-बोर्न बेबी फोल्ड से ट्यूजडे को मां-बाप के सुपुर्द की गई बच्ची

-मासूम को गोद में लेकर निहारती रही मां, बोली कितनी सुंदर है

बरेली: जिस मासूम को डेढ़ साल पहले पराया बताकर दंपति हॉस्पिटल में छोड़ गए, उस मासूम के परिजनों को सीडब्ल्यूसी के सख्त रूख के बाद आखिर ट्यूजडे को अपनाना ही पड़ा। दरअसल मामला करीब डेढ़ साल पहले शहर के प्रभात नगर के एक निजी हॉस्पिटल का है, जहां 28 मई 2019 में शहर के निजी हॉस्पिटल पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं परिजनों का आरोप था कि उन्होंने हॉस्पिटल में बेटा एडमिट कराया था लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन अब डिस्चार्ज करते समय बेटी दे रहा है। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया हुई जिसमें बच्ची को छोड़ने वाले ही जैविक मां-बाप निकले। इस दौरान सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट डॉ। डीएन शर्मा, सीडब्ल्यूसी सदस्य कंचन सक्सेना और रामप्रवेश भी मौजूद रहे।

सुबह दस बजे से पहले पहुंचे कोर्ट

ट्यूजडे सुबह दस बजे से पहले ही सीडब्ल्यूसी कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठकर दंपति कोर्ट ओपन होने का इंतजार कर रहे थे। समय पर कोर्ट ओपन हुई तो मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होकर मासूम बच्ची के जैविक मां-ममता और पिता होरी लाल ने मासूम को साथ ले जाने के लिए सहमति दी। इसके बाद मजिस्ट्रेट डॉ। डीएन शर्मा के आदेश के बाद बोर्न बेबी फोल्ड से मासूम को कोर्ट मंगवाया गया। सीडब्ल्यूसी के आदेश के बाद बोर्न बेबी फोल्ड से मासूम को लेकर एक लड़की और काउंसलर कोर्ट पहुंचे जहां पर मासूम को पहले मजिस्ट्रेट ने मासूम को गोद लिया और पूरी प्रक्रिया के बाद मासूम के मां- ममता और पिता होरी लाल को सौंप दिया।

कपड़े देखकर आएगी याद

मुस्कान को लेकर बोर्न बेबी फोल्ड से एक लड़की सीडब्ल्यूसी लेकर पहुंची थी। कोर्ट की प्रक्रिया पूरी होने तक मासूम उसी लड़की की गोद में रही, मासूम के रोने पर वह बार-बार शांत करा रही थी। मासूम को लेकर सीडब्ल्यूसी पहुंची लड़की का कहना था कि अब उसे मासूम के कपड़े देखकर बहुत याद आएगी। हालांकि वह इस बात के लिए खुश है कि मासूम को उसकी मां मिली है यह अच्छी बात है।

2 मिनट तक मासूम को निहारती रही मां

मासूम को गोद में लेने के बाद मां ने कुछ देर मासूम बेटी को निहारती रही। इसके बाद बोली कितनी सुंदर है। हालांकि बाद में मासूम को अपने साथ ले जाने के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर अपने साथ ले गए।

अंशू रखना चाहती है नाम

यूं तो मासूम को सब मुस्कान बुलाते है, लेकिन मां ममता से जब बच्ची के नाम के बारे में पूछा गया तो मन की इच्छा जताते हुए कहा कि वह उसका अब अंशू नाम रखेगी। ममता ने बताया कि उसके दो बेटियां हैं उसकी बड़ी बेटी का नाम शुभी है तो वह अब इस मासूम का नाम अब अंशु रखेगी। क्योंकि अंशू उसके यहां पर किसी का नाम नहीं है।

कब- क्या हुआ

शहर के प्रियदर्शनी नगर निजी हॉस्पिटल से बच्चा बदले का परिजनों ने जब आरोप लगाया तो मामला प्रेमनगर थाना में दर्ज हुआ। मामले की जांच आईओ एसआई विष्णु दत्ता को सौंपी गई। 4 जून 2019 को मामला सीडब्ल्यूसी पहुंचा जिस पर सीडब्ल्यूसी ने 7 जून को आदेश दिया कि वह बच्ची को अपने हॉस्पिटल की नर्सरी में ही रखें ताकि बच्ची स्वस्थ रह सके। इसके बाद बच्ची के डीएन टेस्ट का आदेश हुआ। 20 मार्च को बच्ची, बच्ची के पिता होरी लाल और मां ममता का डीएनए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में टेस्ट हुआ। डीएनए रिपोर्ट में साफ हो गया है कि बच्ची के जैविक मां-ममता और पिता होरी लाल ही है। इसीलिए अब होरी लाल और उनकी पत्‍‌नी ममता के लिए आदेश जारी कर संबंधित थाने को भेजा जा रहा है। ताकि बच्ची के जैविक पिता होरी लाल और मां ममता अपनी बच्ची को अपने साथ ले जाए और अपने साथ रखें।

मासूम के मां-बाप सीडब्ल्यूसी के समक्ष उपस्थित हुए उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और मासूम को अपने साथ ले जाने के लिए सहमति दी। इसके बाद प्रक्रिया पूरी कर मासूम को उसके मां-बाप के सुपुर्द कर दिया।

डॉ। डीएन शर्मा, सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट