बरेली (ब्यूरो)। भारतीय संस्कृति में विवाह समारोह किसी उत्सव से कम नहीं होते हैं। विवाह के रस्म मस्ती-मजाक से भरपूर होते हैं, लेकिन साथ ही साथ इसका एक गंभीर पक्ष भी होता है। भारत के विवाह समारोह अपनी रस्मों के कारण विदेशों तक में मशहूर है, इसलिए कई विदेशी यहां सिर्फ शादियां देखने के लिए आते हैं। हमारी परंपराओं के प्रति उनका इतना चार्म है कि कई विदेशी भारत में आकर यहां की परंपराओं के अनुसार वेद मंत्रों के साथ विधि-विधान से अग्नि को साक्षी मान कर दांपत्य बंधन में बंधते हैं। अलग-अलग समाज और धर्म की मान्यता और आस्था यहां की शादियों की खूबसूरती को बढ़ा देती है। इसे जश्न की तरह मनाया जाता है ताकि यह सबके लिए यादगार लम्हा बन सके। हममें से अधिकांश लोग रीति-रिवाजों की गंभीरता को समझ नहीं पाते हैं। भले ही हल्दी और वरमाला हो या जूता चुराई की रस्म, हर परंपरा के पीछे अपना एक कारण छिपा हुआ है। आइए आज हम आपको बताते हैं शादी के दौरान अदा की जाने वाली सबसे खूबसूरत और चुटीली रस्म जूता चुराई के बारे में

सिर्फ पैसा लेना उद्देश्य नहीं
जूता चुराई की यह रस्म हिंदू-मुस्लिम दोनों संप्रदायों में निभाई जाती है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि यह रस्म सिर्फ पैसे और मस्ती-मजाक के लिए नहीं की जाती है, जो आज इसकी एकमात्र पहचान बनकर रह गई है। वैसे तो दुल्हन की बहनें और सहेलियां हर समय दूल्हे के जूते चुराने की फिराक में लगी रहती हैं, लेकिन उन्हें यह मौका सिर्फ तब ही मिलता है, जब वह मंडप पर पहुंच जाता है। क्योंकि यहां पंडित मंत्रों का उच्चारण करके शादी कराते हैं, इसलिए दूल्हे को अपने जूते उतारकर बैठना होता है। इसी समय सालियां जूते चुरा लेती हैं और इसे वापस करने के लिए पैसे मांगती हैं या अपनी कोई मनपसंद चीज दूल्हे से मांगती हैं। यह पूरी रस्म बहुत मस्ती-मजाक और चालाकी से भरी होता है, क्योंकि दूल्हे के दोस्त जूते को बचाने की कोशिश में लगे होते हैं।

क्यों छिपाए जाते हैं दूल्हे के जूते
दरअसल इस रस्म के माध्यम से दूल्हे की समझदारी और धैर्य का पता चलता है। यह देखा जाता है कि किस तरह वह बिना किसी को दुखी किए अपने जूतों को वापस लेता है। अगर दूल्हा एक बार में ही साली की डिमांड मान ले तो समझा जाता है कि वह बहुत ही सीधा है और उसे अपने लोगों को खुश रखना आता है। वहीं जो दूल्हा बहुत चालाकी से बिना कुछ दिए, अपने जूते वापस ले ले, वो भी बिना किसी का दिल दुखाए तो उसे बहुत चालाक समझा जाता है। कभी आपने सोचा है कि दूल्हे की पहचान उसकी पगड़ी, तलवार और जूते से होती है, लेकिन चुराते सिर्फ जूता हैं, ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि जूतों से इंसान के स्वभाव पता चलता है। माना जाता है कि किसी का भी व्यक्तित्व उसके जूतों से समझा जा सकता है। वहीं पगड़ी और तलवार सम्मान और शौर्य का प्रतीक होते हैं, इसे खो देना किसी भी व्यक्ति के लिए अपमानजनक होता है, साथ ही यह उसकी मूर्खता और लापरवाही को भी दर्शाता है। इसलिए शादी में सालियां विशेष रूप से सिर्फ जूते ही चुराती है।

यह भी है उद्देश्य
शादी में सबसे ज्यादा भावुक समय विदाई का होता है। ऐसे में इस रस्म से माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश की जाती है ताकि उस भावुक हो चुके माहौल को थोड़ा हल्का-फुल्का बनाया जा सके। इस दौरान सालियां पूरे जोर-शोर से अपनी डिमांड को मनवाने के लिए दूल्हे पर प्रेशर बनाती हैं, वहीं लडक़े वालों की कोशिश रहती है कि कम से कम खर्च में जूते वापस मिल जाएं। इस दौरान एक-दूसरे का खूब मजाक भी उड़ाया जाता है, जिससे सारे लोग खिलखिला उठते हैं और माहौल उल्लासमय हो जाता है।

खूब होती बॉर्गेनिंग
शादी में जूते चुराई रस्म में लडक़े वालों और लडक़ी वालों में खूब बॉर्गेनिंग होती है। दुल्हन की बहने और सहेलियां पैसे को लेकर जम कर मोल भाव करती हैं कि पचास हजार चाहिए, या एक लाख रुपए चाहिए। इस दौरन दूल्हे के भाई और दोस्त भी हंसी मजाक में दुल्हन की बहनों से कम रुपए लेने की बात कहते हैं। इस अवसर पर यह रस्म काफी देर तक चलती रहती है। जुता चुराने के बाद एक-दूसरे में काफी देर हंसी ठिठोली होती रहती है।

घर में शादी हो इस दौरान जिन रस्मों में पैसा मिलता है। वह हम लोगों को बहुत ही पसंद आती हैं। जैसे मांग भराई, चूड़ी पहनाई, जूते चुराई आदि रस्में होती है। इस दौरान सबसे कमाई वाली रस्म जूते चुराई में होती है। इसमें जितने की डिमांड करो मिल ही जाते है।
दृष्टि

मुझे शादी में सबसे ज्यादा अच्छी रस्म जूते चुराई की लगती है। जूता चुराने के बाद दूल्हे राजा से जितनी डिमांड करो वो उतना दे ही देते है। इस रस्म में लडक़े और लडक़ी वालों में काफी देर तक हंसी मजाक भी चलती रहती है। इनकम भी होती है।
यशी शर्मा

कुछ रस्में शादी में ऐसी होती हैं जो बहुत ही अच्छी लगती है। जैसे जौं फेकने वाली रस्म, मांग भराई रस्म, सबसे खास और डिमंाड रखने पर उतने ही पैसे मिलने वाली रस्म होती जूते चुराई रस्म जो दुल्हन की छोटी बहने होती है। वो यह रस्म का अदा करती है। इससे उनकी काफी इनकम होती है।
अनन्या

शादी समारोह में घर वाले सभी काफी दिन पहले तैयारियां करने लगते हैं। लोग बारात में पहनने के लिए ड्रेस से लेकर रस्मों तक सभी चीजें पहले से ही डिसाइड कर लेते है। इसमें जूते चुराई रस्म सबसे पापुलर होती है। यह सभी धर्मों में मनाई जाती है।
आंचल