एआरटी सेंटर तक पहुंचने को 100 रुपए प्रति महीना भत्ता मिलना था

1799 एड्स व एचआईवी मरीज प्रभावित, बजट भी आधे से कम मिला

BAREILLY:

एड्स व एचआईवी पीडि़तों को रेगुलर दवाएं मुहैया कराने की दिशा में सरकार की एक बेहतरीन मुहिम बरेली में पिछड़ गई है। एक साल पहले एड्स व एचआईवी पीडि़तों को हर महीने 100 रुपए किराया भत्ता दिए जाने की सुविधा शुरू हुई थी। इस मुहिम का मकसद एड्स व एचआईवी पीडि़तों को हर महीने एआरटी सेंटर तक जाने और दवा लेने को मोटिवेट करना था। जिससे मरीजों को अपने इलाज व दवाओं के लिए किराए खर्च की मुश्किल से भी राहत दी जा सके। एआरटी से रजिस्टर्ड 1799 एड्स व एचआईवी मरीजों को इस सुविधा का फायदा मिलना है, लेकिन अप्रैल 2016 से लेकर फरवरी 2017 तक 11 महीने बीत जाने के बावजूद एक भी एड्स व एचआईवी मरीज के खाते में किराया भत्ता का एक रुपया भी नहीं पहुंच सका है।

प्लानिंग में रहे फिसड्डी

2016 के आगाज में ही हर महीने एड्स व एचआईवी मरीजों को किराया भत्ता सुविधा दिए जाने का ऐलान कर दिया गया था। सभी एआरटी को इस बाबत निर्देश जारी कर मरीजों के बैंक खाते की डिटेल्स की रिपोर्ट भी तलब कर ली गई। लेकिन प्लानिंग को एग्जिक्यूट करने में यूपीसैक्स नाकाम रहा। शुरू में एआरटी सेंटर के जरिए ही एड्स व एचआईवी मरीजों के बैंक खातों में हर महीने किराया भत्ता दिया जाना तय हुआ। इसके लिए एआरटी को संबंधित सीएमएस व नोडल ऑफिसर से अप्रवूल लेना था, लेकिन बाद में इस सुविधा को अचानक पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम, पीएफएमएस के जरिए शुरू करने का फैसला हुआ। इसी कवायद में देरी के चलते मरीजों को भत्ता ही न मिला।

एआरटी मरीजों को प्राथमिकता

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में स्थित बरेली एआरटी सेंटर में 1 मार्च 2017 तक कुल 1799 एड्स व एचआईवी मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 1247 मरीज एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी, एआरटी का इलाज करा रहे हैं, जिन्हें हर महीने एआरटी सेंटर तक एक बार पहुंचकर महीने भर की दवा लेना जरूरी है। वहीं 552 मरीज प्री एआरटी मरीज हैं, जिन्हें हर 6 महीने में एक बार एआरटी सेंटर पहुंचकर जांच व दवा लेनी होती है। एआरटी सेंटर की ओर से इन मरीजों को अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 तक पिछले 10 महीने का ही किराया भत्ता एक साथ उनके बैंक खाते में भेजने की कवायद चल रही है। इनमें भी एआरटी मरीजों को भत्ता देने में प्राथमिकता दी जा रही है, जो हर महीने एआरटी सेंटर पहंुचे हैं।

35 मरीजों का रिकॉर्ड अपडेट

2016-17 फाइनेंशियल ईयर खत्म होने में मार्च रह गया है, लेकिन 1 मार्च तक 1799 एड्स व एचआईवी मरीजों में से महज 35 का ही रिकार्ड प्रोसेसिंग के बाद अपडेट किया जा सका है। एआरटी सेंटर में एड्स व एचआईवी मरीजों की बैंक डिटेल्स में नाम, खाता नम्बर और बैंक का आईएफएससी कोड अपलोड करने के बाद क्रॉस चेक के लिए बैंक से वैलिडेशन प्रोसेस पूरी की जा रही है। इसमें खासा समय लग रहा है, जबकि स्टाफ कम है। यह डाटा अपलोड करने के बाद सीएमएस से अप्रूवल के बाद बैंक एड्स व एचआईवी मरीजों के खातों में रकम भेजने की प्रोसेस पूरी करेंगे।

अधूरा बजट भ्ाी परेशानी

बरेली एआरटी सेंटर के एड्स व एचआईवी मरीजों के किराया भत्ता के लिए बजट की पहली किस्त में करीब 3.94 लाख रुपए जारी हुए हैं, जो एआरटी के मरीजों के 10 महीने के भत्ते के लिए ही नाकाफी हैं.1247 रजिस्टर्ड एआरटी का इलाज करा रहे मरीजों में से सिर्फ 1000 को भी 10 महीने का 100 रुपए प्रति महीने के हिसाब से किराया भत्ता दिया जाए तो यह रकम 10 लाख होती है, जो जारी बजट से तीन गुना है। हालांकि 7.78 लाख की दूसरी किस्त भी जारी होनी बाकी है। लेकिन इस बजट के बावजूद प्रीआरटी का इलाज करा रहे अन्य 552 मरीजों को साल में दो बार का किराया भत्ता देने में मुश्किल होगी।

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देरी के चलते एड्स व एचआईवी मरीजों को हर महीने मिलने वाला 100 रुपया किराया भत्ता न दिया जा सका। यह प्रोसेस शुरू हो गई है। मार्च खत्म होने से पहले सभी मरीजों के बैंक खातों में उनकी रकम भेज दी जाएगी। बजट की दिक्कत नहीं हैं। जरूरत के मुताबिक बजट मिल जाएगा।

- मनोज वर्मा, डाटा मैनेजर, एआरटी बरेली