बरेली (ब्यूरो)। अलग-अलग गेम्स में अपने दमखम से इंटरनेशनल लेवल पर मुकाम हासिल कर चुके प्लेयर्स देश में लाखों दूसरे प्लेयर्स को इंस्पायर करते हैं। इनमें कई ऐसे नए प्लेयर्स भी होते हैं जो उन सफल प्लेयर्स के गेम में ही अपना करियर बनाने की ठान लेते हैं। इसका जोश भी उनके भीतर हाई रहता है, पर इस जोश को बरकरार रखना हर किसी के लिए संभव नहीं होता है। वेट लिफ्टिंग में ओलंपिक पदक विजेता रही मीराबाई चानू जैसी ही दूसरी फेमस वेट लिफ्टर से प्रेरित होकर शहर की कई गल्र्स भी इस गेम में मुकाम हासिल करने का सपना संजो लेती हैं। इसके बाद वह स्टेडियम में वेट लिफ्टिंग गेम में अपना रजिस्ट्रेशन कराकर पूरे जोश के साथ प्रैक्टिस भी स्टार्ट कर देती हैं। कुछ महीनों तक तो वह अपने प्रैक्टिस को लेकर काफी सिरियस रहती हैं, पर उनकी यह सीरियनेस बहुत लंबे समय तक नहीं रहती है। इनमें से अधिकांश प्लेयर्स का जोश एक साल में ही दम तोड़ देता है और उसके बाद वह गेम से ही पल्ला झाड़ लेती हैं।

सोच समझकर लेंगे एडमिशन
स्पोट्र्स कोच हरि शंकर ने बताया कि हर साल गल्र्स की संख्या घटती चली जाती है। शुरू में तो इनकी संख्या अधिक रहती है, पर जैसे-जैसे टाइम बीतता जाता है तो यह संख्या भी घटती चली जाती है। इससे न सिर्फ उनका, बल्कि स्पोट्र्स का भी नुकसान हो रहा है। अब वेट लिफ्टिंग में गल्र्स प्लेयर का रजिस्ट्रेशन उनकी गेम के प्रति समर्पण को देखकर ही किया जाएगा।

हर दिन नहीं आते प्रेक्टिस पर
कहते हैं कि प्रैक्टिस मेक्स अ मेन परफेक्ट, पर जब इसके लिए प्रैक्टिस में रेगुलरटी होनी चाहिए। कोच ने बताया कि कई बार प्लेयर्स डेली प्रैक्टिस के लिए भी नहीं आती हैं। वहीं हफ्ते में दो, तीन, चार दिन जब मन होता है तब आती हैं और जब मन नहीं होता है तो नहीं आती हैैं। इसके अलावा स्पोट्र्स में कुछ फिक्स डाइट और रुटीन भी फॉलो करना होता है। इससे ही गेम बेटर और ऑर्गेनाइज हो पाता है।

स्पोट्र्स कोटा से चांस
प्लेयर्स के लिए सरकार की ओर से कई सारे प्लान हैं। यही वजह है कि अब सरकार हर जगह स्पोट्र्स में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया करा रही है। बरेली में भी स्पोट्र्स का इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से काफी बेहतर हो गया है। इसके बाद भी स्पोट्र्स में बहुत कुछ होना बांकी है। वर्तमान में स्टेडियम में कई गेम्स में परमानेंट कोच नहीं हैं। वहीं फरवरी, मार्च में संविदा पर रखे जाने वाले कोच को भी दो महीने का ब्रेक भी दे दिया जाता है। इससे प्लेयर्स की प्रेक्टिस भी प्रभावित होती है।

अभी सिर्फ पांच गल्र्स
कोच हरिशंकर ने कहा कि स्टेडियम में अभी सिर्फ पांच गल्र्स ही प्रैक्टिस के लिए आ रही हैैं। इनमें से शैफाली एक टॉप प्लेयर के रूप में है, जो लगातार प्रैक्टिस के लिए आती है। इसके अलावा कुछ प्लेयर्स ही ऐसी हैं जो वेट लिफ्टिंग को एज अ करियर देख रही हैैं। गल्र्स के लिए आज भी सेफ्टी एक मेजर कंसर्न है। स्टेडियम में खेलने आ रही गल्र्स से बात की तो उन्होंने बताया कि टाइम और कहीं जाना-आना आज भी उनके लिए एक बाधा है। सेफ्टी प्वाइंट ऑफ व्यू से कई बार उनके कदम रुक जाते हैैं। कितना भी बोल लें कि गल्र्स के लिए शहर सेफ है, लेकिन आज भी कहीं न कहीं ऐसा नहीं है।

मोबाइल की लत से भी बचाव
आज के टाइम पर छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल में डूबे हुए कहीं भी देखा जा सकता है। कई बच्चे तो दिन का अधिकांश टाइम मोबाइल में बिता रहे हैं। ऐसे में वह किसी न किसी हेल्थ प्रॉब्लम का शिकार हो जाते हैं। अगर बच्चा एक्टिव होकर किसी स्पोर्ट पर ध्यान देता है, तो उनका माइंड फ्रे श और शार्प होता है। इसके अलावा खेलने से मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं। स्पोर्ट खेलने से कार्डियो-वैस्कुलर फं क्शन भी अच्छा हो जाता है।