मीरगंज के अधेड़ कपल की मासूम बेटी बच्चा वार्ड में गंभीर रूप से एडमिट

कपल ने ब्लड डोनेट करना चाहा, कमजोरी व कुपोषण ने रोकी इलाज की राह

BAREILLY:

इकलौती बिटिया की जिंदगी बचाने के लिए एक दंपति की रगों में बह रहा उनका अपना खून ही आड़े आ गया। बच्ची डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बच्चा वार्ड में गंभीर रूप से एनिमिया से जूझ रही थी। बच्ची को खून चढ़ाने को लेकर उस वक्त मुश्किल बढ़ गई, जब डॉक्टर ने मां-बाप का ब्लड डोनेट करने से इनकार कर दिया। लिहाजा, 24 साल बाद पैदा हुई इकलौती बेटी को बचाने के लिए माता-पिता दिनभर दौड़ लगाते रहे। आखिरकार आईएमए बेबस मां-बाप की मदद के लिए आगे बढ़ा।

कमजोर शरीर बना मुसीबत

मीरगंज के बेटिया चौहान गांव के रहने वाले रूम सिंह और उनकी वाइफ ऊषा को शादी के 24 साल बाद औलाद हुई। पेशे से मजदूर 55 साल के रूम सिंह व 51 साल की ऊषा की 4 साल की बेटी नन्ही को एनीमिया की शिकायत थी। परिजन उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने बच्ची को ओ पॉजीटिव ग्रुप खून चढ़ाने और इसके लिए ब्लड यूनिट की जरूरत बताई। ब्लड डोनेट करने को डोनर की उम्र 18 से 65 साल, वजन 45-50 किग्रा और हीमोग्लोबीन का स्तर 12.5 ग्राम डेसीलीटर होना चाहिए। गरीब दंपत्ति का शरीर और खून में मौजूद हीमोग्लोबीन इन मानकों को पूरा न कर सका।

आईएमए से मिली मदद

परेशान परिजनों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के स्टाफ ने आईएमए ब्लड बैंक जाने को कहा। जब अपना खून काम न आया और सरकारी हॉस्पिटल से भी ना-उम्मीदी मिली, तब ऐसे मौके पर गरीब मजदूर की मदद को आईएमए ब्लड बैंक आगे आया। डोनर न होने की कंडीशन में भी आईएमए ब्लड बैंक से गरीब को तीन यूनिट ब्लड दिया गया। आईएमए ब्लड बैंक डायरेक्टर डॉ। ऊषा उप्पल ने बताया कि गरीब दंपति को बच्ची के लिए एक यूनिट ब्लड दे दिया गया है, जबकि अन्य दो यूनिट खून कुछ घंटों के बाद मुहैया हो जाएगा।