हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। चेहरे पर स्माइल लिए, नंगे पैर सामने से आ रहा पंकज (बदला हुआ नाम) अपनी राखी दिखाते हुए बोला, भैया आज रक्षाबंधन है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब उससे पूछा कि यह राखी किसने बांधी है। वह बोला मेरे दोस्त की बहन ने, वह अपने भाई को राखी बांधने आई थी, तो मैैंने भी बंधवा ली। 'तुम्हारी बहन नहीं आईं?Ó के सवाल पर पंकज की मुस्कान गायब हो गई। भावुक होते हुए कहा, भइया मेरी तीन बहनें हैैं, लेकिन कोई भी नहीं आई। बहुत याद आती है, जल्दी जाऊंगा घर। यह कहानी है मेंटल हॉस्पिटल में इलाज करवा रहे पंकज की जो रक्षाबंधन पर पूरे दिन अपनी बहनों का इंतजार करता रहा।

बना लिए हैैं कई दोस्त
बरेली के मेंंटल हास्पिटल में भर्ती तमाम मरीज ठीक हो चुके हैैं, लेकिन उनके घर वाले उन्हें नहीं ले जा रहे हैैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से उन्हें बाहर नहीं छोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि ऐसे बहुत सारे ठीक हो चुके मरीज अभी भी मेंटल हॉस्पिटल के एक हिस्से में रहते हैैं। पंकज (बदला हुआ नाम) मेंटल हॉस्पिटल परिसर में टहल रहा था। जब स्टाफ से उसके बारे में पूछा तो मालूम हुआ कि अधिकांश समय पंकज सबसे मुस्करा कर बातें करता है। शाम को टहलते हुए सबसे हालचाल भी पूछता है। उसने अपने व्यवहार से कई दोस्त भी बना लिए हैैं। इसी कारण दोस्त की बहन ने ही उसे राखी बांधी।

साथी की बहन ने बांधी राखी
पंकज के साथ एडमिट सर्वेश (बदला हुआ नाम) भी मेंटल हॉस्पिटल में ही रहते हैैं। सर्वेश बरेली के ही रहने वाले हें, उसकी बहन जब थर्सडे सुबह राखी बांधने आई तो पंकज भी पास में बैठकर अपनी बहनों को याद करने लगा। सर्वेश की बहन ने पास में पंकज को बैठा देखा तो उससे पूछा लिया कि तुम्हारी बहन नहीं आई। जवाब न में मिला तो सर्वेश की बहन ने पंकज की कलाई पर भी राखी बांधी दी।

तीसरी बार लाईं अस्पताल
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम से बातचीत में भावुक होते हुए पंकज की मां सविता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह उसे तीसरी बार मेंटल हॉस्पिटल लेकर आईं हैं। उनकी दवा लगातार चलती रहती है, पिछली बार जब वह पंकज को घर ले गईं तो कुछ समय बाद वह फिर असामान्य हरकतें करने लगा था। वह जब बोलता है तो बोलता ही रहता है, उसे अच्छे और बुरे से कोई मतलब नहीं है। उसकी तीन बहनें है और उनकी शादी हो चुकी है। व्यस्त और दूर होने के कारण वह यहां नहीं आ सकीं।


फैमिली भी रहती है साथ
अस्पताल के चिकित्सक बताते हैैं कि परिसर में कुछ मरीज अपने परिवार के साथ फैमिली वार्ड में रहते हैैं। यहां मरीज के साथ उनके फैमिली मेंबर्स भी रहते हैैं। रक्षा बंधन पर उनके साथ वालों ने ही मरीज के हाथों में राखी बांधी। अस्पताल में एडमिट कई मरीज इतना डिस्टर्ब होते हैैं कि उन्हें त्योहार, कार्यक्रम के बारे में कुछ भी समझ नहीं होती है। ऐसे में जिन्हें पता चलता है कि आज रक्षा बंधन है तो वह अस्पताल में ही महिला मरीज या स्टाफ से राखी बंधवा लेते हैैं। वहीं कुछ मरीजों की बहनें आती हैैं और मरीज से मिलकर कई घंटों बाते करते हुए रोने भी लगती हैं।

देनी होती है एप्लिकेशन
अस्पताल स्टॉफ ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन आने वाले मरीज के घरवालों से एप्लिकेशन लिखवाई जाती है। इसमें कारण भी लिखा जाता है। उसके बाद स्टॉफ को साथ में भेजा जाता है।