1942 मॉडल की है कार

देवेंद्र धारीवाल जयपुर में रहते हैं। वह कार का बिजनेस करते हैं। इसके अलावा उन्हें विंटेज कार रखने का भी शौक है। देवेंद्र ने 2000 में 1942 मॉडल की राइले कार खरीदी। यह कार पोस्ट विंटेज यानी क्लासिक की कैटेगरी में आती है। यह कार ड्राप हेड मॉडल की है जो इंडिया में इकलौती ही है। बरेली के सिविल लाइंस में प्रसाद टॉकिज के पीछे कमाल विंटेज कार की रिस्टोरेशन का काम करते थे। कमाल के पास से विजय माल्या ने भी विंटेज कार खरीदी थी। देवेंद्र ने 2004 में कार को रिस्टोर के लिए कमाल की वर्कशॉप में छोड़ दिया। इस कार की कीमत लाखों में है।

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पंद्रह दिन पहले शुरू हुआ विवाद

कमाल की 16 जून को डेथ हो गई। कमाल की डेथ के बाद दिल्ली के साजिद ने कार पर अपना दावा जताया। करीब पंद्रह दिन पहले उसने मामले की शिकायत एसपी सिटी से की। एसपी सिटी ने केस इंस्पेक्टर कोतवाली को सौंप दिया। मामले की जांच को वर्कशाप पहुंचे इंस्पेक्टर ने बताया कि कमाल को ही असली मालिक के बारे में ही पता था। जब कमाल के भांजे जुनैद से पूछताछ की गई तो गाड़ी के असली ओनर जयपुर निवासी देवेंद्र के बारे में पता चला।

नहीं आया झूठा दावेदार

पुलिस ने इस मामले में कार पर खुद का दावा करने वाले साजिद से कार के कागज लाने के लिए कहा। इस पर साजिद द्वारा जिराक्स कापियां ही पुलिस को दिखायी गईं। इस संबंध में पुलिस ने देवेंद्र को भी जयपुर से बरेली बुला लिया। देवेंद्र ने पुलिस को ओरिजनल कागज दिखाए। मामला धीरे-धीरे आईजी मुकुल गोयल के पास पहुंच गया। इस संबंध में साजिद को भी पुलिस ने दुबारा बुलाया लेकिन वह नहीं पहुंचा। थर्सडे आईजी ने देवेंद्र के पूरे कागज देखे और एसपी सिटी को वर्कशॉप में जाकर चेसिस नंबर चेक करने के लिए कहा। एसपी सिटी ने खुद जाकर चेसिस नंबर चेक किया तो वह सही निकला। इसके बाद आईजी ने एसएसपी को देवेंद्र को गाड़ी सौंपने का आदेश दिया।