- ट्रेनी इंजीनियर की हालत में मामूली सुधार, लेकिन पूरी तरह होश में नहीं

BAREILLY: चंद रुपए लूटने के लिए चलती ट्रेन से नीचे फेंक दी गई ट्रेनी इंजीनियर जागृति शर्मा और उसके परिजनों के लिए संडे की सुबह राहत संग उम्मीदों भरी रही। श्रीनाथ मेडिसिटी के आईसीयू वार्ड में जिंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रही जागृति ने 56 घंटे बाद अपनी आंखें खोल दी है। फ्राइडे सुबह करीब 5 बजे भोजीपुरा स्टेशन के आगे लखनऊ-काठगोदाम एक्सप्रेस में किच्छा के लिए सफर कर रही जागृति को बदमाश ने पर्स छीनने के बाद ट्रेन से धक्का दे दिया था। संडे को सुबह 10.37 बजे के करीब जागृति के शरीर में हरकत होनी शुरू हो गई। वहीं परिजन और स्टाफ के पुकारने पर जागृति ने रिस्पांड करना शुरू कर दिया है। हालांकि जागृति पूरी तरह से होश में नहीं है। लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही।

ब्रेन ओरिएंटेशन शुरू

हॉस्पिटल में हर पल आईसीयू वार्ड के बाहर बैठे पिता सुमन प्रकाश शर्मा ने अपनी बेटी की हालत में थोड़ा सुधार होने पर ही बड़ी राहत की सांस ली है। बदमाश से संघर्ष करने वाली बहादुर बिटिया के पिता ने बताया कि नाम पुकारने पर जागृति देख रही और इशारों में बात सुनने-समझने की बात बता रही। एक दिन पहले तक जागृति का ब्रेन डिसओरिएंटेड कंडीशन में था। न तो उसे समय व जगह का अहसास था। न ही लोगों को पहचान पा रही थी। लेकिन संडे को जागृति का ब्रेन ओरिएंटेशन शुरू हो गया। पिता ने बताया कि जागृति का इलाज कर रहे न्यूरो सर्जन डॉ। सुधीर गुप्ता ने सुधार होने और बेटी के खतरे से फिलहाल बाहर होने की बात कही है।