-तिरंगे से मोहब्बत का जज्बा ये मर नहीं हो सकता, कभी तोप और बम से मैं डर नहीं सकता

-कवि सम्मेलन में लोगों ने ठहाकों के बीच की मस्ती, बाद खेली फूलों की होली

>BAREILLY

रहमते खुदा से तो महरूम वो भी है, जिनके घर के आंगन में बेटिया नहीं आती जब मशहूर कवियत्री नगमा बरेलवी ने यह पंक्तियां सुनायी तो श्रोता बेटियों के लिए भाव विभोर हो उठे। मौका था अग्रवाल सेवा समिति के तत्वावधान में होली के अवसर पर ओयाजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का। सम्मेलन का आयोजन रामपुर बाग स्थित महाराजा अग्रसेन पार्क में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि राजर्षि मेडिकल कालेज की प्रबंध निदेशक डॉ। मोनिका ने महाराजा अग्रसेन जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अध्यक्ष एड। अजय अग्रवाल व महामंत्री दिनेश अग्रवाल ने अतिथियों का फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। हाथरस से आई कवियत्री मीरा दीक्षित ने सरस्वती वंदना से काव्य पाठ शुरू किया।

फूलों की ख्ोली होली

कवि सम्मेलन में पंतनगर से आए मोहन मुंतजिर ने प्रेम पर कविता सुनाते हुए कहा चढ़ा न सर पे इसे फिर न प्यार उतरेगा , तबाह करके तुझे ये बुखार उतरेगा डॉ। केपी सिंह विकल बहराइची ने देशभक्ति पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि तिरंगे से मुहब्बत का ये जज्बा मर नहीं सकता, कभी भी तोप, बम बंदूक से मैं डर नहीं सकता कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए कवि रोहित राकेश ने कहा कि ए खुदा ये काम हो जाए, उसका प्लॉट मेरे नाम हो जाए लोटा मुरादाबादी ने राजनेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि अपनी आंख दिखाने के बाद, नेताजी ने पूछ ली डॉक्टर से एक बात, मेरी आंख का क्या हाल हैं? डॉक्टर बोला नेताजी, आप की आंख में सुअर का बाल है हाथरस की मीरा दीक्षित ने सुनाया कि प्रभु ऐसे कर दो हम पर करम, ऐसे हो जाएं मेरे बलम, झाडू लगाएं और कपड़े धुलवाएं। इस तरह कई कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में फूलों की होली खेली इस दौरान सभी ने एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी। इस मौके पर राजकुमार अग्रवाल, अध्यक्ष अजय अग्रवाल, महामंत्री दिनेश अग्रवाल, संयोजक सुधीर कुमार अग्रवाल, एड। हर्ष कुमार अग्रवाल व सौरभ अग्रवाल, महेंद्र अग्रवाल, संजय गर्ग उमानाथ अग्रवाल आदि मौजूद रहे।