बरेली (ब्यूरो)। कहते हैैं पढ़ी-लिखी मां सात पीढिय़ों को शिक्षित कर जाती हैैं। बरेली कॉलेज में हुए एक सर्वे से जो नतीजे निकल कर आए हैैं वो बताते हैैं कि आज की पढ़ी-लिखी मां अपनी एजूकेशन को यूटिलाइज नहीं कर पा रही हैैं। ऐसी महिलाओं का परसेंटेज 70 फीसदी के आसपास है।

क्या कहता है सर्वे
बरेली कॉलेज के स्टूडेंट्स ने स्माल साइज सैैंपल कलैक्ट किया। महिलाओं से बातचीत की गई तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैैं। सर्वे से पता चला कि ज्यादातर महिलाएं अपनी पढ़ाई-लिखाई के सदुपयोग को लेकर ज्यादा एक्टिव नहीं हैैं। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट होने के बावजूद वह अपनी नॉलेज का यूज नहीं कर पा रही हैैं। यहां तक कि वेल एजुकेटेड होने के बावजूद वे अपनेे बच्चों को पढ़ाने के लिए भी समय नहीं निकाल पाती हैैं। यहां तक कि छोटी क्लास के बच्चे भी ट्यूशन पढऩे के लिए बाहर जाते हैैं।

किन इलाकों में हुआ सर्वे
यह सर्वे बरेली की कुछ प्रमुख जगहों पर किया गया। इनमें सिविल लाइंस, रामपुर बाग, राजेंद्र नगर, बिहारीपुर में किया गया।

क्या था सर्वे का मकसद
सर्वे के जरिए महिलाओं को अपनी की गई पढ़ाई के लिए अवेयर करना था। इससे वे अपनी की गई मेहनत का सदुपयोग कर सकें। ज्यादातर पॉश इलाके में यह सर्वे किया गया। यहां लगभग 30 प्रतिशत वीमेन किसी न किसी ऑकुपेशन को ओप्ट की हुई थीं। वहीं 70 प्रतिशत वीमेन पढ़ाई के बावजूद भी किसी फील्ड को औप्ट नहीं किया। इसकी दो वजह हो सकती हैैं जैसे कि रोजगार का न मिल पाना या फिर स्वेच्छा।

आखिर वीमेन बिजी कहां हैं
उच्च शिक्षा होने के बावजूद भी वे घर को वेल मेंटेन करने में मदद नहीं कर पाती हैं। महिलाएं बच्चों को खुद पढ़ाने के बजाए ट्यूशन और ट्यूटर पर डिपेंडेंट होती जा रही हैैं। उनके पास अपने बच्चों को देने के लिए समय तक नहीं हैै। सर्वे में पाया गया टीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया और गैदरिंग में ही अपनी डेली लाइफ बिता दे रहीं हैैं। जो आने वाले समय में एक खतरनाक ट्रेंड साबित हो सकता है, क्योंकि परिवार में बढ़ती संवादहीनता इसकी मुख्य वजह हैैं। कई बार भले ही कम लिट्रेट वीमेन अपने बच्चे के डेली वर्क, परिवार में कनैक्टिविटी मैंटेन करनी की कोशिश करती हैैं। इससे फैमली में कम्यूनिकेशन गैप न हो।

क्या है विमेन की हॉबी

फैसबुक - 5 पर्सेंट
ट्विटर- 0.1 पर्सेंट
न्यूज- 12 पर्सेंट
म्यूजिक- 19 पर्सेंट
डांस- 11 पर्सेंट
गेम- 7 पर्सेंट
शौपिंग- 18 पर्सेंट
मूवी- 17 पर्सेंट
किटी- 11 पर्सेंट

जनरल इंट्रैस्ट
स्पोर्ट- 25 पर्सेंट
पॉलिटिक्स- 12 पर्सेंट
शेयर मार्केटिंग- 4 पर्सेंट
सोशल वर्क- 14 पर्सेंट
एनी अदर- 45 पर्सेंट

एमएससी के स्टूडेंट्स को सर्वे करने की जिम्मेदारी दी गई। इसमें यह पाया गया कि महिलाएं अपना ज्यादातर समय टीवी, इंरनेट, सोशल मीडिया और गैदरिंंग में ही गुजार देती हैैं। इस सर्वे का मोटिव लोगों को जागरूक करना हैै।
डॉ। शुभ्रा कटारा, एचओडी, स्टेटिस्टिक डिपार्टमेंट

मुझे ऐसा लगता है कि यह सच बात है कि महिलाएं खुद के लिए ज्यादा समय दे रही हैैं। इसकी वजह यह भी हो सकती है कि बच्चे भी पैरेंट्स को टाइम नहीं दे रहे हैैं। इसका इम्पैक्ट दोनों पर ही पड़ रहा हैै।
रचना शर्मा, टीचर

यह सही है कि लोग सोशली ज्यादा एक्टिव हो गए हैं। गैदरिंग करने में ज्यादा इंवॉलव हो रहे हैं। इसकी वजह घर में अकेला होना या परिवार का देर से आना हो सकता हैैं।
बेबी शुक्ला, हाउस वाइफ

वर्किंग वीमेन का तो ज्यादा टाइम काम में ही निकाल जाता हैै, लेकिन वे जिनके पास अपार पैसा है वे उसका यूज कैसे करें तो इसके लिए वे कई साधन ढूंढती हैैं। बस किसी चीज की अति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसका असर उनकी फैमली, बच्चों पर पड़ता है।
डॉ। रुचि अग्रवाल, प्रोफेसर