बरेली(ब्यूरो)। शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 63 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इनमें से 30 प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया जा रहा है व अन्य 33 का कार्य पूरा हो चुका है। पूरे हुए कार्यों में ट्यूबवेल एंड ऑटोमेशन प्रोजेक्ट से शहर के 94 ट्यूबवेल को ऑटोमेशन मोड पर कर दिया गया है। इससे मैनुअली ऑन-ऑफ करने की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी। साथ ही इसका संचालन करने के लिए ऑपरेटर्स की भी जरूरत नहीं हैै। इससे हर साल 1.12 करोड़ रुपए की बचत होने का दावा निगम के अधिकारी कर रहे हैैं।

ये होगा फायदा
शहर के 80 वार्डों में 94 ट्यूबेवल का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 15.65 करोड़ में आटोमेशन किया गया है। इस सिस्टम के लगाने के बाद हर वर्ष 1.12 करोड़ व पांच वर्ष में साढ़े पांच करोड़ रुपये बचाने का अधिकारी दावा कर रहे हैैं। इससे वहां काम करने वाले ऑपरेटरों को भी हटा दिया गया है। ऑपरेटरों के स्थान पर ट्यूबवेल को आटोमेशन मोड में संचालित किया जा रहा है। इससे नगर वासियों को पानी को लेकर होने वाली समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा।

फैक्ट एंड फिगर
15.65 करोड़ से किया गया आटोमेशन
80 वॉर्डो में लगाया गया है ऑटोमेशन
94 ट्यूबवेल को किया गया है ऑटोमेशन
1.12 करोड़ की हर वर्ष होगी सेविंग

वॉटर नहीं होता है वेस्ट
जलनिगम के अधिशासी अभियंता निर्माण खंड विद्युत यांत्रिक पंकज कुमार यादव ने बताया कि ऑटो मोड में होने से पहले कई क्षेत्र के ट्यूबवेल पानी भरने के बाद भी लगातार चलते रहते थे, इससे हर दिन करीब 16 एमएलडी पानी बर्बाद होता था, लेकिन ऑटोमेशन मोड में पानी की टंकी भर जाने के बाद तुरंत ही नोटिफिकेशन आने के साथ संबंधित क्षेत्र का ट्यूबवेल ऑटोमेटिक ऑफ हो जाता है। ट्यूबवेल के ऑटो मोड संचालन से मैनपॉवर व अनावश्यक आवागमन के खर्च पर रोक लगी है। पावर खर्च में भी वर्ष में 15 से 20 प्रतिशत कमी आएगी। पानी की सप्लाई नियमित अपने समयानुसार की जा रही है।

कमिश्नर ने की थी गहन समीक्षा
मंडलायुक्त संयुक्ता समद्दर ने छह अक्टूबर को आईसीसीसी का निरीक्षण किया था। वहां पर उन्होंने जल निगम के अधिकारी ने प्रजेंटेशन के माध्यम से इस प्रोजेक्ट की गहनता से समीक्षा की। इस दौरान जलनिगम के अधिकारियों ने बताया कि पहले पानी की सप्लाई होने के दौरान पीएच व टीडीएस की जांच नहीं हो पा रही थी, जो ऑटोमोड में होने के बाद पानी की गुणवत्ता भी इंप्रूव हुई है। इसको लेकर मंडलायुक्त ने प्रोजेक्ट को अन्य निकायों में ऐसी व्यवस्था की पहल के सुझाव दिए थे।