-6 मार्च 2017 को किशोर घर से कस्बा जाते समय हुआ गुमशुदा

-पांच माह बाद भी गुमशुादा किशोर को नहीं तलाश पाई थाना पुलिस

>BAREILLY:

'लाल' क्या गुमशुादा हुआ मां-बाप का शुकून ही खो गया। आज भी मां रात को उठकर अपने लाल का इन्तजार करती है। परिजनों के समझाने के और बेटा गुमशुदा होने के बाद भी मां की ममता 'लाल' के लिए कम नहीं हुई। बेटे की याद में रोने से मां की आंखों से आंसू सूखने लगे। लेकिन गुमशुदा 'लाल' नहीं आया। आज भी सुबह से लेकर देर रात तक अपने बेटे की याद में पलके बिछाए बैठे रहते हैं। लेकिन जब आने जाने वालों से पूछने पर बेटे की कोई सूचना तक नहीं मिलती है तो मां-बाप को सिर्फ मायूसी ही मिलती है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आपको आज एक ऐसे ही परिवार का हाल बताएगा जिसका लाल गुमशुदा है और उनके दिल पर क्या गुजर रही है

खेत पर देने गया था पिता को खाना

दो बेटों में छोटा और इकलौती बहन से बड़ा मीरगंज थाना के गांव रसूलपुर मझरा निवासी सत्यवीर 13 वर्ष पिता के साथ गांव में रहकर खेती करता था। सत्यवीर के पिता भूपराम किसान और मां निर्मला देवी हाउस वाइफ है.सत्यवीर ने बताया कि सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था कि पांच माह पहले एक दिन सत्यवीर घर से खेत पर खाना देने के लिए निकला, लेकिन वह न तो खेत पर पहुंचा और न घर वापस आया। दोपहर बाद जब सत्यवीर के पिता खेत पर काम करने के बाद थके हुए घर पहुंचे तो उन्होंने पत्नी निर्मला से खाना खेत पर न भिजवाने का कारण पूछा। जानकारी करने पर पता चला कि सत्यवीर तो खाना लेकर खेत पर गया था। यह सुनते ही भूपराम ने उसे तलाशा लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। बेटा गायब होने पर उन्होंने रिस्तेदारी तलाशी जब कोई जानकारी नहीं मिली तो पुलिस को सूचना दी। जिस पर पुलिस ने उसकी गुमशुदगी दर्ज कर ली।

आज भी करते हैं बेटे का इन्तजार

रसूलपुर मझरा गांव के भूपराम ने बताया कि बेटा मंद बुद्धि था जिस कारण वह पढ़ लिख नहीं पाया। जिससे वह भी खेती के काम में लग गया था। बड़ा बेटा नोयडा में प्राइवेट जॉब करता है, और वहीं रहता है जबकि बेटी की शादी कर चुके भूपराम अब पत्नी के साथ गांव में रहते हैं। सत्यवीर की मां निर्मला से जब उसके लाल के बारे में बात की गई तो वह बताते हुए रोने लगी। और कहा कि जब सत्यवीर के पिता घर से बाहर खेत पर काम करने जाते हैं तो सत्यवीर ही उनके लिए खाना देने जाता था।

गुमशुदगी दर्ज कर भूल जाती है पुलिस

भूपराम का आरोप है कि बेटा गुम होने के बाद उन्होंने थाना पुलिस को जानकारी दी। तो पुलिस ने एक हफ्ता बाद मुकदमा तो दर्ज कर लिया, इसके बाद तलाश करने की जरूरत नहीं समझी जिससे उनका बेटा आज तक उन्हें नहीं मिल सका है। आरोप है पुलिस गुमशुदा को तलाश करती तो खोया हुआ बेटा जरूर मिल जाता।