कोतवाली पुलिस ने कोर्ट में किया अप्लाई

कोर्ट की परमीशन के बाद भेजी जाएगी रिपोर्ट

BAREILLY: 65 दिन बीत जाने के बाद भी इमरान हत्याकांड में अंधेरे में तीर चला रही पुलिस को अब पॉलीग्राफी टेस्ट का सहारा है। आरोपियों से कई राउंड की पूछताछ के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। ऐसे में पांचों आरोपियों से 'सच' उगलवाने के लिए पुलिस ने पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए कराने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन डाली है। पुलिस अफसरों को उम्मीद है कि पॉलीग्राफ टेस्ट से हत्यारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही पुलिस के लिए गुत्थी बन चुका यह केस क्राइम ब्रांच को भी सौंपने की बात की जा रही है। बता दें कि 27 अप्रैल को रेलवे कॉलोनी में इमरान नाम के युवक का मर्डर हुअा था।

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दो महीने पहले हुआ था मर्डर

27 अप्रैल की रात में कोतवाली की रेलवे कालोनी में इमरान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के वक्त ही उसके मोबाइल पर वीर भट्टी की रहने वाली एक लड़की के मैसेज लगातार आ रहे थे। यही नहीं वारदात वाले दिन इमरान आशू और काले के साथ घूमते हुए देखा गया था। पुलिस ने शक के आधार पर आशू और काले को पकड़ लिया था। मोबाइल डिटेल और लड़की से पूछताछ के बाद इसमें राहुल और रवि का भी नाम सामने आया था। पुलिस ने उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया था। पुलिस ने कई बार सभी आरोपियों से पूछताछ की लेकिन किसी ने हत्या में हाथ होना नहीं कबूला। जबकि परिजन इन्हीं पांचों पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं।

लड़की समेत 5 हैं संदिग्ध

पहले दिन परिजनों ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था लेकिन केस का खुलासा न होने और संदिग्धों के नाम आने पर करीब डेढ़ महीने बाद परिजनों ने सभी संदिग्धों के खिलाफ नामजद तहरीर दे दी थी। ऐसे में पुलिस ने नामजद आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का फैसला लिया है। सैटरडे को पुलिस ने सीजीएम कोर्ट में पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए अप्लाई किया। मंडे को भी पुलिस कोर्ट में गई लेकिन आदेश जारी नहीं हो सका था। पुलिस अब कोर्ट के आदेश का वेट कर रही है।

ऐसे होता है पॉलीग्राफी टेस्ट

पॉलीग्राफी यानी लाई डिटेक्टर टेस्ट संदिग्ध आरोपियों का झूठ पकड़ने के लिए किया जाता है। कोर्ट की परमीशन के बाद पुलिस को संदिग्धों की परमीशन लेनी पड़ती है। जिसके बाद लखनऊ विधि विज्ञान शाला में रिपोर्ट भेजी जाती है। वहीं से संदिग्धों को बुलाकर पूछताछ होती है। संदिग्धों से क्या पूछताछ करनी होती है ये सवाल पुलिस को पहले से ही तैयार करने होते हैं। ये सभी सवाल पॉलीग्राफ टेस्ट करने वाली टीम को दिए जाते हैं। फिर सवाल के जबाव संदिग्धों से लिए जाते हैं। इसमें संदिग्ध की ब्रीदिंग रेट, पल्स, ब्लड प्रेशर और परसेप्शन चेक किया जाता है। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि आरोपी सच बोल रहा है या झूठ।

पहले भी हुए टेस्ट

लास्ट ईयर पूरे यूपी से 5 पॉलीग्राफ टेस्ट पास किए गए थे। जिनमें से 3 केस बरेली क्राइम ब्रांच कर रही थी। इसमें एक केस भोजीपुरा में आटो के किशोर, डॉक्टर मनीष हत्याकांड और शाहजहांपुर के मर्डर केस में कराया गया था। इसमें शाहजहांपुर केस में 8 संदिग्धों का टेस्ट हुआ लेकिन बाद में केस शाहजहांपुर ट्रांसफर हो गया। मनीष हत्याकांड में तीन संदिग्धों का टेस्ट हुआ लेकिन उन्होंने जो बोला वो सही था। इसी तरह से बच्चे के केस में भी तीन संदिग्धों से टेस्ट में कुछ हाथ नहीं लगा था।