-10 अक्टूबर से ही रोडवेज की शताब्दी और जनरथ में सीटें हो गई थी फुल

-ट्रेनों और रोडवेज में सीट नहीं मिलने से निराश हैं पैसेंजर्स

26-हजार पैसेंजर्स ट्रेन से डेली करते हैं सफर

25-हजार से अधिक पैसेंजर्स रोडवेज से करते हैं डेली सफर

22-एसी बसें रीजन से संचालित

150-से अधिक पैसेंजर्स ट्रेनें बरेली जंक्शन से होकर निकलती है डेली

बरेली : दिवाली पर घर आना था लेकिन ट्रेन और बस दोनों में ही टिकट नहीं मिल रही है। इसलिए घर नहीं आ पाऊंगी। यह कहना है लेफ्टिनेंट की पत्नी पूजा का। पूजा शहर की रहने वाली हैं। पति फौज में हैं वह आयोध्या में हैं। इसी तरह शहर के वीरसावरकर नगर के रहने वाले इंजीनियर रिषभ मिश्रा भी दिवाली पर घर नहीं पहुंच पा रहे हैं। रिषभ राजस्थान में इंजीनियर हैं। यह समस्या रिषभ या फिर पूजा के साथ ही नहीं अन्य आने जाने वाले पैसेंजर्स के साथ भी है, जो दिवाली और उर्स की भीड़ के चलते अपने घर तक नहीं पहुंच पाएंगे।

जनरल बसें भी फुल

रोडवेज में शताब्दी और जनरथ में तो वहीं, लखनऊ और दिल्ली आने जाने वाली बसों में नो सीट 10 अक्टूबर से ही हो गई थी। वहीं, बरेली में ठहरने वाली कई ट्रेनों में भी नो रूम की स्थित शो हो रही हैं। हालांकि रेलवे ने 6 स्पेशल ट्रेनें चलाने और परिवहन निगम ने बसों के फेरे बढ़ाने का दावा तो किया लेकिन पैसेंजर्स की भीड़ को देखते हुए इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।

पर्सनल वाहन ही बचा ऑप्शन

दिवाली फेस्टिवल के चलते ट्रेनों और बसों में हर साल भीड़ होती थी लेकिन इस बार शहर में चल रहे उर्स में शामिल होने के लिए आने वाले जायरीनों की वजह से बसों और ट्रेनों में जगह नहीं है। अब बरेली आने के लिए सिर्फ दो ही ऑप्शन हैं। सफर करने के लिए या तो महंगी टैक्सी बुक करिए या फिर पर्सनल वाहन से ही निकलिए वर्ना हो सकता है आप सफर में ही सफर करते रह जाएं।

- दिवाली पर घर आना तो चाह रहा था लेकिन दिवाली के साथ उर्स भी है शायद इसीलिए पैसेंजर्स की भीड़ अधिक चल रही है। कहीं सीट ही नहीं मिल पा रही है। इसीलिए दिवाली के बाद ही घर आएंगे।

रिषभ मिश्रा, वीरसावरकर निवासी

- अयोध्या से बरेली आने के लिए कोई बस और ट्रेन में कंफर्म टिकट नहीं मिल पा रहा है। अब ऐसे में क्या करूं समझ नहीं आ रहा है। दिवाली पर बसों में तो टिकट मिलना चाहिए, अब ऐसे में पर्सनल वाहन ही यूज करना होगा।

पूजा, इज्जतनगर निवासी

दिवाली पर घर मेरठ जाना था, बस में तो रिजर्वेशन आसानी से हो जाता था लेकिन आज तो किसी बस में भी रिजर्वेशन नहीं मिल पा रहा है। ट्रेन की बात ही छोड़ दीजिए। जनरल बसों में भी इतनी भीड़ है कि बस में एंट्री करना भी मुश्किल है।

कामना राठी, स्टूडेंट

-शहर में स्टडी करती हूं, दिवाली पर घर लखनऊ जाना था लेकिन किसी ट्रेन में सीट की बात तो छोड़ों बसों ने भी बेबस कर दिया। अब तो बसों में भी सीट नहीं मिल पा रही है। बसें तो ट्रेन से आगे हो गई हैं। कैसे जा पाऊंगी समझ नहीं आ रहा है।

प्रिंसी, लखनऊ

-छुट्टी में घर जाने के लिए निकली लेकिन किसी बस और ट्रेन में सीट ही शो नहीं हो रही है। इसीलिए अब दिवाली पर घर नहीं जा पाऊंगी लेकिन घर वाले भी परेशान होंगे। सभी इंतजार कर रहे थे कि दिवाली पर आ रही हूं।

आकांक्षा, बिजनौर