-ममता आश्रय स्थल में काउंसिलिंग के बाद परिजनों की हुई तलाश

-वर्ष 2009 में पटना स्थित घर से हो गई थी लापता, बहन-भाई मिले गले

BAREILLY: एक भाई के लिए इससे बड़ी खुशी क्या होगी कि रक्षाबंधन से ठीक पहले उसकी लापता बहन वापस मिल जाए। जिस बहन को वह वर्षो से तलाश रहा हो वह बहन इस बार उसके हाथ पर राखी बांधेगी। पटना के श्रीकांत को यह खुशी आठ साल बाद मिली है। उनकी बहन वर्ष 2009 में लापता हो गई थी। उनकी बहन बरेली के ममता आश्रय स्थल में रह रही थी। मनोवैज्ञानिक शैलेश के प्रयास ने काउंसलिंग के जरिए ममता का पता लगाया जा सका। फ्राइडे को ममता का भाई बरेली पहुंचा और बहन को देखते ही गले लगा लिया।

भोजपुरी भाषा बोलने पर बताया पता

मनोसमर्पण मनो सामाजिक सेवा समिति के अध्यक्ष परामर्श मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार ने बताया कि वह ममता आश्रय स्थल में रह रही महिलाओं की काउंसलिंग कर रहे थे। उन्होंने कई बार सुनीता की काउंसलिंग की लेकिन उसने अपना नाम-पता ही नहीं बताया। एक बार उसने बक्सर के बारे में बताया तो उन्होंने भोजपुरी भाषा में काउंसलिंग की। भोजपुरी में बोलने पर सुनीता ने अपना नाम व पता बता दिया।

परिवार में तीन बहनें और दो भाई

सुनीता के पिता का नाम मोती लाल सिंह है। वह ग्राम बन्नी, थाना धनसोइ, ब्लॉक राजपुर, जिला बक्सर बिहार की रहने वाली है। उसके परिवार में तीन बहनें लाखो देवी, कमला देवी और सरिता देवी, उसके दो भाई विनोद कुमार सिंह और श्रीकांत ंिसंह हैं। उसके पति का नाम सचीता हैं जो जहरी, दिनारा, रोहताश बिहार के रहने वाले हैं। सुनीता के दो बेटे हैं। सुनीता ने काउंसलिंग में बताया कि पारिवारिक कलह के चलते वह मेंटली डिस्ट‌र्ब्ड हो गई थी। उसका पटना में इलाज भी चल रहा था। वह वर्ष 2009 में अचानक घर से लापता हो गई थी। उसके बाद से परिजन उसकी तलाश कर रहे थे।

मेरठ नारी निकेतन से आयी थी बरेली

सुनीता को 5 जून 2016 को मेरठ के नारी निकेतन से बरेली के मानसिक मंदित आश्रय ग्रह सह प्रशिक्षण केन्द्र में लाया गया था। वह जनवरी 2013 से नारी निकेतन मेरठ में थी। काउंसलिंग में जब सुनीता ने बक्सर के बारे में बताया तो उन्होंने एसएचओ राजपुर से सुनीता की फैमिली का पता लगाने के लिए फोन किया। जिसके बाद पुलिस ने सुनीता के भाई श्रीकांत से बात कराई। पहली बार तो श्रीकांत को यकीन नहीं हुआ तो सुनीता से बात कराई गई। सुनीता से बात करने के बाद श्रीकांत को यकीन हो गया और वह दूसरे भाई के साथ बरेली पहुंचे। फ्राइडे को शैलेश दोनों भाइयों को ममता आश्रय स्थल लेकर पहुंचे। यहां पर सुनीता को देखते ही दोनों भाइयों ने गले लगा लिया। ममता आश्रय स्थल की अधीक्षिका ने माधुरी यादव ने सुनीता को भाइयों को सुपुर्द कर दिया और फिर दोनों भाई ट्रेन से सुनीता को साथ लेकर चले गए।