बरेली (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी में स्मार्ट ड्राईविंग के लिए शहर में ड्राईविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (डीटीआई) तो बनकर करीब छह माह पहले तैयार हो गया, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो सका। डीटीआई बनाने का मेन मकसद था निजी मोटर ट्रेनिंग कॉलेजेज की मनमानी पर रोक लगाना और डीटीआई में ट्रेनिंग करने वाले कैंडिडेट्स को सर्टिफिकेट के आधार पर डीएल बनाकर देना। इसके लिए करीब पांच करोड़ रुपए भी डीटीआई को बनाने में खर्च कर दिए। लेकिन अभी तक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शुरू नहीं हो सका। सूत्रों की मानें तो डीटीआई को पीपीई मोड पर संचालित किए जाने की बात शासन स्तर से चल रही है। फिलहाल अभी तो डीटीआई कैंपस में बनाई गई ड्राइविंग टै्रक पर घास उग आई है और चालान के वाहनों को खड़ा करने का स्पेस बनकर रह गया है।

बना दिया कबाड़खाना
डीटीआई में एंट्री करते ही आपको कई खटारा टाइप वाहन खड़े दिखेंगे जिस देखकर कोई समझेगा कि यहां पर कोई कबाड़खाना ही हो सकता है। लेकिन यह कोई कबाड़खाना नहीं बल्कि चालान के वाहनों को खड़ा करने के लिए स्पेस बना लिया गया है।

ट्रैक पर उग आई घास
ड्राइविंग ट्रेनिंग की ट्रैक लाखों रुपए खर्च करके बनाई गई थी लेकिन इसका प्रयोग कम ही दिनों किया गया। बिना यूज के इस ट्रैक पर अब घास उग आई है। इससे अब ड्राइविंग ट्रैक भी खराब हो रही है।


आदेश के बाद स्टार्ट होगी ट्रेनिंग
ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग पूरी तरह तैयार होने के बाद अभी डीएल बनाने का काम चल रहा है। कुछ दिन इस डीटीआई की ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट का भी काम हुआ लेकिन उसके बाद ड्राइविंग टेस्ट सीबीगंज स्थित ऑटोमेटिक ट्रैक पर शुरू कर दिया गया। इसके बाद से डीटीआई की ट्रैक पर टेस्ट होना बंद करा दिए गए। अब सिर्फ यहां पर डीएल बनाने का काम किया जा रहा है। वहीं अफसरों की मानें तो डीटीआई को शुरू करने के लिए शासन से आदेश मिलने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। तब तक इस बिल्डिंग में डीएल बनाने का काम ही चल रहा है।

शहरवासियों को मिली राहत
आरटीओ ऑफिस बरेली-लखनऊ राजमार्ग पर नकटिया के पास शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित है। अभी तक लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए शहर से पांच किलोमीटर की दूरी तय करके जाना पड़ता था। अब शहर में ही काष्ठ कला केंद्र में बने डीटीआई में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सुविधा उपलब्ध होने से लोगों को राहत मिली है।

कंपनी को किया जाएगा हैंडओवर
सूत्रों की मानें तो डीटीआई की बिल्डिंग तैयार है अब शासनादेश के आते ही निजी संस्था के माध्यम से पीपीई मोड पर संचालन किया जाएगा। जो ड्राइविंग टै्रक बने हुए हैं उस पर भी सेंसर लगाए जाएंगे। ताकि टेस्ट देने के लिए ट्रेनिंग के दौरान ही कैंडिडेटस को पूरी जानकारी पहले से ही हो सके। डीटीआई से ट्रेनिंग करने के बाद कैंडिडेट्स को डीएल बनवाने के लिए टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। डीटीआई का सर्टिफिकेट लगाते ही डीएल बनकर मिल जाएगा।

बोले अधिकारी
ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में अभी डीएल बनाए जा रहे हैं। शासन स्तर से ही डीअीआई में ट्रेनिंग की व्यवस्था से कराई जाएगी। इस संबंध में अभी कोई निर्देश भी नहीं मिला है। यह हमारे स्तर का मामला नहीं है।
दिनेश कुमार, आरटीओ (ई)