवेणी स्नान के लिए आयी थी। उनके साथ वहां के कई अन्य लोग भी थे। स्नान के बाद वह दस फरवरी को इलाहाबाद जंक्शन घर वापस जाने के लिए पहुंची थी। तभी स्टेशन पर अचानक भगदड़ की स्थिति बन गई। इसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। गीता भी गंभीर रूप से घायल थी। पुलिस ने उन्हें इलाज के लिए एसआरएन में भर्ती कराया। इसकी सूचना उनके घर तक पहुंचा दी गई। लेकिन, सही होने के बाद उनके कभी उनके परिवार के सदस्यों ने खबर लेना उचित नहीं समझा। अपने हौसले के साथ वह हास्पिटल में ही रहकर लावारिश रोगियों की मदद की ठानी और दिन रात वह लोगों की सेवा में जुट रही।

कोई नही मिला अपना

बेसहारों की सेवा भाव से मदद करने वाली गीता देवी का निधन दो दिन पहले हुआ था। बताया गया है कि दो दिन तक उनकी बाडी हास्पिटल के एक कक्ष किनारे पड़ी रही। किसी ने भी उनकी सुध लेने की नहीं सोची। जब शव से बदबू उठने लगी, तो अस्पताल प्रशासन को गीता के दम तोड़ देने का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना एनआरएन पुलिस चौकी को दी। जहां से पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। पुलिस का कहना है कि गीता की बॉडी को उनके पैतृक निवास कोलकाता भेजा जाएगा। इसका इंतेजाम किया जा रहा है।