- अर्थिग के प्रत्येक 5वां पोल जीआई वाले लगाए जाते हैं

- पोल के बेस गल जाने के कारण अर्थिग हो गए हैं कमजोर

BAREILLY:

बिजली विभाग के जर्जर और बेस गल चुके पोल सिर्फ राहगीरों के लिए जान के दुश्मन नहीं हैं। बल्कि, घर के अंदर रह रहे लोगों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं। दरअसल, बेस गल चुके पोल के अर्थिग बेअसर हो गया है। अर्थिग प्रॉपर नहीं मिलने से करंट लगने और बिजली उपकरण फूंकने के चांस कई गुना बढ़ गए हैं।

पोल के बीच में होता है जीआई वायर

दरअसल, एलटी के साथ ही 11 व 33 केवी लाइन बिछाने के दौरान हर 5वां पोल गैल्वेनाइज्ड आयरन (जीआई ) वायर लगाया जाता है। जो कि लोहे और पीसीसी यानि सीमेंटेड पोल के बीच में होता है। जमीन के 4-5 मीटर नीचे पोल को लगाया जाता है। वहीं पोल के बीच में पड़ा जीआई वायर पोल से भी अधिक 6 से 7 मीटर तक जमीन में होता है। इस पोल का इस्तेमाल वहां अधिक होता है, जहां पर वाटर लेवल काफी कम होता है। लेकिन बिजली के बेस गल चुके पोल और बेसअर अर्थिग हादसों को जन्म दे रहे हैं।

लाइन नहीं होती ट्रिप, करंट लगने का खतरा

कुछ-कुछ दूरी पर जीआई पोल लगाने के पीछे का उद्देश्य फॉल्ट को रोकना होता है। जब भी पोल में लगा एंसुलेटर खराब होता है, तो करंट अर्थ के जरिए जमीन के अंदर चला जाता है। वहीं फीडर से लाइन ट्रिप हो जाता है। जिससे इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट के जलने और खराब होने का डर नहीं रहता है। बिजली के तार टूट कर गिरने और ट्रांसफॉर्मर फूंकने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है। वहीं पोल से करंट लगने का खतरा टल जाता है। यही कारण है कि बिजली विभाग 11 केवी पैनल, ट्रांसफॉर्मर और पावर ट्रांसफॉर्मर में अर्थिग का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शहर में लगे अधिकतर बिजली के पोल के बेस गल जाने की वजह से अर्थिग बेअसर हो गए हैं। जिससे खतरा काफी बढ़ गया है।

रहे अलर्ट के घर बनाए अर्थ

हालांकि, थोड़ी सी सावधानी रख करंट लगने से किसी भी प्रकार की अनहोनी से हम बच सकते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि जिनके घर, शॉप या शोरूम में बिजली कनेक्शन हैं, उनको सबसे पहले अर्थिग की व्यवस्था खुद करनी चाहिए। घर पर एक गड्ढा खोदकर 4-5 फीट की सरिया जमीन के अंदर धंसा देना चहिए। जिसमें अर्थिग वाले वायर को बांध दें। फिर गड्ढे में कोयला या नमक और पानी डाल दे। इससे एक फायदा यह होगा कि पोल से कुछ भी गड़बड़ होने पर एमसीबी गिर जाएगी। करंट लगने से होने वाले अनहोनी से भी बच सकेंगे।

बॉक्स

- 1.80 लाख बिजली उपभोक्ता।

- 1795 ट्रांसफॉर्मर।

- 136 पोल जर्जर आईडेंटीफाई किए गए हैं।

- 119 फीडर।

- 4 सब स्टेशन।

बिजली के पोल के पूरी तरह से गल जाने की वजह से अर्थिग प्रॉपर नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से फीडर से लाइन ट्रिप नहीं हो पाती है और इक्विपमेंट के खराब होने के साथ ही करंट का खतरा रहता है। जिसको देखते हुए खराब पोल के साथ ही स्ट्रॉन्ग करने के लिए जर्जर पोल को सही किए जा रहे हैं

एनके मिश्रा, एसई, बिजली विभाग