गरीब मजदूर को हुए जुड़वा कुपोषित बच्चे, महज 600-600 ग्राम रहा वजन

बच्चा वार्ड एनआईसीयू में एक की सुबह, दूसरे नवजात की देर रात हुई मौत

BAREILLY:

मां बनना एक औरत की जिंदगी का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। यह अहसास अगर एक साथ दो जिंदगियों को जन्म देने का हो तो उस मां की खुशी का अंदाजा लगाना सहज है। लेकिन गरीबी की बेबसी ने एक मां की इस बेहिसाब खुशियों को मातम में बदल दिया। कुपोषण ने काल बनकर इस बदकिस्मत मां की गोद से उसके दो नवजात मासूम छीन लिए। किस्मत का खेल यही नहीं थमा। इस बेबस मां की कोख सूनी भी हुई तो संडे को मदर्स डे के मौके पर। जब दुनिया भर में मां होने का स्पेशल अहसास मनाया जा रहा था, तब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में एक मां की ममता अपने कलेजे के टुकड़ों को अपने सामने दम तोड़ता देख तिल तिल कर मर रही थी।

जच्चा-बच्चा गंभीर कुपोषित

बदायूं के दातागंज में मजदूरी करने वाले गरीब नाजिम के घर 5 मई को जुड़वां बच्चे होने की खुशी मनाई जा रहा थी। नाजिम की वाइफ बेबी उजमा को लेबर पेन उठने पर परिजनों ने 5 मई को डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। ऑपरेशन के बाद उजमा को जुड़वा बच्चे हुए। बच्चों का जन्म सात महीने में हुआ था और कुपोषण की गंभीर चपेट में थे। मां खुद भी कुपोषण की शिकार थी। जिसके चलते उसके पैदा हुए बच्चों का वजन महज 600-640 ग्राम के करीब रहा। जबकि सामान्य बच्चे का वजन 2.5 किलो से 3.5 किलो तक माना जाता है।

दुआ काम आई न दवा

नवजात मासूमों की हालत बेहद गंभीर होने पर उन्हें फौरन फीमेल हॉस्पिटल क्लीन लेबर रूम से डिस्ट्रिक्ट मेल हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड लाया गया। 5 मई की शाम को ही दोनों मासूम एनआईसीयू में एडमिट किए गए और फोटोथेरेपी मशीन व ऑक्सीजन से उन्हें बचाने की कोशिशें शुरू हुई। लेकिन 8 मई की सुबह न तो मां की दुआ काम आई और न ही डॉक्टर्स की दवा ही इन मासूमों को बचा सकी। ममता के दिल पर पहली चोट संडे सुबह 7.35 बजे हुई, जब एनआईसीयू में एक मासूम की मौत हो गई। मां-बाप दूसरे मासूम की फिक्र में पहले की मौत पर मातम भी न मना सके। देर रात 11.45 बजे एनआईसीयू में दूसरे मासूम की भी मौत हो गई।

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दो हफ्ते पहले भी हुई थी मौत

बरेली में कुपोषण के खिलाफ सरकारी जंग की असलियत एक बार फिर खुलकर सामने आ गई। कुपोषण की चपेट में आकर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दो हफ्ते पहले भी एक मासूम मौत के मुंह में चली गई थी। कटरा चांद खां में रहने वाले अंकित की वाइफ शिवानी की 24 अप्रैल की सुबह फीमेल हॉस्पिटल में डिलीवरी हुई थी। लेकिन परिवार में बेटी होने की खुशी ज्यादा देर न टिकी। बच्ची का वजन सामान्य से बेहद कम था। जो कुपोषण की निशानी थी। जांच में मां में भी कुपोषण के लक्षण मिले थे। 25 अप्रैल को परिजन सुबह 8.40 बजे मासूम को लेकर बच्चा वार्ड के एनआईसीयू एडमिट कराने पहुंचे। लेकिन चंद घंटों बाद ही कुपोषण के आगे मासूम की सांसें टूट गई।

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दोनों जुड़वा बच्चे कुपोषण के शिकार थे। प्रीमेच्योर डिलीवरी भी होने से हालत गंभीर थी। इलाज के दौरान काफी कोशिश की गई लेकिन अनहोनी हो गई। - डॉ। परवीन जहां, सीएमएस

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