यूजीसी ने कॉलेज व यूनिवर्सिटी में व्यवस्था लागू करने के दिए निर्देश

BAREILLY: स्कूलों के हेड ब्वॉय और हेड गर्ल का कल्चर अब यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में भी लागू किया जाएगा। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यूजीसी ने इस संबंध में सभी यूनिवर्सिटीज को लेटर जारी कर दिया है। बस इन स्टूडेंट्स का नाम चेंज कर दिया गया है। यह कल्चर लागू करने के पीछे यूजीसी की मंशा है कि कैंपस में ग‌र्ल्स और ब्वॉयज के बीच ऐसा फ्रेंडली एनवायरमेंट क्रिएट की जाए, जिसमें बिना किसी भेदभाव के दोनों की समान भागीदारी हो। । इसके लिए यूजीसी ने गाइडलाइंस भी जारी कर दी हैं। इन स्टूडेंट्स के जिम्मे कैंपस में तमाम एकेडमिक और कल्चरल एक्टिविटीज को कंडक्ट कराने की भी जिम्मेदारी होगी। यही नहीं नोडल टीचर की मदद से इन एक्टिविटीज का एकेडमिक कैलेंडर भी तैयार किया जाएगा।

कहलाएंगे जेंडर चैंपियंस

यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में इन स्टूडेंट्स को जेंडर चैंपियंस का नाम दिया गया है। सेंट्रल गवर्नमेंट की मिनिस्ट्री ऑफ वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट और एमएचआरडी ने संयुक्त रूप से जेंडर चैंपियंस का कल्चर डेवलप करने के लिए गाइडलाइंस बनाई हैं। जिन्हें स्कूल और कॉलेजेज में लागू करना है। हालांकि स्कूल में पहले से ही हेड ब्वॉय और हेड गर्ल का कल्चर है। ऐसे में यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में इनकी तैनाती को मस्ट कर दिया है। 16 वर्ष की आयु के उपर वाले स्टूडेंट्स को ही जेंडर चैंपियंस बनाया जाएगा। जिनका प्रमुख काम होगा कैंपस के बाकी स्टूडेंट्स के पोटेंशियल को और मजबूत करना ताकि वे जेंडर इक्वालिटी को लेकर संजीदा हो सकें।

इनकी भी है योग्यता

जेंडर चैंपियंस को नियुक्त करने की भी गाइडलाइंस तैयार की गई हैं। ये दोनों कैंपस के आम स्टूडेंट्स के बीच में से ही होने चाहिए। जिनको इंस्टीट्यूशन के हेड सिलेक्ट कर सकते हैं। इन स्टूडेंट्स के मिनिमम 50 परसेंट मा‌र्क्स जरूरी है। इसके साथ ही इनमें लीडरशिप क्वालिटी, कम्यूनिकेशन स्किल्स की योग्यता के साथ सामाजिक व सांस्कृतिक मुद्दों की समझ भी होनी चाहिए।

मिलेगा सर्टिफिकेट

यही नहीं इन जेंडर चैंपियंस की हेल्प के लिए एक नोडल टीचर को भी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। जो इनकी एक्टिविटीज को मॉनिटर करेगा। उनकी निगरानी में साल भर कैंपस में होने वाले एक्टिविटीज का एकेडमिक कैलेंडर बनाया जाएगा। जेंडर चैंपियंस इन एक्टिविटीज को कंडक्ट कराने और इस योजना के ऑब्जेक्टिव में कितना सफल हो पाए हैं, इसका भी असेस्मेंट किया जाएगा। सेशन के एंड में इनको इंस्टीट्यूशन की तरफ से सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाएगा।

जेंडर इक्वालिटी को देंगे बढ़ावा

इन जेंडर चैंपियंस का मेन काम अपने डिफ्रेंट एक्टिविटीज के जरिए कैंपस में जेंडर इक्वालिटी को बढ़ावा देना है। सभी स्टूडेंट्स को इसके प्रति अवेयर करना है और उनको इस मुद्दे के प्रति संवदेनशील बनाना है। कैंपस में ऐसा एनवायरमेंट क्रिएट करना है, जिसमें ग‌र्ल्स और ब्वॉयज के बीच किसी भी प्रकार की जेंडर इनइक्वालिटी न हो।

ये एक्टिविटीज करनी होंगी परफॉर्म

- कैंपस में पोस्टर, डिबेट्स, ग्रुप डिस्कशन, समेत कई कॉम्पिटीशंस के जरिए जेंडर इक्वालिटी के प्रति अवेयर करना।

- एक्टिविटीज में समाज के अन्य ग्रुप्स को भी शामिल किया जाना।

- कैंपस में लिंग अनुपात के गैप का पता करना और उसको फिल करने के लिए प्रयास करना।

- कैंपस में जेंडर चैंपियन क्लब स्थापित करना जो इनोवेटिव एक्टिविटीज परफॉर्म कर सके। ब्लॉग और वेबसाइट क्रिएट कर एक्टिविटीज के लिए प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराना।

- कैंपस में एनुअल फंक्शन, फिल्म फेस्टिवल्स, जैसे बड़े कल्चरल इवेंट्स समेत तमाम एकेडमिक इवेंट्स को ऑर्गनाइज कराना, जिसके माध्यम से वूमेन एमपॉवरमेंट पर चर्चा की जा सके।

- स्टूडेंट्स के लिए एक्सपोजर विजिट ऑर्गनाइज करना। इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्र, पोस्ट ऑफिस, बैंक, हेल्थ सेंटर्स, पुलिस विभाग समेत कई विभागों का दौरा कर जेंडर इश्यूज के प्रति नॉलेज गेन करना।

- कैंपस में वूमेन, पुलिस, हेल्थ, ब्लड बैंक समेत कई हेल्पलाइन नम्बर्स का प्रचार-प्रसार करना।

- गवर्नमेंट की तमाम स्कीम्स का स्टूडेंट्स के बीच प्रचार-प्रसार करना।