- स्वच्छता मिशन की योजनाओं के बाद भी खुले में शौच जा रहे हैं हजारों ग्रामीण

- पायलट प्रोजेक्ट के लिए किया गया सर्वे, केंद्र ने मानसिकता बदलने के लिए मांगे सुझाव

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट में गत वर्षो में बनाए गए शौचालयों की स्थिति पता करने के लिए सर्वे किया गया तो आंकड़े चौंकाने वाले मिले। जिले में करीब 50 हजार से अधिक जल प्रवाहित शौचालय बनाए गए हैं। लेकिन इन शौचालयों में करीब 22 हजार शौचालय ऐसे पाए गए जिनका कोई यूज ही नहीं किया गया है। पंचायती राज विभाग ने इस सर्वे की रिपोर्ट केंद्र सरकार को फॉरवर्ड कर दी। वहीं, केंद्र ने अधिकारियों से लोगों को स्वच्छता मिशन के तहत लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए सुझाव मांगे हैं।

सर्वे में आंकड़े आए सामने

बता दें कि वर्ष 2000 से गांवों में जल प्रवाहित शौचालय बनाए जाने की योजना शुरू हुई। योजना स्वच्छता अभियान के तहत संचालित की जा रही थी। लेकिन वर्ष 2014 में अभियान के स्थान पर योजना मिशन बन गई। दोनों ही अभियानों के तहत जिले की सभी तहसील, ब्लॉक, ग्राम सभा के स्तर पर शौचालय बनाए गए। लेकिन स्वच्छता मिशन के तहत लोगों के खुले में शौच जाने की मानसिकता नहीं बदली। आगामी दिनों में लागू किए जाने वाले पायलट प्रोजेक्ट के तहत सर्वे कराया गया। रिपोर्ट के अनुसार शौचालय की स्थिति पता की गई। जिसमें 50 हजार से ज्यादा शौचालयों में 22 हजार पूरी तरह से जर्जर होने की कगार पर पाए गए। इसमें से कुछ शौचालयों के दरवाजे, सीट तक गायब मिले हैं।

बदलेंगे मानसिकता

केंद्र ने माना कि लोगों की मानसिकता बदले बिना स्वच्छ भारत मिशन कामयाब नहीं हो पाएगा। इसी कड़ी में उन्होंने पंचायती राज विभाग के सभी अधिकारियों से सुझाव मांगे हैं कि लोगों की मानसिकता वह कैसे बदलेंगे, उसके सुझाव दें। बता दें कि पंचायती राज विभाग के मुताबिक बरेली जिले में लगभग 3 लाख जल प्रवाहित शौचालयों की जरूरत है। जिसमें 50 हजार शौचालयों का निर्माण हुआ। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार लोगों की मानसिकता बदलना चाहती है। लोगों को जागरुक करने के लिए एनजीओ की मदद ली जाएगी।

लोगों को जागरूक करने के लिए पंचायती राज विभाग के अधिकारियों से केंद्र ने सुझाव मांगे हैं। अच्छे सुझावों को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा। लोगों को जागरुक किया जाएगा।

टीसी पांडेय, जिला पंचायती राज अधिकारी