महज 6 महीने से कम कार्यकाल के चलते पार्षदों में घटी दिलचस्पी
29 अगस्त को है चुनाव, सभी पार्टियों ने क्रॉस वोटिंग पर दी चेतावनी
BAREILLY:
जिस नगर निगम की कार्यकारिणी में जगह पाने के लिए पार्षदों की खरीद-फरोख्त का खुले-आम खेल होता है। उसी कार्यकारिणी के लिए पार्षदों के दिल में एकाएक दिलचस्पी खत्म होती दिख रही है। 29 अगस्त को होने वाले कार्यकारिणी के चुनाव के लिए निगम के दो प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व सपा से किसी भी पार्षद ने आवेदन ही नहीं किया है। जहां महीनों पहले ही कार्यकारिणी सदस्य बनने की चाह में अपनी और विरोधी पार्टियों के पार्षदों के वोट जुटाने की जंग शुरू हो जाती हो, वहां चुनाव से महज 11 दिन पहले तक पार्षदों का आवेदन भी न करना हैरत की बात है। इसकी असली वजह नई कार्यकारिणी का कार्यकाल महज कुछ महीनों का ही होना है।
चंद महीनों की कार्यकारिणी
29 अगस्त को चुनाव होने के बावजूद नई कार्यकारिणी की पहली बैठक अक्टूबर से पहले न होगी। इसके बाद जनवरी 2017 में ही आगामी विधान सभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने की संभावना है। इसके चलते कार्यकारिणी की बैठक न हो सकेगी, न ही प्रस्तावों पर मुहर लगाई जा सकेगी। विधानसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव होने है। इसके लिए भी आचार संहिता लागू होते ही कार्यकारिणी व बोर्ड दोनों की बैठक न हो सकेंगी। ऐसे में महज 6 महीने से भी कम समय तक कार्यकारिणी चलेगी। कार्यकारिणी का समय करीब आधा या इससे भी कम का होने के चलते ज्यादातर पार्षद चुनाव से बेरुखी दिखा रहे।
इस तरह होता है गठन
निगम की कार्यकारिणी में 12 सदस्य होते हैं। जिनका चुनाव बोर्ड के कुल 70 पार्षदों और पदेन सदस्य के रूप में सांसद, विधायक व एमएलसी के वोटो के जरिए होता है। कार्यकारिणी का कार्यकाल एक साल के लिए होता है। हर बार चुनाव में 6 सदस्यों के लिए वोटिंग होती है। यानि हर चुनाव में 12 में से 6 सदस्य ही अपना कार्यकाल पूरा होने पर कार्यकारिणी से बाहर होते है। जिनकी जगह चुनाव में जीते नए सदस्य लेते हैं। 12 सदस्यों में से ही वोटिंग के आधार पर कार्यकारिणी के उपसभापति का चुनाव होता है।
नुकसान ने रोके कदम
कार्यकारिणी चुनाव की दावेदारी करना बड़े खर्चे का सौदा है। सोर्सेज के मुताबिक एक-एक वोट जुटाने को उम्मीदवार को खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। जीत के लिए विरोधी पार्टियों से क्रॉस वोटिंग कराने और अपने वोट टूटने से बचाने को उम्मीदवार लाखों खर्च करते हैं। ऐसे में नई कार्यकारिणी का कार्यकाल महज 6 महीने या इससे भी कम होने की सूरत में इतना खर्च करने से पार्षद कतरा रहे हैं। यही वजह है कि सपा व भाजपा से कार्यकारिणी के लिए आवेदन नहीं किया गया है।
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कार्यकारिणी एक नजर में
12 सदस्य
टोटल 70 पार्षद
6 का होना चुनाव
एमपी, एमएलए व एमएलसी पदेन
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यह सच है कि नई कार्यकारिणी का कार्यकाल महज कुछ महीनों का ही होगा। एक-दो पार्षदों ने इच्छा जताई है, लेकिन किसी ने आवेदन नहीं किया है। पार्षदों की दिलचस्पी नहीं दिख रही इस बार।
- राजेश अग्रवाल, सपा पार्षद नेता
पार्टी में अभी किसी ने कार्यकारिणी चुनाव के लिए आवेदन नहीं किया है। इसमें अभी समय है। पार्टी की सहमति से उम्मीदवार तय होंगे। कार्यकारिणी चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने पर कड़ी चेतावनी दी गई है।
- विकास शर्मा, भाजपा पार्षद नेता