10,000 रैंक तक counselling

काउंसलिंग की जिम्मेदारी गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी (जीबीटीयू) के जिम्मे है। इसे वह एनआईसी के सर्वर और सॉफ्टवेयर की मदद से कंडक्ट कराता है। यूपी स्टेट एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई) की मेरिट रैंक के आधार पर काउंसलिंग स्टेट के 129 सेंटर्स पर एक साथ मंडे से स्टार्ट होनी थी। पहले दिन जीबीटीयू ने रैंक 1 से 10,000 रैंक तक के स्टूडेंट्स को डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन के लिए डिफरेंट सेंटर्स पर कॉल किया था।

सिटी के 7 centre

जीबीटीयू ने बरेली और उसके आस-पास के डिस्ट्रिक्ट्स के स्टूडेंट्स के लिए बरेली के 7 कॉलेजेज को सेंटर्स बनाया है। श्री राम मूर्ति स्मारक कॉलेज, श्री सिद्धि विनायक इंस्टीट्यूट, फ्यूचर इंस्टीट्यूट, श्री राममूर्ति स्मारक वूमेंस कॉलेज, रक्षपाल बहादुर, एएनए और राजश्री इंस्टीट्यूट को डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन के लिए सेंटर बनाया गया है।

Online verification

इस बार जीबीटीयू एनआईसी के सॉफ्टफेयर की मदद से काउंसलिंग नए प्रोसीजर के तहत कंडक्ट करा रहा है। इसमें स्टूडेंट को सेंटर पर केवल ऑनलाइन डॉक्यूमेंट वैरीफाई कराना होगा। उसके बाद वह खुद वेबसाइट से अपना कॉलेज लॉक कर सकता है। इसके लिए डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन होने के बाद उसके मोबाइल पर आईडी पासवर्ड सेंड की जाती है। मंडे को स्टूडेंट्स ऑनलाइन वैरीफिकेशन के लिए दिन भर सर्वर के लिंक होने का इंतजार करते है। पर न सर्वर लिंक हुआ और न ही डॉक्यूमेंट चेक हो पाए।

इंतजार में गुजर गया दिन

स्टूडेंट्स सुबह 9 बजे से ही डॉक्यूमेंट वैरीफाई कराने के लिए कॉलेज पहुंच गए। पहले तो उन्होंने दिए गए प्रोफॉर्मा को फिल किया। उसके बाद डॉक्यूमेंट को मैनुअली चेक व सेट कराकर फाइल कंप्लीट कराई। लेकिन जब ऑनलाइन डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन का वक्त आया तो पूरा दिन सर्वर स्टार्ट होने के इंतजार में बीत गया। स्टूडेंट्स के साथ उनके अभिभावक भी भी पूरे दिन परेशान हुए। स्टूडेंट्स ने बताया कि अपनी बारी के इंतजार में सुबह से शाम हुई लेकिन कॉलेज की तरफ से कोई कॉल नहीं आई। जब उनसे पूछा गया तो पता चला कि लखनऊ से टेक्निकल प्रॉब्लम है। काउंसलिंग में लगे अधिकारी और टीचर्स भी दिनभर फॉल्ट पता करने की जुगत में लगे रहे, लेकिन जीबीटीयू के किसी भी जिम्मेदार ने उन्हें स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

GBTU, NIC में understanding नहीं

काउंसलिंग की व्यवस्था में लगे अधिकारी और टीचर्स की मानें तो एनआईसी के सॉफ्टवेयर में टेक्निकल फॉल्ट आने से वह सर्वर ठप रहा। इस वजह से कॉलेजेज में बने सेंटर्स सॉफ्टवेयर से लिंक नहीं हो सके। उनकी मानें तो जीबीटीयू और एनआईसी के बीच अंडरस्टैंडिंग की कमी है। इस वजह से काफी दिनों से यह टेक्निकल प्रॉब्लम बनी हुई है लेकिन कोई इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है। मंडे को 7 सेंटर्स में से किसी पर भी काउंसलिंग स्टार्ट नहीं हो पाई।

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