सीवियर एनीमिया की चपेट में रिक्शा चालक की पत्‍‌नी, ओपीडी में तीन जगह भगाया

महज 2.6 ग्राम हीमोग्लोबीन, 48 घंटे बाद मंडे को फिर आए तो नहीं मिला इलाज

>BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की संवेदनहीनता के कारण मंडे एक गरीब को इलाज नहीं मिल सका। 48 घंटे से ज्यादा तक 'भगवान' के दर पर गंभीर रूप से एनीमिया की चपेट में आकर मौत की कगार पर पहुंची पत्‍‌नी को लेकर एक गरीब रिक्शे वाला गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन पत्थरदिल डॉक्टर्स को उसका दर्द न दिखा। मंडे को ओपीडी 12 बजे बंद होने का हवाला देकर मरीज को लौटा दिया गया।

एक से दूसरी केबिन में दौड़ाया

कालीबाड़ी में रहने वाला नंदराम शहर में रिक्शा चलाकर पत्‍‌नी गंगादेवी व 4 बच्चों का किसी तरह गुजर बसर करता है। पिछले तीन महीनों से पत्‍‌नी की तबीयत खराब रहती थी। सैटरडे सुबह हालत ज्यादा बिगड़ी तो वह पत्‍‌नी को लेकर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचा। यहां उसे पहले केबिन संख्या 7 में गया। फिर लौटाकर केबिन 13 में भेजा गया। यहां भी उसे इलाज न मिला और केबिन 19 में भेज दिया गया। यहां भी किसी डॉक्टर ने उसे न देखा। निराश होकर वह पत्‍‌नी को लेकर वापस चला गया।

जान को गंभीर खतरा

48 घंटे बाद नंदराम मंडे को पत्नी को लेकर ओपीडी पहुंचा। यहां उसे डॉक्टर ने देख खून की जांच करने को कहा। पैथोलोजी में खून की जांच कराई गई। जांच में हीमोग्लोबीन का लेवल खतरनाक रूप से 2.6 ग्राम प्रति डेसीलीटर मिला। जबकि स्वस्थ इंसान में यह लेवल 12.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर मिनिमम होना चाहिए। मरीज को फौरन कम से कम 4 यूनिट खून चढ़ाने की जरूरत थी। इतना कम हीमोग्लोबीन होने पर मरीज की मौत होने के चांसेज 80 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। वह पत्‍‌नी संग वापस फिर डॉक्टर के पास गया तो वह न मिले। थक हारकर केबिन 19 में पहुंचे तो वहां एडमिट होना लिखकर भेज दिया गया। गरीब पत्‍‌नी को लेकर इमरजेंसी पहुंचा तो खून का इंतजाम कराने की बात कह उसे फिर लौटा ि1दया गया।

सीएम के सपने की हकीकत

सूबे के सीएम अखिलेश यादव 23 मई को बरेली आ रहे हैं। महीनों पहले सीएम ने प्रदेश के सभी सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीजों संग अच्छे व्यवहार व संवेदनशीलता बरतने के आदेश दिए थे। डीजी हेल्थ के मार्फत सीएम ने सरकारी हॉस्पिटल्स को निजी हॉस्पिटल से बेहतर बनाने का सपना पूरा करने की चाह जताई थी। लेकिन बरेली दौरे से दो हफ्ते पहले ही सीएम के सपने का डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मखौल उड़ाया जाने लगा।

मरीज को उसका पति सैटरडे को भी इलाज के लिए लाया था। पर्चे पर मरीज को एडमिट करने की सलाह लिखी थी। मरीज में हीमोग्लोबीन बेहद कम है।

- डॉ। परवीन जहां, सीएमएस