BAREILLY NEWS : कैंसर की भयावहता से सब ही लोग परिचित हैं। भगवान न करे कभी किसी को यह बीमारी अपनी चपेट में ले। हालांकि सब इतने खुशकिस्मत नहीं होते। बीमारियों का इलाज कराते समय अचानक उन्हें कैंसर होने की जानकारी होती है। ऐसे में पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है और आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। मरीज के साथ यह ही हाल घरवालों का भी होता है। फिर भी कुछ लोग हिम्मत रखते हैं। इस भयंकर और लाइलाज कही जाने वाली बीमारी से लड़ते हैं और जीतते भी हैं। फिर स्वस्थ होकर जिंदगी को इस तरह गुजारते हैं, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो। कैंसर से लडक़र जीतने वाले ऐसे ही कुछ योद्धाओं से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बता कीं। पढि़ए पूरी रिपोर्ट

बोले कैंसर को मात देने वाले मरीज
केस 1
नगर की रहने वाली नीतू ने बताया कि 2014 में उनकी तबियत खराब हुई। जांच कराई तो पता चला कि यूट्रस में कैंसर है। 7-8 महीने इधर-उधर इलाज के बाद निजी मेडिकल कॉलेज पहुंची, जहां पर ऑपरेशन हुआ। काफी परेशानी मेरे साथ परिवार ने भी उठाई, लेकिन अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं और साल भर में एक बार नियमित जांच करवाती हूं। कैंसर से घबराने के बजाय इलाज जरूरी है।

केस 2
सुदर्शन ने बताया कि 12 वर्ष पहले खाने में दिक्कत शुरू हुई। जांच में कैंसर होने का पता चला। इसकी जानकारी होने पर इलाज के लिए शहर के निजी मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो वहां पर ऑपरेशन किया गया। करीब डेढ़ महीने वहां पर ही रहना पड़ा। अब हम पूरी तरह स्वस्थ हैं। कैंसर जैसी बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। शहर के मेडिकल कॉलेजेज में भी इसका इलाज संभव है

केस 3
सुषमा ने बताया कि वह पान मसाला खाती थीं। आठ वर्ष पहले खाना खाने में दिक्कत शुरू हुई। जांच में मुंह का कैंसर होने की जानकारी मिली। इलाज के लिए अस्पताल गई। वहां डॉक्टर ने निजी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया, जहां पर कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी गई। ट्रीटमेंट शुरू हुआ और आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। मेरी दिनचर्या सामान्य है। कैंसर से घबराने की जरूरत नहीं है।

क्यों होता है कैंसर
कैंसर खुद में कोई बीमारी नहीं, बल्कि कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है। यह शरीर के किसी भी अंग में, कभी भी और किसी भी उम्र हो सकती है। यह वृद्धि एक अंग से होती हुई शरीर के दूसरे भाग को भी प्रभावित कर सकती है। शरीर का न भरने वाला घाव, किसी अंग विशेष में लगातार दर्द, तेजी से बढ़ रही गांठ कैंसर की वजह हो सकती है। हां हर गांठ कैंसर नहीं होती। अस्वास्थ्यकर खानपान, जीवनशैली और प्रदूषण कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनसे बचाव और जागरूकता कैंसर रोकने में कारगर है।

डराते हैं कैंसर के ये भयावह आंकड़े
एक सर्वे के अनुसार भारत में प्रति मिनट सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की मृत्यु।
देश में प्रति मिनट दो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है और एक की मौत हो जाती है।
देश में तंबाकू की वजह से मुंह के कैंसर से प्रतिदिन 3500 लोगों की मृत्यु।
वर्ष 2018 में कैंसर से कुल 7,84,921 लोगों की मौत।
धुएं (बीड़ी, सिगरेट के धुएं सहित) से वर्ष 2018 में 3,17,928 लोगों की मौत।
कैंसर से मरने वाले पुरुषों में सबसे ज्यादा 25 परसेंट वजह मुंह और फेफड़ों का कैंसर, जबकि महिलाओं में सबसे ज्यादा 25 परसेंट वजह मुंह और ब्रेस्ट कैंसर।

डॉक्टर बोले बचाव एकमात्र उपाय
एसआरएमएस के कैंसर विशेषज्ञ डॉ। पियूष कुमार अग्रवाल ने बताया कि कैंसर लाइलाज नहीं है। बस जागरूकता की कमी से लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। शुरूआती चरणों में इस भयानक बीमारी पर काबू करना पूरी तरह संभव है। इसकी जांच के लिए बायोप्सी कराने से लोग डरते हैं। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को लेकर गलत धारणाओं से लोग इसके इलाज से बचते हैं। इस लापरवाही से यह बीमारी अंतिम चरण में पहुंच कर लाइलाज हो जाती है। यदि समय से जांच और इलाज कराया जाए तो इसे प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है और इसका पूरी तरह इलाज संभव है।