-मृत युवकों के नाम से होटल मालिक ने कराए थीं दो करोड़ की पॉलिसी

-पुलिस ने होटल मालिक समेत दो लोगों को किया गिरफ्तार

BAREILLY: मृत युवक के नाम पर 10 लाख का फर्जी बीमा क्लेम करने वाला सैटेलाइट होटल का मालिक काफी शातिर निकला। उसने एक नहीं बल्कि दो मृत युवकों के नाम पर अलग-अलग बीमा कंपनियों में करीब 4 करोड़ की पॉलिसी करा रखी थीं। इस खेल में वह बीमा एजेंट, सेल्स मैनेजर, डॉक्टर, नगर पंचायत के कर्मचारी और मृतक के परिजनों को भी शामिल कर लेता था। वह फर्जी लोन और कटे हुए वाहनों के क्लेम भी दिलाता था। पुलिस ने होटल मालिक समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। मौत के एक वर्ष बाद क्लेम करने और मां के अलग-अलग बयान से बीमा कंपनी को शक हुआ था। पुलिस अब बीमा एजेंट, सेल्स मैनेजर, डॉक्टर, डेथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले व अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।

कुछ दिनों में 35 लाख्ा का क्लेम

सीओ सिटी वन कुलदीप कुमार ने पुलिस लाइंस में प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बीमा 22 जुलाई को रिलायंस निप्पोन लाइफ इंश्योरेंस के टेरेटरी मैनेजर अमित सक्सेना ने शोएब खां के नाम से फर्जी बीमा क्लेम करने की एफआईआर दर्ज कराई थी। एसआई प्रीति पंवार ने जांच शुरू की तो सामने आया कि शोएब खां के नाम से कुछ दिनों में ही 34 लाख 90 हजार रुपए का बीमा लेने का प्रयास किया गया। इस बीमा रकम को लेने के लिए 1 लाख 48 हजार रुपए का प्रीमियम भी जमा किया गया। ताकि बीमा कंपनियों को शक न हो। उसके बाद 19 लाख 90 हजार का क्लेम शोएब खां के नाम से ले भी लिया गया। शोएब खां के नाम से रिलायंस निप्पोन कंपनी में 7 मार्च 2016 को 10 लाख, 12 मार्च 2016 को 15 लाख और एलआईसी में 9 लाख 90 हजार का बीमा कराया गया।

बीमा होने के बाद 20 दिनों में मौत

पुलिस जांच में सामने आया कि बीमा कवर होने के 20 दिनों में ही शोएब खां की अचानक पेट में दर्द होने से मौत दिखाई गई, जबकि बीमा के दौरान उसे कोई दिक्कत नहीं थी। उसकी मौत 25 अप्रैल 2016 को ठिरिया निजावत खां स्थित घर में होना बताया गया। यही नहीं कब्रिस्तान में दफनाने के बाद ठिरिया नगर पंचायत से डेथ सर्टिफिकेट भी जारी करा लिया गया। बीमा कराते वक्त शोएब खां की एजुकेशन हाईस्कूल बताई गई थी लेकिन जांच में पाया गया कि वह आरयू से बीए फ‌र्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था और उसकी मौत जनवरी में बहेड़ी स्थित ननिहाल में हुई थी और उसे दफनाया ठिरिया के कब्रिस्तान में गया था।

सिग्नेचर में मिला अंतर

शोएब श्यामगंज स्थित लकी गैस एजेंसी में काम करता था और उसने वर्ष 2015 के अंत में काम छोड़ दिया था। उसके एसबीआई के बैंक अकाउंट के स्टेटमेंट को चेक किया गया तो उसकी माली ऐसी नहीं थी कि वह प्रति वर्ष 1 लाख 48 हजार रुपए की बीमा किस्त दे सके। जांच में सामने आया कि शोएब का बीमा नरियावल निवासी शाकिब खां और शफीक खां उर्फ बबलू ने कराया था। शोएब के बीमा प्रपोजल फार्म में गवाह के तौर पर शफीक खां उर्फ बब्लू के सिग्नेचर थे, लेकिन जो नंबर था, वह शाकिब का था। यही नहीं उसके बीमा क्लेम में गवाह में नाम शाकिर का था, लेकिन नंबर शाकिब था। यही नहीं बीमा कराते वक्त फार्म पर सिग्नेचर और पैन कार्ड पर सिग्नेचर अलग-अलग थे। शाकिब ने एलआईसी में बीमा लेने के लिए फर्जी चाचा बनकर लेटर लिखा था।

डॉक्टर ने बनाया फर्जी सर्टिफिकेट

पुलिस जांच में आया कि शाकिब का नंबर वार्ड नंबर 10 ठिरिया निजावत खां निवासी शोहाब पुत्र मोहम्मद अली खां के द्वारा कराई गई बीमा पॉलिसी में भी है। उसके नाम से अलग-अलग बीमा कंपनी में 10 बीमा हैं, जिनका बीमा कवर 3,48,62,478 है। शोहाब की मौत बिजली का करंट लगने और एक्सीडेंट में दिखाई गई है। उसका भी बीमा मौत के बाद कराया गया। उसके बिजली से करंट की मौत की रिपोर्ट नकटिया में चलने वाले हॉस्पिटल जनता केयर सेंटर के डॉक्टर मुश्ताक ने बनाई थी, जो 15 दिन से फरार चल रहे हैं। जब बीमा एजेंट भमोरा निवासी शेर बहादुर और सेल्स मैनेजर बिसौली निवासी जितेंद्र तिवारी से पूछताछ की गई तो उन्होंने अंधेरे में बीमा करने के दौरान न पहचानने की झूठी कहानी बताई है।