- समीक्षा अधिकारी का एग्जाम देने शहर आई प्रियंका सेटेलाइट पर पोल गिरने से हो गई थी घायल

- मूल निवास स्थान बलिया में घाट पर किया गया अंतिम संस्कार

BAREILLY:

आखिरकार, प्रियंका वर्मा ने दम तोड़ दिया। लेकिन मरने से पहले अपनी आंखें दान कर एक नेक काम कर गई। प्रियंका भले ही इस दुनिया में नहीं रही। लेकिन, उसकी आंखों से कोई इस खूबसूरत दुनियां को देख सकेगा। दुखद यह है कि उसकी मौत के जिम्मेदार आज भी कठघरे तक नहीं पहुंचे। प्रियंका तो चली गई, लेकिन वह सब अभी भी अपने कुर्सियों पर जमे हुए हैं। मामले में एफआईआर के बाद भी पुलिस आरोपी को अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है। ज्ञात हो कि प्रियंका 8 अप्रैल सेटेलाइट पर पोल गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

केजीएमसी में ली अंतिम सांस

गांधी उद्यान स्थित एक निजी अस्पताल में प्रियंका का इलाज चल रहा था। 4 दिन बाद भी स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर परिजन उसे 12 अप्रैल को लखनऊ केजीएमसी लेकर चले गए। जहां पर उसने 13 अप्रैल दोपहर 2.30 अंतिम सांस ली। डॉक्टर के मृत घोषित करने पर परिजन प्रियंका की डेडबॉडी को लेकर बलिया मैरीटार अपने घर देर रात पहुंचे।

बलिया में हुआ अंतिम संस्कार

प्रियंका का अंतिम संस्कार मूल निवास स्थान बलिया में घाट पर सैटरडे को दोपहर 12 बजे किया गया। प्रियंका की मौत से छोटी बहन श्वेता वर्मा, भाई अमित वर्मा और राहुल वर्मा काफी सदमे में हैं। वहीं पिता विजय बहादुर वर्मा और गीता देवी का हाल काफी बुरा है। प्रियंका चारों भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।

प्रियंका ने आंख्ों की दान

मौत का आभास प्रियंका वर्मा को शायद पहले ही हो गया था। इलाज के दौरान ही प्रियंका ने अपने परिजनों से आंखें दान करने की बात कही थी। पिता विजय बहादुर ने बताया कि उनकी बेटी काफी होनहार थी। वह अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से समझती थी। उसकी इच्छा पर ही आंखें दान की गई। भले ही मेरी बेटी इस दुनियां में नहीं रही। फिर भी उसकी आंखें इस दुनियां को देख सकेंगी।

पुलिस ने नहीं समझ्ाी जिम्मेदारी

जबकि, परिजनों ने इस मामले की शिकायत बारादरी थाने में दर्ज कराई थी। जिसमें उसने सीयूजीएल टैंकर के ड्राइवर पर लापरवाही का आरोप लगाया था। एफआईआर दर्ज होने के 7 दिन बाद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। वहीं नगर निगम भी इस मामले में बचता ही रहा।

सिर में आई थी गंभीर चोटें

टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज कुमशिला में कार्यरत विजय बहादुर वर्मा की बेटी राजकीय इंटर कॉलेज कठूड़ हिंदाव में गेस्ट टीचर के पद पर कार्यरत थी। प्रियंका अपने पिता के साथ समीक्षा अधिकारी का एग्जाम देने के लिए 8 अप्रैल को शहर आई हुई थी। जिसका सेंटर पीलीभीत रोड आलमनगर सूर्या इंटर कॉलेज में पड़ा था। सेटेलाइट पर सुबह 7 बजे वह साधन का इंतजार कर रहे थे। तभी सीयूजीएल के एक टैंकर ड्राइवर ने गाड़ी बैक करते हुए नगर निगम के स्ट्रीट लाइन को टक्कर मार दी। जिससे जर्जर पोल टूट कर प्रियंका के उपर गिर गया था। जिससे प्रियंका के बाये हाथ पैर की हड्डी टूट गई थी। सिर में गंभीर चोटें आई थी।