केमिकल नशे की गिरफ्त में गरीब बच्चे, शौक बन रहा जानलेवा बीमारी की वजह

BAREILLY:

जिस उम्र में हाथों में किताबें होनी चाहिए, उस उम्र में वे जंक्शन पर कूड़ा बटोर रहे। हाथ में पेन-पेंसिल की जगह मुसाफिरों की फेंकी खाली पानी की बोतलें और कचरा है। कई बार खाली हाथ चंद सिक्कों की उम्मीद में आते जाते मुसाफिरों के आगे भी फैल जाते हैं। न मां-बाप का साथ दिखता है, न सिर छिपाने की ठौर। ऐसे हालात में प्लेटफॉर्म के किसी कोने में केमिकल से नशा लेने का शौक, इन बच्चों का बचपन ही खतरे में डाल रहा। जंक्शन पर घूमने वाले बेसहारा और गरीब बच्चे जानलेवा नशे की गिरफ्त में हैं। रेलवे की ओर से कोई ठोस योजना और कार्रवाई न होने से नशा धीरे धीरे इन बच्चों के खून में घुलकर उन्हें जिंदगी से दूर ले जा रहा।

सस्ता नशा, महंगी भूल

जंक्शन पर जिंदगी की मुफलिसी काट रहे गरीब व बेसहारा बच्चे खाना जुटाने की जद्दोजहद के बीच जानलेवा जहर की चपेट में आ रहे। गरीबी और भूख के बीच इन बच्चों में नशे का शौक पनप रहा। नशा भी ऐसा जो अधेसिव केमिकल की महक का है। 15-25 रुपए में मिलने वाली छोटी सी अधेसिव ट्यूब को कपड़े में डाल और तेजी से सांस खींचकर मासूम यह खतरनाक जहर अपने अंदर ले रहे। छोटी उम्र में ही इस 'शौक' के पनपने के पीछे भी मासूमों के अपने ही हैं। जो धीरे धीरे बच्चों में इसक आदत डाल रहे।

लत करा रही गलत काम

जंक्शन पर इन गरीब बच्चों को नशे की गिरफ्त में धकेलने के पीछे भी एक घिनौनी वजह है। इन बच्चों को नशे का आदी बनाकर उन्हें इसकी जरूरत पूरी करने के लिए पैसे चाहिए होते हैं। इस पैसे का इंतजाम करने के लिए बच्चों को चोरी और दूसरे गलत काम करने के लिए भी मजबूर किया जाता है। नशे के आदी बन चुके बच्चे अपराध का ककहरा सीखने को मजबूर हो जाते हैं। वहीं अधेसिव ट्यूब में मौजूद केमिकल बच्चों में सांस और फेफड़ों की बीमारी पैदा कर रहा। इस केमिकल से बच्चों के दिमाग और दिल को भी नुकसान कर रहा, जो इन्हें कम उम्र में मौत के रास्ते पर ले जा रहा।

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आरपीएफ और चाइल्ड लाइन जंक्शन पर घूमने वाले बच्चों की शिनाख्त कर उन्हें चाइल्ड केयर सेंटर पहुंचाने का काम कर रही। पिछले दिनों ऐसे 11 बच्चों को चाइल्ड लाइन में सुधार के लिए भेजा गया है। ऐसे बच्चों के परिजन ही उन्हे नशे और गलत काम की ओर कमाई के लालच में फेंक देते हैं। - टीपी सिंह, इंचार्ज, आरपीएफ पोस्ट