BAREILLY:

आज इंटरनेशनल वीमेंस डे है। एक ऐसा दिन जो महिलाओं के सशक्त और सबल बनने की पहचान के रूप में सेलीब्रेट किया जाता है। यूं तो साल भर में कई तारीखें ऐसी होती हैं, जो महिलाओं को डिवोटेड होती हैं पर यह दिन कुछ खास है। यह उन महिलाओं को इंस्पायर करता है, जो आज भी दहलीज के अंदर घूंघट में कैद हैं और उन महिलाओं के जरिए जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को अबला नहीं बनने दिया। बल्कि राह में खड़ी मुश्किलों का सामना किया और पर्वत का सीना चीरकर रास्ता बनाया। इंटरनेशनल वीमेंस डे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट अपने 'हेड एंड टेल' कॉलम के जरिए आपको ऐसी ही महिलाओं से मिलाने जा रहा है। जो मिसाल बनीं है साथ ही औरों के लिए इंस्पीरेशन

साथ छूटा पर हिम्मत नहीं टूटी - कमलजीत कौर उर्फ मिनी मैम

बदायूं रोड स्थित सुभाषनगर हनुमान मंदिर के पास रहने वाली कमलजीत कौर आज उन महिलाओं के लिए मिसाल बनीं हैं, जो पति का साथ छूट जाने के बाद खुद को बेसहारा मान लेती हैं। परिजनों के अहसान तले अपनी ख्वाहिशों को दफन कर देती हैं। वहीं, वक्त के साथ जिंदगी काटती हैं। पर कमलीजत कौर उर्फ मिनी मैम की कहानी ऐसी महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं, जिन्होंने पति मनमीत सिंह की मौत के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और खुद को एक मिसाल बनाया है।

3 साल पहले छूटा साथ

मिनी ने बताया कि करीब तीन साल पहले पति मनमीत की मौत हो गई थी। मनमीत की फैमिली बरेली में प्रॉमिनेंट फैमिली के तौर पर जानी जाती है। पर पति की ख्वाहिश खुद से कुछ बेहतर करने की रही। ऐसे में उन्होंने कभी परिवार के भरोसे कोई काम नहीं किया। पर आखिरी समय में परेशानियों से जूझते हुए उनकी मौत हो गई। पति के इन्हीं आदर्शो को मिनी ने आगे बढ़ाया। मौत के बाद परिजनों ने मिनी को साथ रहने और मदद करने की बात कही। पर उन्होंने मदद लेने की बजाय खुद से कुछ करने की अपनी बात रखी और उसे फॉलो किया।

गरीब बच्चों को फ्री ट्यूशन

मिनी को हेल्पलेस बनने की बजाय हेल्पफुल कहलाना पसंद है। पति की मौत के बाद उन्होंने एक स्कूल में टीचर की जॉब कर ली। दो बेटियां साईना और इशिका को मां और पिता दोनों का प्यार दिया। बेटी साईना आज आर्किटेक्ट बन चुकी है। वहीं, छोटी बेटी स्पेशल चाइल्ड है। सुबह से शाम तक वह खुद को व्यस्त रखती हैं। स्कूल में टीचिंग के बाद वह घर पर बच्चों को वह ट्यूशन पढ़ाती हैं। तंगहाली के बावजूद गरीब बच्चों की एजुकेशन में हेल्प और ट्यूशन भी पढ़ाती हैं। वर्तमान में कॉलोनी के सभी लोग उन्हें मिनी मैम के नाम से जानते हैं।

रंजना सोलंकी बनी सफल िबजनेस वूमेन

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जब हर कदम पर अपने ही दुश्मनी साधने लगे, तो जिंदगी कितनी संघर्ष पूर्ण होगी। इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ऐसे ही हालातों से लड़ते हुए ग्रीन पार्क की रहने वाली रंजना सोलंकी ने एक नया मुकाम हासिल किया है। रंजना सोलंकी कुशल गृहणी के साथ ही सफल बिजनेस वूमेन भी है। यही वजह है कि वह डोमेस्टिक गैस डिस्ट्रिब्यूटर एसोसिएशन की पिछले 9 वर्षो से प्रेसीडेंट हैं।

अपनों ने ही कर दी पति की हत्या

बायोग्रुप से बीएससी करने वाली रंजना सोलंकी की शादी बरेली के देवेंद्र सिंह सोलंकी से 3 दिसम्बर 1996 को हुई थी। शादी के दो साल भी नहीं बीते थे कि अपनों ने ही रंजना सोलंकी के पति की 3 मार्च 1998 को निर्मम तरीके से हत्या कर दी। इनके ससुर का पहले ही 15 जनवरी 1992 को ही मर्डर कर दिया गया था। पति की हत्या के बाद सारी जिम्मेदारी रंजना सोलंकी पर आ गयी, जिस गैस एजेंसी को हथियाने के लिए अपनों ने देवेंद्र की हत्या की थी। वह रंजना सोलंकी के भी जान के दुश्मन बने हुए है, लेकिन पति की हत्या के बाद प्रशासन से मिले सपोर्ट और सिक्योरिटी ने रंजना सोलंकी को एक आत्मशक्ति दी। अपनी सुरक्षा के लिए रंजना सोलंकी ने 2001 में एक रिवाल्वर का लाइसेंस भी लिया।

हार नहीं माना और समझी जिम्मेदारी

पति की हत्या के बाद भी रंजना सोलंकी ने कभी हिम्मत नहीं हारी। घर में सबसे अधिक पढ़ी-लिखी होने की वजह से इन्होंने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले लिया। पति की हत्या के वक्त रंजना का मासूम बेटा किंचित, मुक बधिर ननद, सास, जेठ और जेठानी सबको साथ लेकर आगे चल पढ़ी, जिस समय पति की हत्या हुई उस समय पूरा परिवार फरीदपुर में रहता था। उन्होंने खुद बाइक चलाना सीखा और फरीदपुर से रोजाना अपने लता गैस एजेंसी पर आकर घंटो वर्क करना जारी रहा। वर्तमान समय में रंजना एक सफल बिजनेस वूमेन है। इनके गैस एजेंसी से 31 हजार से अधिक कंज्यूमर्स जुड़े हुए हैं।