- बच्चों को मिलेगी ड्रेस, केंद्रों पर बनेंगे शौचालय, मिलेगा शुद्ध पानी

- गोद लिए गांवों का होगा चयन, समग्र गांव भी होंगे शामिल

- कायाकल्प में एनजीओ, सामाजिक संगठनों की ली जाएगी मदद

BAREILLY: मॉडल ग्राम, आदर्श ग्राम और मॉडल स्कूलों की तर्ज पर अब आंगनबाड़ी केंद्र भी मॉडल बनाए जाने की कवायद शुरू हो रही है। जिले के करीब 70 हजार कुपोषित और स्कूल तक न पहुंच पाने वाले बच्चों को स्वस्थ व शामिल करने के लिए बाल विकास विभाग ने योजना बनाई है। इसके तहत प्रथम चरण में जनपद के सौ मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन किया जाएगा। इन केंद्रों पर बच्चों को सभी बेसिक सुविधाएं मिलेंगी। शुद्ध पानी से लेकर शौचालयों तक की बेहतर व्यवस्था उपलब्ध करायी जाएगी। बाल विकास विभाग ने मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

शौचालयों का होगा निर्माण

जिले में करीब 2759 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिसमें करीब 2 लाख से ज्यादा की संख्या में बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन प्रतिदिन केवल 70-90 हजार बच्चों की ही उपस्थिति दर्ज हो पाती है। क्योंकि आंगनबाड़ी भवनों की जर्जर हालत समेत शौचालय की समस्या हावी थी। ऐसे में सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय बनवाए गए। लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए वह बंद ही रहे। ऐसे में मॉडल केंद्र बनाए जाने के क्रम में प्राथमिकता शौचालय की रखी गई है। जिसके निर्माण की जिम्मेदारी पंचायतीराज विभाग को सौंपी गई है।

कुपोषण पर होगा वार

जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत दो लाख बच्चों में से करीब 60 हजार बच्चे अल्प वजन के कुपोषित है। वहीं करीब 6 हजार बच्चे अति अल्प वजन के कुपोषित जांच में पाए गए हैं। पिछले दिनों शासन की टीम ने सभी केंद्रों का सर्वे किया तो पाया कि केंद्रों पर बच्चों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। दी जाने वाली पंजीरी एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की किट भी एक्सपायर मिली। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाने का निर्णय लिया।

गोद लिए गांवों से होगी शुरुआत

मॉडल गांव बनाने की योजना की शुरुआत अफसरों की ओर से गोद लिए गांवों से होगी। उन्हें मॉडल बनाया जाएगा। गोद लिए गांवों की संख्या सौ है। वहीं, दूसरी ओर समग्र गांवों के अलावा सांसद गांवों को भी वरियता मिलेगी। इन केंद्रों पर शौचालय, पानी, सफाई, बच्चों की यूनीफार्म, चार्ट, बाल पेंटिंग, बैठने को टाट पट्टी या फर्नीचर आदि की सुविधाएं दी जाएंगी।

जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाने के निर्देश हैं। प्राथमिक स्तर पर सौ गांवों को शामिल किया गया है। इस कार्य के लिए एनजीओ, सामाजिक संगठनों का भी सहयोग रहेगा।

बुद्धि मिश्रा, डीपीओ