दूध की सप्लाई के लिए पराग से हैं कॉट्रैक्ट
- जबकि, पराग पर सिंथेटिक दूध बनाने के लगे हैं आरोप
-हैरत की बात इन बातों से बीएसए हैं बेखबर
BAREILLY:
प्राइमरी स्कूलों के बच्चे एमडीएम में क्या मिलावटी दूध पीएंगे। यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि सिटी के स्कूलों में दूध की सप्लाई करने का ठेका पराग फैक्ट्री पास है और इस फैक्ट्री पर सिंथेटिक दूध तैयार करने का आरोप लगा है। ऐसे में, यदि इस फैक्ट्री का दूध बच्चों पीते हैं तो फिर कितना हेल्दी होगा। ताज्जुब की बात तो यह है कि सिंथेटिक दूध की चर्चा से बीएसए बेखबर हैं।
3000 लीटर दूध की डिमांड
सिटी के 256 स्कूलों में तकरीबन 1500 बच्चे पढ़ रहे हैं। एमडीएम में इन बच्चों को वेडनसडे के दिन प्रति स्टूडेंटड 200 एमएल दूध पीने को दिया जाना है। लास्ट वेडनसडे को कुछ स्कूलों में बच्चों को दूध पिलाया भी गया था। सभी बच्चों को दूध पिलाया जाता कि इससे पहले पराग पर सिंथेटिक दूध बनाने के आराेप लग गए।
विभ्ाग बेखबर
पराग फैक्ट्री में सिंथेटिक दूध बनाए जाने की खबर पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी है। हर किसी की जुबान सेहत से खिलवाड़ की बात सवाल बनी हुई है। हैरत की बात है कि एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है। यदि है भी तो वह अंजान बनने का नाटक कर रहे हैं। बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए सरकार ने दूध पिलाने की योजना लागू की है, लेकिन बीएसए जैसे जिम्मेदार अधिकारी इस पहलू को नजरअंदाज कर रहे हैं।
पराग में सिंथेटिक दूध बनाए जाने की मुझे कोई जानकारी नहीं है। यदि ऐसा कुछ है भी तो मामले में एक्शन डीएम ही लेंगे।
बीएसए, देवेन्द्र दत्त