-सुभाषनगर में प्लेसमेंट ऑफिस में काम करने वाली छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत

-किचन के दरवाजे से फंदे से लटकी मिली, नोट बुक में ऑफिस संचालक समेत दो को बताया जिम्मेदार

BAREILLY: बालाजी धाम कॉलोनी सुभाषनगर में जॉब प्लेसमेंट ऑफिस में एक छात्रा की फंदे पर लटकने से संदिग्ध हालात में मौत हो गई। छात्रा का शव किचन के दरवाजे से लटका था और उसके पैर जमीन को छू रहे थे, जो हत्या की ओर भी इशारा कर रहे हैं। पुलिस को मौके से एक नोटबुक मिली है, जिसमें सुसाइड की बात लिखी है और सुसाइड के लिए प्लेसमेंट संचालक और एक अन्य को जिम्मेदार बताया गया है, लेकिन सुसाइड नोट में मुस्लिम होने के बावजूद दो जगह भगवान शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए पुलिस को सुसाइड नोट पर शक हो रहा है। पुलिस आत्महत्या और हत्या दोनों ही एंगल से जांच में जुट गई है। प्लेसमेंट संचालक की पुलिस तलाश कर रही है।

तीन वर्ष से कर रही थी काम

बसंत विहार निवासी 23 वर्षीय फरहा शबनम ने एमए इंग्लिश से किया है। वह बीएड की तैयारी कर रही थी। उसके परिवार में पिता दिलावर हुसैन, मां नाजमी, भाई फिरोज, अफरोज और बहन सानिया हैं। दिलावर हुसैन रिटायर्ड बंदी रक्षक हैं। फरहा पिछले तीन वर्ष से बदायूं रोड पर मूलरूप से मुरादाबाद के रहने वाले प्रशांत ठाकुर के द्वारा चलाए जा रहे प्लेसमेंट जॉब प्वाइंट पर काम कर रही थी। कुछ दिनों पहले ही ऑफिस बालाजी धाम कॉलोनी में हरीश चंद्र के मकान में ऊपरी मंजिल पर चल रहा था। फरहा, इसी ऑफिस में सुबह आती थी और शाम को वापस चली जाती थी।

फोन न उठाने पर हुआ शक

पिता दिलावर हुसैन ने बताया कि सैटरडे को फरहा रोजाना की तरह सुबह करीब साढ़े 9 बजे घर से निकली थी। दोपहर में उसकी मां ने फोन किया तो फोन रिसीव नहीं हुआ, जिसके बाद भाई फिरोज ने भी फोन किया। कई बार फोन करने पर भी जब कॉल रिसीव नहीं हुई तो उन्हें शक हुआ, जिसके बाद मां नाजमी बेटे फिरोज को लेकर फरहा के ऑफिस पहुंची। उन्होंने देखा कि बाहर से कुंडा लगा है। आवाज दी लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो कुंडा खोलकर देखा तो फरहा फंदे पर लटकी हुई थी। फिर यूपी 100 को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही एएसपी अशोक मीणा, पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे और फील्ड यूनिट बुलाकर जांच शुरू की। पुलिस ने मामले में प्रशांत ठाकुर, अर्जुन ठाकुर और अनिल निवासी ठाकुरद्वारा मुरादाबाद के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली है।

पापा मुझे किताब दिला दो

फरहा कॉम्पिटीशन की तैयारी कर रही थी। उसने कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा की बुक खरीदी थी। मौके पर बेटी की किताब को देखते ही रोने लगे। उन्होंने रोते हुए पिता ने बताया कि फरहा ने जिद करके किताब खरीदी थी। उन्होंने 700 रुपए भी दिए थे। वहीं मां का भी रो-रोकर बुरा हाल हो रखा है। दोनों का कहना है कि यदि कोई बात थी तो फरहा उन्हें बता देती। उन्होंने हत्या की आशंका जताते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।

टेबल पर मिला सामान

नोटबुक, ईयर प्लग, रूमाल, हेयर बैंड, कॉम्पिटीशन की बुक, पानी की बोटल, टिफिन, न्यूज पेपर, बैग

दो बार भगवान शब्द का इस्तेमाल

मौके से मिले नोट में लिखा है कि टूडे आई एम वेरी सेड, विकाज आई नेवर वॉन्ट टू डू दिस एट एनी कास्ट, बट आई एम वेरी सैड ड्यू टू प्रशांत ठाकुर, विकाज प्रशांत चीट विद मी। मैं आत्महत्या का कदम ठीक तरह से पढ़ न पाने की वजह से उठा रही हूं, जिसके चलते मुझे असफलता प्राप्त हो रही है। मेरे न पढ़ने और पूरी लाइफ स्पॉइल्ड करने का श्रेय प्रशांत ठाकुर को देती हूं। उसने प्रशांत के साथ अर्जुन ठाकुर को मौत का जिम्मेदार बताया है। जो मेरे साथ हुआ भगवान किसी लड़की के साथ न हो, शायद भगवान अपने इस बच्चे से नाराज है। दो बार भगवान शब्द के इस्तेमाल से ही सुसाइड नोट पर पुलिस को शक हो रहा है। पुलिस हैंड राइटिंग मिलान कराएगी।

इन सवालों के जवाब तलाश रही पुलिस

-फरहा के गर्दन में दुपट्टे का फंदा था, लेकिन उसके पैर फर्श को टच कर रहे थे

-ऑफिस में पंखा और छत के जाल की काफी हाइट थी लेकिन वह किचन का दरवाजा यानि कम हाइट से क्यों लटकी

-ऑफिस का इंचार्ज प्रशांत ठाकुर हैं लेकिन न तो वह मौके पर मिला और न ही उसका कोई साथी

-फरहा ने सुसाइड किया तो गेट अंदर की बजाय बाहर से क्यों बंद था

-सुसाइड नोट को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि दो भाषा और दो बार भगवान शब्द का इस्तेमाल किया गया