क्या था मामला

4 सितंबर 2012 को मेडिकल कॉलेज में कवरेज करने गए मीडिया कर्मियों से जूनियर डॉक्टर्स भिड़ गए थे। देखते-देखते सैकड़ों जेआर ने आधा दर्जन मीडिया कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा पीटा। सूचना पर पुलिस फोर्स पहुंची। मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिसकर्मियों के सामने दोबारा जेआर हमलावर हो गए और मीडिया कर्मियों को दौड़ा लिया। उनकी गाड़ी भी चकनाचूर कर दी। मामला गंभीर होने पर डीएम रवि कुमार एनजी और तत्कालीन एसएसपी आशुतोष कुमार भी मौके पर पहुंचे थे। अफसरों के निर्देश के बाद गुलरिहा पुलिस ने तत्कालीन प्रेस क्लब अध्यक्ष एसपी सिंह की तहरीर पर धारा 395, 397, 323, 308, 427, 352 और 504 आईपीसी के साथ 3(1) एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था।

हट गई धारा, चला मैनेज गेम

केस दर्ज होने के बाद चार दिन में पुलिस ने डेढ़ दर्जन आरोपी जूनियर डॉक्टरों की पहचान भी कर ली थी। एससीएसटी एक्ट की धारा जुडऩे के चलते मामले की जांच तत्कालीन सीओ गोरखनाथ रितेश सिंह को दी गई थी। पांच महीने जांच के बाद सीओ ने जूनियर डॉक्टर्स पर लगी एससीएसटी की धारा को विवेचना में खारिज कर दिया। उनका मानना है कि पीडि़त अरुण कुमार का मेडिकल परीक्षण न होने के चलते धारा स्टैंड नहीं करती जबकि यह तर्क विधिसंगत नहीं है। इस पूरे मामले को मैनेज करने में मेडिकल कालेज प्रिंसिपल से लेकर कई नामी लोग भी जुट गए थे।

तीन एसएसपी और चार एसओ बदल गए  

इस कांड के बाद तीन एसएसपी और चार एसओ बदल गए लेकिन मामले में न तो आज तक चार्जशीट दाखिल हुई और न ही गिरफ्तारी। तत्कालीन एसएसपी आशुतोष कुमार के बदलने के बाद आईपीएस डीके चौधरी और फिर आईपीएस शलभ माथुर भी बदल गए। हर बार कप्तान ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। गुलरिहा थाने के तत्कालीन एसओ भावनाथ चौधरी के बाद जितेन्द्र यादव और फिर राम कृपाल सिंह के बाद अब इंस्पेक्टर टी.एन श्रीवास्तव के पास चार्ज है। यहीं नहीं सीओ गोरखनाथ रितेश सिंह भी बदल गए और मामले की जांच गुलरिहा पुलिस के पाले में पहुंच गई।

जांच अभी जारी है

घटना के 364 दिन बीतने के बाद भी आज तक गुलरिहा पुलिस आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। चार्ज पर रहने वाले इंचार्ज ने हर बार यह कहकर मामला टरका दिया कि उनके टाइम की जांच नहीं है। आईओ बदलने के चलते केस की जांच प्रभावित हो गई, जिसके चलते चार्जशीट दाखिल नहीं हुई। जबकि इस मामले में जुड़े तत्कालीन सीओ गोरखनाथ रितेश सिंह का कहना है कि केस में एससीएसटी की धारा जुड़ी होने के चलते मामले की जांच वह कर रहे थे। विवेचना में एससीएसटी की धारा हटने के बाद जांच गुलरिहा पुलिस को ट्रांसफर हो गई।

तत्कालीन अधिकारियों ने कहा था-

मामले की तत्काल मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया गया। इसकी जांच एडीएम सिटी गिरिजेष त्यागी को दी थी। जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट सौंपे जाने का निर्देश दिया था.

रवि कुमार एनजी, डीएम

आरोपियों के खिलाफ गंभीर धारा में केस दर्ज कर जांच सीओ गोरखनाथ को सौंप दी गई। आरोपियों की पहचान कराई जा रही है और गिरफ्तारी के लिए मेडिकल कालेज मैनेजमेंट से हेल्प ली जा रही है.

आषुतोष कुमार, एसएसपी

मामला एक साल पुराना है, इस मामले की जांच गुलरिहा पुलिस के पास है। जांच अभी चल रही है।

टी.एन श्रीवास्तव, इंस्पेक्टर गुलरिहा