डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल इमरजेंसी वार्ड में मरीज को 5 घंटे तक नहीं लगा इंजेक्शन

डॉक्टर नदारद, स्टाफ ने कहा सुबह आना, तड़पते मरीज को परिजन ले गए दिल्ली

BAREILLY:

मरीजों को समय रहते इलाज देने और राहत पहुंचाने की स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी फिर दागदार हो गई।

हीमोफिलिया से पीडि़त एक मरीज को ट्यूजडे रात भर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इलाज के लिए इंजेक्शन लगाने को इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर मौजूद नहीं थे। वहीं स्टाफ ने भी इंजेक्शन लगाने से इनकार कर दिया। जिंदगी बचाने के लिए परिजन मरीज को अंधेरे में ही दिल्ली ले जाने को मजबूर हुए। यह लगातार दूसरा मौका है जब मेडिकल हब बरेली में दर्द से तड़पते मरीज को सरकारी इलाज की बेरूखी झेलनी पड़ी। इससे पहले ट्यूजडे को ही करेली-करगैना पीएचसी में एक प्रसूता को लेबरपेन होने पर सुबह 7.30 से 11.30 बजे तक इलाज नहीं मिला। पीएचसी में न तो डॉक्टर थे, न ही फोन करने के बावजूद स्टाफ नर्स ड्यूटी पर पहुंची।

कहा सुबह ओपीडी में दिखाना

तिलहर के मौजापुर निवासी स्व। ब्रह्मानंद शर्मा के बेटे सचिन हीमोफिलिया से पीडि़त हैं। ट्यूजडे रात तकलीफ बढ़ने पर परिजन उसे लेकर रात 11.30 बजे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड पहुंचे। मरीज के इलाज के लिए हीमोफिलिया ए का फैक्टर 8 इंजेक्शन होने के बावजूद नहीं लगाया गया। मरीज की हाल दर्द के चलते बिगड़ती गई। परिजनों के मुताबिक इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर के न होने पर ईएमओ ड्यूटी पर तैनात डॉ। वागीश वैश्य और फिर डॉ। कर्मेन्द्र को कॉल किया गया लेकिन वे नहीं पहुंचे। परिजनों के मुताबिक दोनों डॉक्टर्स ने मरीज को सुबह 8 बजे ओपीडी में लाने को कहा।

स्टाफ ने कहा ट्रेंड नहीं हम

डॉक्टर्स के न आने पर परिजनों ने स्टाफ से दर्द से तड़प रहे मरीज को फैक्टर 8 का इंजेक्शन लगाने की गुहार लगाई। लेकिन स्टाफ ने फैक्टर 8 लगाने में ट्रेंड न होने की बात कह पल्ला झाड़ लिया। रात 11.30 बजे से इमरजेंसी में पड़े मरीज को जब सुबह 4.25 बजे तक इलाज न मिला तो, परिजन मजबूरी में उसे दिल्ली ले गए। बरेली जंक्शन से दिल्ली जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में ही दर्द से कराहते मरीज को ले जाया गया। वेडनसडे सुबह 11.40 बजे दिल्ली में अर्बन हेल्थ सेंटर में मरीज को एडमिट कराया गया। जहां मरीज की हालत गंभीर होने पर शाम 5 बजे तक तीन बार हीमोफिलिया ए के फैक्टर 8 का इंजेक्शन लगाए गए।

------------------------प्लीज इमरजेंसी वार्ड में मेरे जैसे सीरियस केस वाले मरीजों को रात में इलाज मिल सके, इसके लिए कुछ करिए। रात भर इलाज के लिए तड़पता रहा लेकिन न डॉक्टर पहुंचे, न स्टाफ। - सचिन शर्मा, पीडि़त मरीज

परिजन भी जब दिन था तब मरीज को न लाए, रात में लेकर पहुंचे। डॉ। वागीश ऑन कॉल 11 बजे तक मौजूद थे। इसके बाद घर गए। स्टाफ अनट्रेंड होने के चलते मरीज को फैक्टर 8 नहंी लगा सका। - डॉ। परवीन जहां, सीएमएस