BAREILLY:

जाम में फंसने पर हम बदइंतजामी का ठीकरा एडमिनिस्ट्रेशन पर फोड़ते है, लेकिन कभी खुद का गिरेबां झांककर देखने की कोशिश नहीं करते हैं कि इस अव्यवस्था के लिए वह किस हद तक जिम्मेदार हैं। जबकि, यह एक बड़ा सच है कि ट्रैफिक की राह में सबसे बड़ी बाधा पब्लिक ही है। कॉट इन ए जाम कैंपेन में आई नेक्स्ट ने की पड़ताल में कुछ ऐसा ही नजारा दिखाई दिया। आइए बताते हैं लाइव रिपोर्ट

शाहदाना चौराहा

शाहदाना चौराहा की सड़के तकरीबन 30 फीट चौड़ी हैं, लेकिन इंक्रोचमेंट के चलते सड़क संकरी हो गई है। चौराहे के आसपास आरा मशीन की दर्जन भर दुकानें हैं, जहां से दिन भर ठेला और बैलगाड़ी पर लकड़ी के लट्ठे लादकर जाते हैं। इनके लिए कोई नियम कायदा नहीं है। यही वजह है कि इस चौराहे पर लग्जरी कारें भी बैलगाड़ी के पीछे चलती रहती हैं।

पुराना बसअड्डा

इस चौराहे की सड़क और फुटपाथ एनक्रोचमेंट की भेंट चढ़े हुए हैं। कहीं रोड तक दुकानें सजी हैं तो कहीं नोपार्किंग में वाहन खड़े हैं। चौराहे से लोग यू टर्न लेने की बजाय ट्रैफिक के बीच यूटर्न ले लेते हैं, जिससे पीछे से आ रहे वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लग जा रहा था। सड़क पर आड़े-तिरछे वाहन खड़ा कर गायब हो जाने वालों ने तो ट्रैफिक का सुख चैन ही छीन लिया, जो थोड़ी बहुत रही सही कसर है रोडवेज बस के ड्राइवरों की मनमानी से पूरी हो जाती है।

नॉवेल्टी चौराहा

यहां भी हाल पुराना बसअड्डा जैसा ही दिखा। दोपहर करीब 2 बजे यहां एक महाशय ने स्कॉर्पियो सड़क पर ही पार्क कर दी। तो दूसरी ओर एक ऑटो आकर खड़ा हो गया। दो वाहनों के सड़क पर पार्क होने की वजह से यहां काफी करीब 5 मिनट बाद ही जाम लगने की शुरुआत हो गई। मौजूद राहगीरों ने आवाज लगानी शुरू की तो दोनों दोनों वाहनों के ड्राइवर काफी देर बाद अपने वाहन के साथ चलते बने।

कुमार टाकीज तिराहा

सराय गेट की ओर जाने वाले रास्ता पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार हो चुका है। यहां पर सब्जी, फल, कपड़ों एवं जूते चप्पल समेत करीब सौ से ज्यादा दुकानें रास्ते पर ही धड़ल्ले से चलाई जा रही हैं। ऐसे में अच्छी खासी चौड़ाई वाली सड़क भी काफी संकरी हो गई है, जिसकी वजह से शाम ढलते ही यहां आए दिन जाम लग जाता है। यदाकदा अतिक्रमण अभियान भी चलाए जाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे अतिक्रमण आगे बढ़ता है पीछे से दुकानें फिर सजने लगती हैं।

कुतुबखाना चौराहा

शहर का सबसे ज्यादा संकरा एवं सघन एरिया है। पुलिस की ओर से यहां कार, टेंपो को प्रतिबंधित कर वनवे एवं बैरीकेडिंग कर जाम की समस्या को दूर करने की कवायद की गई है। ऐसे में यहां रिक्शा एवं पार्किंग स्थल में तब्दील होती सड़कें और ठेले खोमचे वाले जाम की वजह बनते हैं। अनुमान के मुताबिक करीब 60 रिक्शे लाइन से आधी से ज्यादा सड़क घेरे खड़े थे। जो ट्रैफिक के बीच में आन रोड सामानों की लोडिंग-अपलोडिंग कर रहे थे। लिहाजा, इनसे ट्रैफिक की रफ्तार धीमी हुई तो दूर तक जाम लग गया।

चौकी चौराहा

पुलिस प्रशासन को कानून सिखाने में शहरवासियों का कोई जोड़ नहीं है, लेकिन इन महाशय के बारे में क्या कहेंगे, जो रेड सिग्नल के बाद भी धड़ल्ले से नियम कानूनों को धता बताते हुए बीच ट्रैफिक में घुसते जा रहे हैं। मौजूद पुलिसकर्मी ने जब रोकने की कोशिश की तो उससे भी महाशय भिड़ गए। दूसरी तस्वीर भी इसी चौराहे की है, जहां ट्रैफिक के बीच से एक लोग स्कूटी से रोड क्रॉस करते दिखे। वहीं, तीसरी तस्वीर में रेड लाइट के बाद भी जल्दबाजी में बीच से गुजरते हुए फोरव्हीलर्स नजर आए। यह कोई इन्ही महाशय का कारनामा नहीं है, यही हाल शहर के सभी मुख्य चौराहों पर लोग यातायात नियमों को आए दिन धता बताते हैं।

डेलापीर चौराहा

यहां से अक्सर हेवी व्हीकल्स की आवाजाही होती है। दोपहर करीब 4 बजे यहां से गुजरते हुए एक वाहन बीच रोड पर खड़ा हो गया, जिससे धीरे-धीरे यहां सवारियां का जमावड़ा लगने से जाम लग गया।