- एक आरोपित फरार, मेजर की तहरीर पर चारों आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

- 16 जुलाई को अभ्यर्थियों की भर्ती केंद्र सैन्य अस्पताल में मेडिकल के दौरान खुला राज

बरेली : सेना के कोटा भर्ती के मेडिकल में अभ्यर्थी के बजाय उसके दो सहयोगी आंख व हड्डी की जांच कराने पहुंच गए। दस्तावेज व फोटो मिलान के समय आरोपितों का हेराफेरी का भेद खुला गया। मेजर की तहरीर पर कैंट पुलिस ने चार आरोपितों विवेकानंद पुरी, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) निवासी ललित लटवाल व नैनीताल (उत्तराखंड) निवासी धीरज कुमार, नैनीताल के कौशिया टिटौली का ललित नेगी व हरीशताल, लावरडोवा, नैनीताल निवासी बलम सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर ली। ललित सिंह नेगी, बलम सिंह मटियाली व ललित लटवाल को कैंट पुलिस ने जेल भेज दिया जबकि, धीरज फरार है।

फोटो मिलान से खुला भेद

चारों के खिलाफ मेजर एसके मिश्र ने ओर रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मेजर ने बताया कि 16 जुलाई को ललित लटवाल व धीरज कुमार भर्ती केंद्र सैन्य अस्पताल में मेडिकल कराने के लिए पहुंचे। भर्ती केंद्र में बायोमेट्रिक के बाद ललित आंख विभाग तथा धीरज कुमार हड्डी विभाग में जांच के लिए भेजे गए। चूंकि ललित के आंख में व धीरज कुमार के हड्डी में दिक्कत थी लिहाजा, उन्हें मेडिकल के लिए भेजा गया। मेडिकल के समय बलम सिंह, ललीत लटवाल की जगह आंख विभाग में दाखिल हो जाता है और ललित सिंह नेगी धीरज कुमार की जगह हड्डी विभाग में पहुंचता है। विशेषज्ञ दस्तावेज में लगी फोटो व पहचान चिन्ह से चेहरे का मिलान करते हैं तो दस्तावेज और सामने खड़े व्यक्ति में समानता नहीं मिलती। इसी के बाद विशेषज्ञ को शक हुआ। आरोपितों को हिरासत में ले लिया गया जिसके आरोपितों ने बताया कि मेडिकल भर्ती सख्त होने के चलते उन्हें आरोपितों की मदद ली लेकिन, भेद खुल गया। मेजर की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर शनिवार को तीन आरोपितों ललित सिंह नेगी, बलम सिंह मटियाली व ललित लटवाल को कैंट पुलिस ने जेल भेज दिया। फरार धीरज की तलाश में कैंट पुलिस जुटी हुई है।

दलालों के एंट्री के पीछे रैकेट सक्रिय

मेडिकल के दौरान मूल अभ्यर्थी की जगह अन्य के पहुंचने के पीछे एक बड़े रैकेट के सक्रिय होने की बात सामने आई है। सामने आया है कि दलालों का एक रैकेट मेडिकल प्रक्रिया के दौरान सक्रिय रहता है और शारीरिक रूप से अक्षम अभ्यर्थियों को भर्ती का झांसा दिला आसानी से मेडिकल कराने की बात कहता है। अभ्यर्थी इसी में झांसे में आ जाता है। आशंका है कि सैन्य अस्पताल में मूल अभ्यर्थियों की जगह दूसरे को दलालों के जरिए की रास्ता मिला। कैंट पुलिस को शुरुआती जांच में कुछ संदिग्धों के बारे में 30 हजार रुपये लेकर एंट्री कराने की जानकारी मिली है। पुलिस इसकी हकीकत जानने में जुटी है।

पहले भी पकड़ा गया था फर्जीवाड़ा

3 अक्टूबर वर्ष 2020 में भी मेडिकल के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया था। सेना कोटा भर्ती में मेडिकल परीक्षा के दौरान आगरा खेरागढ़ निवासी अंकित और इटावा जसवंत नगर निवासी चन्द्रवीर ने एक दूसरे की मदद के लिए धोखाधड़ी की कोशिश की थी। अमित की आंख कमजोर थी जबकि चंद्रजीत को चर्मरोग था। मेडिकल परिक्षण के दौरान दोनों एक-दूसरे की जगह मेडिकल कराने पहुंचे। बायोमेट्रिक के माध्यम से परीक्षण के लिए आरोपित अंदर प्रवेश भी पा गए थे। मेडिकल के दौरान अमित के नाम पर चंद्रजीत पहुंचा। फोटो मैच कराने के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया था। इसके बाद जब दोनों से पूछताछ की गई तो जुर्म कबूल करते हुए आरोपितों ने बताया एक-दूसरे की मदद के जरिए भर्ती के लिए फर्जीवाड़े की बात कबूली। मामले में दोनों के आरोपितों के खिलाफ लेफ्टिनेंट कर्नल सूर्य कुमार की ओर से षड़यंत्र रचने, धोखाधड़ी करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। कैंट पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

मेजर की तहरीर पर चार आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तीन को जेल भेज दिया गया है। आरोपित धीरज की तलाश की जा रही है।

- राजीव कुमार सिंह, इंस्पेक्टर, कैंट