-जेल से बाहर निकलकर स्कूल पढ़ने जाएंगे 5 बच्चे

-शासन के निर्देश पर डिस्ट्रिक्ट जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने की तैयारी

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट जेल में मां के गुनाहों की सजा भुगत रहे 13 मासूमों के जीवन में जेल प्रशासन ज्ञान की ज्योति जलाएगा। हेड क्वार्टर के निर्देश पर अधिकारी बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी कर रहे हैं। ताकि, बालमन पर जेल की चहारदीवारी का दुष्प्रभाव न पड़े। इसी के साथ ही बच्चों को पढ़ने का अधिकार भी हासिल हाे सकेगा।

अभी तक जेल में मिलती है शिक्षा

अभी तक जेल के अंदर ही बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इसके लिए बाहर से टीचर आते हैं। इस दौरान वे जेल में ही रहते हैं जिससे वे जेल के परिवेश में ही ढल जाते हैं। कई बार बच्चे जेल के परिवेश में रहकर क्राइम की राह पर चले जाते हैं। यही नहीं उनकी पढ़ाई भी ठीक तरह से नहीं हो पाती है और वह बाहर के माहौल को भी अडॉप्ट नहीं कर पाते हैं।

ये बच्चे जाएंगे स्कूल

डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने आदेश के तहत 3 साल से 6 साल तक के 5 बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सेलेक्ट किया है। इसमें 4 वर्षीय साहिल, साढ़े 3 वर्षीय सुमन, 5 वर्षीय गुनगुन, 4 वर्षीय उसका भाई विष्णु और 3 वर्षीय तनु हैं। इनमें अलावा 8 अन्य बच्चे भी जेल में हैं लेकिन सभी की उम्र 1 से 3 साल के बीच में है।

सभी की मां हत्या के केस में बंद

डिस्ट्रिक्ट जेल के जिन पांच बच्चों को स्कूल भेजा जाएगा। सभी की मां हत्या केस में जेल में बंद हैं। साहिल की मां रुखसाना, सुमन की मां रजिया, गुनगुन और विष्णु की मां दीपा और तनु की मां प्रीति हैं। सुमन को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। इसके अलावा सभी का केस ट्रायल में चल रहा है।

बच्चे के व्यवहार सबसे ज्यादा मां के व्यवहार पर डिपेंड करता है। बच्चे कुछ समय स्कूल में जाएंगे तो जरुर उनका व्यवहार कुछ अच्छा होगा लेकिन जेल के अंदर रहने पर उनमें एग्रेसिवनेस आ सकती है। उनमें सोसायटी के प्रति निगेटिव सोच डेवलप हो सकती है। इसके अलावा वह गिल्टी फील कर सकते हैं और अपराध की ओर जा सकते हैं।

सुविधा शर्मा, साइकोलॉजिस्ट

जेल में मां के साथ रह रहे बच्चों को बाहर के स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजा जा रहा है। इससे उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी। पांच बच्चों का सेलेक्शन हो गया है। जल्द ही एडमिशन दिलाया जाएगा।

डीआर मौर्या, डिस्ट्रिक्ट जेल सुपरिंटेंडेंट