- कुतुबखाना और शहामतगंज सिटी के सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले एरिया

- 40 डेसीबल है मानक और 80 डेसीबल तक हो रहा शोर

BAREILLY:

सिटी में वाहनों की बढ़ती संख्या और सड़क जाम की बड़ी समस्या ने शहर को पी-पों की शोर में जकड़ लिया है। यही वजह है कि शहर में शोरगुल कानफोड़ू के लेवल को पार कर चुका है। कुतुबखाना और शहामतगंज मार्केट की स्थिति तो बेहद गंभीर हो चुकी है। हैरत की बात यह है कि इस खतरे को एडमिनिस्ट्रेशन नजरअंदाज किए है। जबकि, न्वॉयज पॉल्यूशन के चलते न जाने कितने लोग बीपी, हार्ट और बहरेपन के शिकार हो रहे हैं।

बढ़ रहे कान के मरीज

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की रिपोर्ट के मुताबिक ओपीडी में हर दिन 2 सौ से अधिक कान के रोगी पहुंच रहे हैं। इनके कान में दर्द रहता है। साथ ही 30 फीसदी मरीजों को कम सुनाई देने की प्रॉब्लम हो रही है। तो दूसरी ओर कम सुनाई देने और कन्संट्रेशन की शिकायत अब बच्चों में भी होने लगी है, जिसके काफी गंभीर परिणाम होने की संभावना है। इन रोगों से पीडि़त ज्यादातर शहामतगंज, चौपुला, कुतुबखाना इलाके के निवासी हैं। वहीं, डेलापीर, किला, सैटेलाइट एरिया में भी 20 परसेंट कान के रोगी जिला अस्पताल के अलावा निजी हॉस्पिटल में पहुंच रहे हैं।

व्हीकल्स की संख्या में इजाफा

शहर में पॉल्यूशन बढ़ने का मेन वजह लगातार बढ़ रहे व्हीकल्स की संख्या में इजाफा होना है। व्हीकल्स में लगे कान फोड़ू हॉर्न और उससे निकलने वाले 70 डेसीबल से अधिक की ध्वनि कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा रही है। आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड्र व्हीकल्स बाइक, जीप, ऑटो, टैक्टर, ट्रक और बस सहित अन्य व्हीकल्स की संख्या 2.5 लाख से भी अधिक है। व्हीकल्स द्वारा निकले वाले ध्वनि पॉल्यूशन की जांच के लिए कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। जिस वजह से सिटी में बढ़ रहे पॉल्यूशन को कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा है।

पीसीबी ने रखे हैं कान पर हाथ

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक रेजिडेंशियल एरिया में 40 डेसिबल से ज्यादा की आवाज नहीं होनी चाहिए। लेकिन यहां भी आंकड़ा 60 डेसिबल के पार पहुंच रहा है। कैंट में ध्वनि 30 डेसिबल होनी चाहिए लेकिन यहां भी 50 डेसिबल तक ध्वनि नोट की जा रही है। शहर के अंदर 60 डेसिबल से अधिक शोर नहीं होना चाहिए पर यह आंकड़ा 80 क्रॉस कर गया है, लेकिन यह शोर पीसीबी के कानों तक नहीं पहुंच रहा।

कार्रवाई की प्रक्रिया

नियम को उल्लंघन करने पर रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा रिपोर्ट तैयार कर लखनऊ बोर्ड मुख्यालय को भेजा जाता है। रिपोर्ट के बाद मुख्यालय द्वारा कारण बाताओ नोटिस जारी किया जाता है। रिस्पांस न मिलने पर बंदी आदेश जारी किया जाता है। इसके बावूजद भी नियम की अनदेखी होती है तो, जुर्माना समेत 6 साल तक सजा का प्रावधान है, लेकिन फिलहाल सिटी में यह कार्रवाई नहीं की गई है।

पॉल्यूशन के चलते हो रही प्रॉब्लम

ब्लड प्रेशर - तेज ध्वनि की वजह से ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। वहीं, लगातार ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से हार्ट अटैक आने की भी संभावना रहती है। गौरतलब है कि 80 डेसिबल के ऊपर की ध्वनि हृदय संबंधी रोगों का कारण बनता है। सिटी में ब्लडप्रेशर की समस्या से ज्यादातर उम्रदराज पीडि़त हैं।

वेसोकन्सट्रिक्शन - जिसे कोरोनर आर्टरी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें तेज ध्वनि से मस्तिष्क की नसें प्रभावित होने से डिप्रेशन की स्थिति भी बन सकती है। सिर में दर्द बना रहता है। सिटी में कोरोनरी की समस्या से करीब 5 परसेंट लोग प्रभावित हैं।

विहैबियर चेंजेज - ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता में भी परिवर्तन दिखाई पड़ने लगे हैं। खासकर बच्चों में इसका ज्यादा इफेक्ट दिखाई देने लगा है। क्योंकि 60 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि से बच्चों की मेंब्रेन्स तेजी के साथ टूटने से बिहैवियर चेंजेज दिखाई पड़ने लगे हैं।

श्रवण शक्ति में कमी - ज्यादा शोर होने से कान की श्रवण क्षमता पर असर पड़ता है। शुरुआत में कानों में झुनझुनाहट होती है। इससे सिटी के करीब 50 प्रतिशत लोग पीडि़त हैं। श्रवण शक्ति पर प्रभाव पड़ने की वजह से नींद न आना, सिर में दर्द, कन्संट्रेशन एवं आईक्यू प्रभावित हो रही है।

उपाय -

- प्रेशर हार्न न लगाए।

- बेवजह हार्न का यूज न करें।

- हेलमेट का प्रयोग करें।

- वाहनों की गति सीमा निर्धारित करना।

- रेजिडेंशियल एरिया में भारी वाहनों पर प्रतिबंध,

- रेड सिग्नल के बाद गाड़ी को बंद कर दें।

कामर्शियल

एरिया मानक 2015 2014 2013

चौपुला चौराहा 65 80.13 79.19 71.8

कुतुबखाना 65 81.56 80.11 74.3

शहामतगंज 65 82.40 80.13 76.9

किला 65 82.76 82.06 74.19

सेटेलाइट 65 81.24 80.08 78.9

रेजिडेंशियल

एरिया - स्टैंडर्ड - 2015 2014 2013

प्रेमनगर - 55 57.16 52.2 44.8

माडलटाउन - 55 56.18 51.6 42.7

राजेंद्र नगर - 55 57.16 53.1 49.1

सिविल लाइन 55 60.00 55.2 50.4

डेलापीर 55 65.60 60.3 55.4

नॉवल्टी 55 72.1 65.8 61.4

डीडीपुरम्- 55 67.83 62.6 55.6

नोट - ध्वनि प्रदूषण की रिपोर्ट डेसिबल में है।

बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण कंट्रोल करने की जरूरत है। जून से सितम्बर में बारिश की वजह से जांच नहीं होती। ध्वनि पॉल्यूशन पर रोक लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

आरके त्यागी, रिजनल ऑफिसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड बरेली

ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता कम हो रही है। जिसका इलाज भी सम्भव नहीं है। एकाएक तेज साउंड होने से कान के पर्दे फट सकते है। लोगों को रेग्यूलर हियरिंग टेस्ट कराते रहने चाहिए।

डॉ। अंशू अग्रवाल, ईएनटी स्पेशलिस्ट

रेजिडेंशियल एरिया में 40 डेसीबल से ज्यादा की ध्वनि नहीं होनी चाहिए। जबकि शहर के अंदर भी 80 डेसीबल से ज्यादा की ध्वनि है। ध्वनि प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य पर

डॉ। डीके सक्सेना, समन्वयक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड