- आम आवाज की संस्थापक फहीमा यासमीन ने सीएम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं के हक की मांग की

BAREILLY:

तलाक, हलाला के लिए जिस तरह मुस्लिम समाज के मर्दो को ताकत दी गई है। उसी तरह अब शरिया कानून के हवाले से मुस्लिम औरतों को भी खुला का अधिकार की मांग शहर में उठने लगी है। ट्यूजडे को आम आवाज ऑर्गनाइजेशन की संस्थापक फहीमा यासमीन ने मुस्लिम महिलाओं के हक में यह आवाज उठाई है। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से फहीमा यासमीन ने पीडि़त मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए खुला का अधिकार दिए जाने को कहा है। ताकि, उनका शोषण न हो सके।

तलाक देने का हक औरताें का भी

फहीमा का कहना है कि कई दफा मर्द औरत में अनबन होने पर बात तलाक तक पहुंच जाती है। औरत की गलती न होने पर भी मर्द औरत को तलाक दे देता है। आदमी की गलती होती है, तो औरत चाह कर भी तलाक नहीं दे सकती। लिहाजा, उसे मर्द के जुल्मों का सहना पड़ता है। शरिया कानून के हिसाब से औरत अपने शौहर से तलाक लिये बिना दूसरी शादी नहीं कर सकती, लेकिन शरियत के हिसाब से मर्द को यह इजाजत है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से यह गुजारिश है कि औरतों को भी खुला का अधिकार मिले। ताकि, मर्दो को भी औरत से तलाक दिए जाने का उतना ही डर हो जितना मुस्लिम महिलाओं को होता है।

सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

आम आवाज आर्गनाइजेशन ने सीएम से भी गुहार लगाई है। सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम फहीमा यासमीन ने ट्यूजडे को बिथरी चैनपुर के विधायक पप्पू भरतौल को ज्ञापन सौंपा। फहीमा कहना है कि बरेली में कुछ महिलाएं जो कि तलाकशुदा है हलाला और तलाक के विवाद में फंसी है, जिस कारण अपना और बच्चों की परवरिश नहीं कर पा रही है। तलाकशुदा होने के कारण उन्हें ससुराल से निकाल दिया जाता है, और वह आर्थिक व मानसिक रूप से टूट जाती हैं। कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते है। सामाजिक शोषण ही नहीं होता बल्कि, उसका हर कदम पर मानसिक शोषण भी होता है। आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। सरकार की ओर से ऐसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार मुहैया कराए जाए।