-शहर में वॉटर सप्लाई बड़ी दिक्कत, 140 एमएलडी की मांग 105 एमएलडी की सप्लाई

-हर शहरी को औसतन जरूरत का एक चौथाई कम पानी की सप्लाई, 10 एमएलडी की बर्बादी

BAREILLY:

दिन बीते, हफ्ते हुए, महीने साल बन गुजर गए। लेकिन सरकारी दावों की खोखली पाइपलाइन से शहर की जरूरत भर का पानी नहीं निकला। 70 वार्डो वाले बरेली शहर के तीन चौथाई से ज्यादा वार्ड के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। अप्रैल से जून के दौरान इन वार्डो की प्यास बढ़ने के बावजूद नगर निगम के जलकल विभाग की ओर से किए जाने वाले इंतजाम नाकाफी साबित होते हैं। हालत यह है कि 1982 में नगर निगम का दर्जा मिलने के 43 साल बाद भी शहर की जरूरत रोजाना 140 एमएलडी के मुकाबले जलकल विभाग महज 105 एमएलडी की ही सप्लाई कर रहा। इसमें भी बुरा हाल यह है कि गर्मियों में पानी की मांग 160 एमएलडी तक पहुंच जाती है।

22 फीसदी में नहीं पाइपलाइन

नगर निगम सीवर लाइन की तरह ही पूरे शहर में पानी की पाइप लाइन बिछाने में भी पिछड़ा रहा है। शहर में पानी की सप्लाई का मुख्य सोर्स ओवरहेड टैंक और नलकूप हैं। लेकिन शहर के करीब 22 फीसदी एरियाज में पानी की पाइप लाइन ही नहीं बिछ सकी है। इन एरियाज में रहपुरा चौधरी, बड़ी बिहार, छोटी बिहार, विश्वनाथपुरम, मैहलऊ, परतापुर चौधरी, नदौसी और सर्वोदय नगर खासकर शामिल हैं। जहां पाइप लाइन बिछाने की डीपीआर तक नहीं बन सकी है। इन एरियाज में पानी की सप्लाई का मुख्य सोर्स सरकारी हैंडपंप हैं। जो बड़ी आबादी की पानी की जरुरत पूरी करने को नाकाफी है।

12 फीसदी पानी बर्बाद

जलकल विभाग से शहर को रोजाना 105 एमएलडी की पानी की सप्लाई भेजी जाती है। यह सप्लाई शहरी मांग का तीन चौथाई से भी कम है। इस पर भी पानी की सप्लाई पूरी तरह जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती। पुरानी पाइप लाइन में जगह जगह लीकेज के चलते करीब 10-12 एमएलडी पानी रोजाना बर्बाद होता है। हालांकि नगर निगम पहुंचने वाली शिकायतों को देखे तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा नजर आता है। शहर के हरुनगला, गुलाबनगर, जगतपुर, फाल्तुनगंज, सूफी टोला, कंजादासपुर, चक महमूद, मढ़ीनाथ, एजाजनगर, स्वालेनगर और वीरभट्टी समेत दर्जनों एरियाज हैं, जहां गर्मियों में पानी की किल्लत बढ़ जाती है।

नए सोर्सेज कर रहे नाउम्मीद

शहर की कमजोर पेयजल व्यवस्था को मजबूत करने को सेंट्रल गर्वनमेंट व स्टेट गवर्नमेंट की ओर से यूआईडीएसएएमटी योजना शुरू की गई। कुल 78.04 करोड़ की लागत वाली इस योजना से 2013 में शहर में 17 ओवरहेड टैंक व 29 नलकूपों के निर्माण का काम शुरू हुआ था। इस योजना के पूरा होने से शहर की पानी की किल्लत खत्म होने की उम्मीद बंधी, लेकिन करीब 3 साल बीतने के बावजूद नलकूपों व ओवरहेड टैंकों से पानी की सप्लाई शुरू न हो सकी। कहीं निर्माण अधूरा, तो कहीं पाइन लाइन बिछने में लेटलतीफी। जहां काम पूरा हुआ भी तो वहां ठीक से रेगुलर सप्लाई शुरू न सकी। हैंडपंप से पानी देने का विकल्प भी खस्ता हाल रहा। शहर में लगे निगम के 2710 हैंडपंप में कुछ या तो सूख कर खराब हो चुके हैं या फिर रिबोर होने की आस में है।

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फिगर्स स्पीक

शहरी एरिया की कुल तादाद - 9.80 लाख

शहर में कुल वार्डो की संख्या - 70

रोजाना पानी की मांग -140 एमएलडी

गर्मियों में पानी की मांग - 160 एमएलडी

जलकल से रोजाना सप्लाई - 105 एमएलडी

हर दिन पानी बर्बादी - 10-12 एमएलडी

रोजाना प्रति व्यक्ति पानी की जरुरत - 135 एलपीसीडी

रोजाना प्रति व्यक्ति पानी की सप्लाई - 100 एलपीसीडी

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