बरेली (ब्यूरो)। सिटी में व आसपास हादसों के कई ऐसे मोड़ हैं, जो हर साल सैकड़ों लोगों की जिंदगियां निगल जाते हैं। बात करें 2020 में हुई दुर्घटनाओं की तो इस साल कुल 680 एक्सीडेंट्स हुए। 2021 से वर्तमान का डेटा देखा जाए तो पता चलता है कि दुर्घटनाओं में 55 परसेंट बढ़ोतरी हुई है। जिले में 22 ब्लैक स्पॉट हैं, जिनको लेकर अधिकारी गंभीर नजर नहीं आते, जिसके चलते हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।

सिस्टम हुआ बेहाल
पीलीभीत रोड पर मयूर वन चेतना केंद्र के पास स्थित खूनी मोड़ सिर्फ अफसरों की फिक्र तक सीमित रह गया है। वर्ष 2017 में यहां युवा नेता युवराज सिंह की एक्सीडेंट में डेथ के बाद कमिश्नर, पीडब्ल्यूडी व क्रेडाई ने इस पर लंबी प्लानिंग की थी। कई दिन अफसर एवं समाज के जि मेदार लोगों ने दौड़ लगाई। लंबी-चौड़ी बातें की गईं। लेकिन, प्लान कागजों तक सिमट कर रह गया। अधिकारी सिर्फ बातों में ही उलझे हैं। जिसके चलते अब तक प्लानिंग धरातल पर नहीं उतर सकी है। इसकी जि मेदारी पीब्डब्ल्यूडी को दी गई थी। तत्कालीन चीफ इंजीनियर राकेश राजवंशी ने यहां चौड़ीकरण का प्रस्ताव तैयार कराया, लेकिन डीपीआर तैयार होने के बाद फाइल आगे नहीं बढ़ी। पीडब्ल्यूडी के बाद तत्कालीन कमिश्नर ने यहां हवाईअड्डे को देखते हुए रोड चौड़ीकरण और रोटरी बनवाने का प्लान बनवाया। यह प्रोजेक्ट भी करीब डेढ़ करोड़ का था। लेकिन, आगे नहीं बढ़ सका।


ढाबे बन रहे हादसों की वजह
मयूर वन चेतना केंद्र पर बने ब्लैक स्पॉट के पास कई ढाबे बने हुए हैं। जहां पर शाम होते ही महफिल सजने लगती है। सिटी के तमाम युवा शराब की पार्टी के लिए वहां पर जाते हैं। उसके बाद नशे की हालत में वे गाड़ी ड्राइव करते हैं और एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं। पहले इन ढाबों आदि को ाी यहां से हटाने की बातें की गईं, उसके बाद ाी सब कुछ जस का तस है।

ट्रैफिक रुल्स की अनदे ाी
रोड पर चलते लोग ान कर ट्रैफिक नियमों को तार-तार करते नजर आते हैं। ऐसे में हादसे होने कीे सं ाावना बढ़ जाती है। यह सबसे ज्याद यूथ में नजर आता है क्योंकि बिना हैलमेट के चलना तो उनका फैशन बन गया है। इसके साथ ही ट्रैफिक लाइट को भी इग्नॉर कर देते हैं। बाइक राइडिंग में भी किसी भी नियम को फॉलो नहीं करते हैं। सबसे बड़ी बात नशा करके वाहन चलाना तो जैसे आम बात हो गई है। यूथ इसे फैशन मानते हैं। ट्रैफिक नियम उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं।

ब्लैक स्पॉट संकेतकों की कमी
जिले में बने ब्लैक प्वांइट पर संकेत चिंह होना बहुत जरुरी होता है। जिससे वहांं से निकलने वाले यात्रियों उसे देखकर अलर्ट हो जाएं, जिससे बड़ा हादसा होने से बचाया जा सके। लेकिन मौके पर दे ाा गया तो मयूर वन चेतना मोड़ पर मात्र एक बोर्ड के अलावा कोई संकेतक नहीं है। इसके अलावा फरीदपुर में टोल प्लाजा पर बने डेथ प्वाइंट पर कोई संकेतक नहीं था। इसकी वजह से हादसे हो जाते हंै।

फैक्ट एंड फिगर
ईयर वाइज हादसे
680 : 2020 में
909 : 2021 में
205 : 2022 मार्च तक डेथ का आंकड़ा

मौतें वर्ष
346 : 2020
396 : 2021

ब्लैक स्पॉट की संख्या
2020-2021 से अब तक
-बिथरी चैनपुर में नवदिया झाला
-हाफिजगंज में रिठौरा, ल ोड़ा
-मीरगंज में सिंधौली, नल नगरिया
-फरीदपुर में टोल प्लाजा निर्माणाधीन, कंजा वाली जारत
-सीबीगंज जीरो प्वांइट
-इज्जतनगर मयूर वन चेतना केंद्र
- भुता में राघवपुर मोढ़
-सुभाषनगर में महेशपुर फाटक
-देवरनिया में रिछा, सेमीखेड़ा पेट्रोल पंप
-बहेड़ी में जो ानपुर मोड़, शेरगढ़ चौराहा,शेरगढ़ तिराहा, गुदवारा
- भोजीपुरा में जादोपुर, विलवा

यह भी जानें
-वाहन पार्किंग पर दे विशेष ध्यान
-ओवरटेक करने से बचें
-अपने लेन में चलें
-निरंतर हार्न का करें प्रयोग
-एक तरफा रोड नियम का पालन करें
-हाथ सिंग्नल का करें प्रयोग
-वाहन गति पर रखें प्रतिवंध


वर्जन
रोड हादसों का बढऩे का कारण लोगों का ट्रैफिक रूल्स न मानना है, क्योंकि ज्यादातर लोग नियमों को अनदेखा करते हैं। जल्दबाजी लोगों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं का कारण है। यह ही वजह है कि पिछले वर्ष की तुलना में हादसों में बढ़ोत्तरी हुई है।
दिनेश सिंह, आरटीओ (ई)


वर्जन
सडक़ सुरक्षा सप्ताह में लोगों को जागरूक किया जाता है। इसके बाद भी लोग अवेयर नहीं होते हैं। इससे आए दिन हादसे बढ़ रहें हैं। ब्लैक प्वांइट पर भी पुलिस की नजर रहती है।
राममोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक