- 4 जुलाई को पड़ रहा पुष्य नक्षत्र, विवाह के लिए नहीं शुभ

-पूजा-पाठ, धर्म-कर्म और जप-तप का मिलता कई गुना विशेष शुभ फल

बरेली: 4 जुलाई थर्सडे को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि अभीष्ट की प्राप्ति का दिन है क्योंकि इस दिन साल में 2-3 बार पड़ने वाले गुरु पुष्य नक्षत्र के साथ पंच सिद्धि योगों का विशेष संयोग है। साथ ही इस दिन आषाढ़ीय गुप्त नवरात्रि का भी विशेष संयोग है। खास बात यह है कि इसी दिन चंद्र ने भी अपनी कर्क राशि में सुबह 6: 45 बजे प्रवेश कर गुरु के साथ नव पंचम योग बनाया। अत: इस दिन पूजा-पाठ, धर्म-कर्म, जप-तप आदि का कई गुना विशेष शुभ फल की प्राप्ति होगी।

चंद्रमा दोष भी होता दूर

बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समस्त नक्षत्र का सम्राट पुष्य नक्षत्र माना जाता है। यह नक्षत्र गोचरवश चंद्रमा के दोष को भी दूर करने वाला होता है। पुष्य नक्षत्र ग्रह विद्य होने अथवा पाप ग्रह युक्त होने और तारा के प्रतिकूल होने पर भी सम्पूर्ण कार्य की सिद्धि करता है।

विशेष फल मिलता

जब गुरुवार को पुष्य नक्षत्र पड़ जाता है तो पुष्यामृत योग हो जाता है इस पुष्य नक्षत्र के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं। अत: इनका विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन यंत्र स्थापित करना, यंत्र मंत्र सिद्ध करना विशेष लाभप्रद होता है।

विवाह के लिए नहीं शुभ

विजय श्री प्राप्त करने के लिए विजय सूक्त का पाठ करना भी अति श्रेष्ठ रहता है जिन व्याक्तियों को राज्य सरकार से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो उनको आक के पौधे का रोपण कर सूर्य से संबंधित मंत्रों को जाप आदि पाठ करना विशेष लाभप्रद रहेगा। ग्रह दोष निवारण के लिए यह नक्षत्र अति महत्वपूर्ण माना जाता है, परंतु इस योग में विवाह आदि करना उचित नहीं रहता।

यह पड़ेंगे शुभ मुहुर्त

- गुरु पुष्य नक्षत्र: सुबह 5:28 से अगले दिन फ्राइडे सुबह तक

-अमृत सिद्धि योग: सुबह 5:28 से अगले दिन सुबह तक।

-सर्वाथ सिद्धि योग: सुबह 5:28 से अगले दिन सुबह तक

-अमृत योग: शाम 7 बजे से अगले दिन सुबह तक

-शुभ योग: सूर्योदय से शाम 7:10 बजे तक