-धारायें खूब लगाई, बस नामजद मुकदमा की जगह मैसर्स मेहता सर्जिकल के संचालक लिखा

-औषधि विभाग बना वादी, छापा बुधवार दोपहर लेकिन मुकदमा शुक्रवार दोपहर 12 बजे दर्ज हो सका

बरेली : सर्जिकल आइटम पर ओवर रे¨टग, बिना लाइसेंस पीपीई किट पै¨कग और बिना दस्तावेज के स्टॉक पकड़े जाने के बाद औषधि विभाग की तरफ से तहरीर प्रेमनगर थाने पहुंचने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया लेकिन एफआईआर में आरोपित अजय मेहता और उनके साझेदारों के नाम नहीं खोले। मैसर्स मेहता सर्जिकल के संचालक पर केस दर्ज किया गया। जबकि ये दुकान थाने से कुछ किमी की दूरी पर संचालित होती है। थाने का स्टाफ संचालक को बखूबी जानता है।

पुलिस को भी थी जानकारी

बुधवार दोपहर तीन बजे एसडीएम सदर विशु राजा और औषधि इंस्पेक्टर उर्मिला ने संयुक्त छापामारी डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल पर की। तीसरी मंजिल पर धूल भरी जमीन पर पीपीई किट पै¨कग होती मिली। अप्रैल 2021 की मैन्युफैक्च¨रग के लेबल वाली पै¨कग में एक साल पुराना स्टॉक रखा जा रहा था। सैनिटाइजर की बोतल बिना लेवल और कई लेवल और पै¨कग सामग्री बरामद हुई। सर्जिकल स्टाक मिला। लेकिन अजय मेहता और सुशांत मेहता मौके पर स्टॉक के पक्के बिल नहीं दिखा सके। गड़बडि़यों पर औषधि विभाग की तरफ से उन्हें तीन दिन की मोहलत के साथ नोटिस जारी किया गया है।

मोहलत के साथ नोटिस

इस दरम्यान गुरुवार रात आठ बजे एसडीएम विशु राजा ने जांच आख्या के साथ रिपोर्ट थाने भिजवा दी। इंस्पेक्टर प्रेमनगर अवनीश यादव ने रात एफआईआर दर्ज नहीं की। उनका कहना था कि तहरीर नहीं आई। शुक्रवार सुबह औषधि विभाग की इंस्पेक्टर उर्मिला की तरफ से तहरीर पहुंचने के बाद दोपहर बारह बजे एफआईआर लिखी जा सकी। लेकिन यहीं खेल हो गया। एफआईआर में अजय मेहता और उनके साझेदारों का नाम नहीं खोला गया।

इन अधिनियम और धाराओं में दर्ज हुआ केस :

-धारा 420 : संपत्ति, बहुमूल्य वस्तु, हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज में परिवर्तन करने या बनाने या नष्ट करने के लिए प्रेरित करना धोखाधड़ी में आता है। इसमें सजा और आर्थिक दंड या दोनों हो सकते हैं।

-धारा 188 : लोकसेवक द्वारा लागू विधान का उल्लंघन, सरकारी आदेश में बाधा, अवमानना करने पर धारा 188 के तहत कार्रवाई होती है। एक महीने की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा मिल सकती है।

-धारा 269 : किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैरजिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

-धारा 270 : किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम। इस काम से किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। दोनों ही धाराओं में सजा की अवधि लगभग समान है।

-आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 धारा (3) (7)

-महामारी अधिनियम 1897

-आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005

तहरीर आने के बाद हमने मुकदमा लिखा है। विवेचना में जिनकी संलिप्तता मिलती जाएगी। उनके नाम खुलते चले जाएंगे। ये जांच का ही हिस्सा है।

- अवनीश यादव, प्रभारी निरीक्षक प्रेमनगर

पुलिस कार्रवाई के लिए उन्हें तहरीर सौंपी दी गई है। हम औषधि अधिनियम के तहत अपनी कार्रवाई जारी रखे हुए है। अब विवेचना पुलिस को करनी है।

- उर्मिला वर्मा, औषधि इंस्पेक्टर