छात्र नेता एडमिशन में कर रहे सेंधमारी

BAREILLY: बरेली कॉलेज में फर्जी एडमिशन की बिसात बिछ चुकी है। बस, आप पैसा खर्च कीजिए। फिर देखिए एडमिशन के लिए मेरिट में कैसे सेंधमारी होती है। आई नेक्स्ट ने इंवेस्टिगेशन में इस सेंधमारी का एक बड़ा क्लू हाथ लगा है, जिसमें मेरिट को हाई करने के लिए वेटेज सर्टिफिकेट का खेल हो रहा है। कैंपस में चुनिंदा छात्र नेता स्टूडेंट्स के अच्छी-खासी रकम वसूल कर उनसे मेरिट में नाम आने का वादा कर रहे हैं। ये छात्र नेता उनके एडमिशन फॉ‌र्म्स के साथ ही फर्जी वेटेज के सर्टिफिकेट भी लगा देते हैं।

आई नेक्स्ट के हाथ लगा सटिर्फिकेट

आई नेक्स्ट ने जब इन फर्जी वेटेज सर्टिफिकेट के मामले को इंवेस्टिगेट करना शुरू किया तो एक छात्र नेता के पास से यह सर्टिफिकेट मिला, जो की पूरी तरह से फर्जी था। पूछताछ में पता चला कि स्टूडेंट्स के एडमिशन फार्म को जमा कराने के दौरान ही वेटेज के इन सर्टिफिकेट को लगा दिया जाता है। वेटेज सर्टिफिकेट लगने से जब एडमिशन की मेरिट तैयार होती है तो फिर वेटेज सर्टिफिकेट में मिलने वाले अंक के चलते उसका नाम आने की पूरी संभावना होती है। यह पूरा खेल कुछ छात्र नेताओं व कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है।

वेटेज से हो रहा है एडमिशन में फर्जीवाड़ा

दरअसल, यूं तो बीसीबी कॉलेज में एडमिशन मेरिट के आधार पर होता है। मेरिट में खेल की गुजांइश नहीं होती है। ऐसे में एडमिशन में फर्जीवाड़ा के लिए वेटेज सर्टिफिकेट को सहारा बनाते हैं। छात्र नेताओं से लेकर कॉलेज स्टॉफ के कई लोग इस गोरखधंधे को अंजाम देने में जुट गए हैं। एक वीक के बाद मेरिट लिस्ट डिक्लेयर की जाएगी। फर्जी सर्टिफिकेट्स वाले स्टूडेंट्स की मेरिट में छेड़छाड़ कर उनकी मेरिट हाई करने की पूरी योजना है। इसके साथ ही यह खेल कांटीन्यू चल रहा है।

कैसे बनाए जाते हैं फर्जी सर्टिफिकेट

कॉलेज के जानकार बताते हैं कि एडमिशन का सीजन शुरू होते ही फर्जी वेटेज सर्टिफिकेट्स बनाने का गोरखधंधा भी फूल-फूल रहा है। इन दिनों धड़ल्ले से वेटेज यानि भारांक के फर्जी सर्टिफिकेट्स बनाए जा रहे हैं। यह गोरखधंधा कहीं और नहीं कॉलेज के अगल-बगल मौजूद जेरॉक्स व स्कैनर की शॉप और कोचिंग संस्थानों में चल रहा है। इनकी छात्रनेताओं के साथ सेटिंग है। वे ही इन सर्टिफिकेट्स को बनाने का ऑर्डर दे रहे हैं। जिस फर्जी सर्टिफिकेट्स को बनाना होता है या तो उसकी ओरिजनल को स्कैन कर बनाते हैं या फिर उसकी हूबहू कॉपी बनाते हैं। फिर उन सर्टिफिकेट्स के ऊपर उस स्टूडेंट्स का नाम और डिटेल लिखी जाती है, जिसका एडमिशन कराना होता है।

जैसा छात्र-वैसी कीमत

एडमिशन कराने के लिए छात्र नेता व उनके गुर्गे छात्रों को फंसाते हैं। उसके बाद जैसा छात्र-वैसी कीमत के आधार पर उनसे एडमिशन कराने का सौदा किया जाता है। एक एडमिशन कराने के लिए छात्र नेता 5,000 से 10,000 रुपए वसूल रहे हैं। यदि कोई स्टूडेंट बीसीबी में एडमिशन के लिए ज्यादा ही परेशान है तो उससे 15,000 रुपए से भी ज्यादा वसूल लिए जाते हैं। जबकि सर्टिफिकेट्स को बनाने में जेरॉक्स शॉप ऑनर और कोचिंग संस्थान वाले 150 से 200 रुपए वसूलते हैं।

कॉलेज की मिलीभगत

छात्र नेताओं के इस गोरखधंधे को अंजाम तक पहुंचाने में कॉलेज स्टाफ की पूरी मिलीभगत होती है। इसमें कॉलेज के कर्मचारी तो लिप्त होते हैं ही साथ ही सोर्सेज की मानें तो टीचर्स भी इसको अंजाम तक पहुंचाते हैं। सबको इस गोरखधंधे के बारे में पता होता है लेकिन कोई भी इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम नहीं उठाता। बस दावे किए जाते हैं। फॉ‌र्म्स की छंटनी में लगे कर्मचारियों के साथ छात्रनेताओं की सेटिंग होती है। इसी दौरान स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स कम्प्यूटर में चढ़ाए जाते हैं। छात्रनेताओं के कहे अनुसार स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स बढ़ा दिए जाते हैं। इसके लिए जमा किए गए फर्जी वेटेज सर्टिफिकेट को ओके कर दिया जाता है। उन्हें भी इस काम के लिए छात्रनेता मेहनताना देते हैं। एक एडमिशन के लिए कर्मचारियों को 2,000 से 5,000 रुपए तक दाम दिए जाते हैं। इस पूरे प्रोसीजर में स्टूडेंट बीच में नहीं आता। वह तो महज एकमुश्त दाम दे देता है। सारी सेटिंग और दौड़भाग छात्र नेता करते हैं।

कैसे करते हैं भारांक से खेल

दरअसल एडमिशन के दौरान स्टूडेंट्स के कुछ विशिष्ट उपलब्धियों के सापेक्ष एक्स्ट्रा मा‌र्क्स का वेटेज दिया जाता है। ये मा‌र्क्स 5 से 10 तक के होते हैं। इनमें एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड और स्पो‌र्ट्स के सर्टिफिकेट्स शामिल होते हैं। छात्र नेता अधिकांश एनएसएस और स्पो‌र्ट्स के ही फर्जी सर्टिफिकेट्स बनवाते हैं। इनके बदले स्टूडेंट्स के टोटल मा‌र्क्स में 10 मा‌र्क्स अतिरिक्त जुड़ जाते हैं। ये मा‌र्क्स स्टूडेंट्स की मेरिट को हाई कर देते हैं। यह सारा खेल मेरिट लिस्ट बनाने से पहले होता है। स्टूडेंट्स को अतिरिक्त मा‌र्क्स मिलने के बाद उसकी मेरिट असल हकदार वाले स्टूडेंट्स से ज्यादा हो जाती है। ऐसे में जब काउंसलिंग का समय आता है तो मेरिट हाई होने के चलते उसे पहले एडमिशन दिया जिता है।

बाकायदा रैकेट चल रहा है

यूजी कोर्सेज में फर्जी सर्टिफिकेट्स के सहारे एडमिशन कराने का पूरा रैकेट सक्रिय है। आश्चर्य की बात है कि इस रैकेट का सरगना कोई एक नहीं है। जितने भी पुराने छात्र नेता हैं वे सब अपने स्तर से रैकेट चला रहा हैं। सभी अपने स्तर से स्टूडेंट्स को पकड़ते हैं। स्टूडेंट्स पकड़ने का खेल भी अलग है। कुछ तो जान-पहचान की वजह से उनके पास पहुंचते हैं। वहीं बाकियों को पकड़ने के काम इनके चेले-चपाटे करते हैं। छात्र नेताओं के पिछलग्गू कैंपस में उनके लिए कैंपेनिंग करते हैं। एडमिशन में हेल्प के बहाने स्टूडेंट्स को छात्र नेताओं का मोबाइल नम्बर देते हैं। स्टूडेंट्स जैसे ही छात्र नेताओं को मोबाइल पर कॉन्टेक्ट करता है, वह उनकी जाल में फंसता चला जाता है। इस पूरे रैकेट पर कॉलेज की कहीं न कहीं मौन स्वीकृति होती है।